बिजनेस न्यूज़
3 min read | अपडेटेड February 07, 2025, 03:13 IST
सारांश
Monetary Policy Meeting Today: भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर संजय मल्होत्रा आज रेपो रेट पर मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी के फैसले का ऐलान करेंगे। उम्मीद की जा रही है कि 5 साल बाद इसमें कटौती की जाएगी।
घटा रेपो रेट तो आम लोगों पर होगा गहरा असर।
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India, RBI) के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा शुक्रवार सुबह 10 बजे मॉनिटरी पॉलिसी स्टेटमेंट जारी करेंगे। पदभार संभालने के बाद मल्होत्रा कीअगुवाई में हो रही पहली MPC बैठक में रेपो रेट घटाने की अटकलें लगाई जा रही हैं।
देश में मुद्रास्फीति दर की स्थिति और केंद्रीय बजट 2025 में उपभोग को बढ़ाने की सरकार की कवायदों को देखते हुए एक्सपर्ट्स का मानना है कि Monetary Policy Committee (MPC) करीब 5 साल के बाद रेपो रेट (Repo Rate) में 0.25% या 25 बेसिस पॉइंट्स (25bps) की कटौती का ऐलान कर सकती है। गौरतलब है कि रेपो रेट पिछले साल दो साल से 6.50% पर कायम है।
DBS ग्रुप रिसर्च की वरिष्ठ इकॉनमिस्ट राधिका राव ने उम्मीद जताई है कि MPC रेपो रेट में 0.25% की कटौती करके इसे 6.25% पर लाने के पक्ष में मतदान करेगी। वहीं, ग्लोबल रिसर्च फर्म Bank of America Global Research ने भी कहा कि आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति दोनों के ही आंकड़े मौद्रिक स्थितियों को आसान बनाने की जरूरत की तरफ इशारा करते हैं।
इंडस्ट्री बॉडी Assocham से लेकर SBI Research ने भी रेपो रेट में 0.25% कटौती की उम्मीद जताई है। SBI research की एक रिपोर्ट के मुताबिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (consumer price index, CPI) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति चौथी तिमाही में 4.5% पर आ सकती है और मौजूदा वित्त वर्ष में औसतन 4.8% रह सकती है। इसमें यह भी कहा गया था कि जनवरी में मुद्रास्फीति 4.5% के करीब दिखाई दे रही है।
हालांकि, Yes Securities के कार्यकारी निदेशक अमर अंबानी को ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद नहीं है। उनके मुताबिक वैश्विक परिस्थितियां इस स्तर पर दरों में कटौती के लिए प्रतिकूल बनी हुई हैं। उन्होंने यह जरूर माना है कि रिजर्व बैंक का रुख ‘अकॉमोडेटिव’ होने से स्टॉक मार्केट को भी खुश होने का मौका मिलेगा।
SBI रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय सहायता और ट्रेड वॉर्स के अनिश्चित असर के चलते रिजर्व बैंक के सामने रिस्क बैलंस करने की बड़ी चुनौती है। बजट में सरकार ने कई प्रोत्साहन कार्यक्रमों का ऐलान किया है, ऐसे में सेंट्रल बैंक फिलहाल रेट कट का फैसला कर सकती है। बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकॉनमिस्ट मदन सबनवीस का भी यही कहना है।
सबनवीस के मुताबिक इस बार दो कारणों से रेट कट की ज्यादा संभावना है- एक तो यह कि RBI ने पहले ही लिक्विडिटी को बढ़ाने की कोशिशों का ऐलान किया है जिससे बाजार के हालात सुधरे हैं। दरअसल, 27 जनवरी को रिजर्व बैंक ने बैंकिंग सिस्टम में ₹1.5 लाख की लिक्विडिटी जोड़ने का ऐलान किया था। दूसरा- केंद्रीय बजट ने भी प्रोत्साहन दिया है और इनके लिए रेपो रेट कम करना सही होगा।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछली बार मई, 2020 में कोविड-19 महामारी के समय रेपो दर को 0.40 प्रतिशत घटाकर चार प्रतिशत किया था। फिर रूस-यूक्रेन युद्ध के जोखिमों से निपटने के लिए आरबीआई ने मई, 2022 में दरों में बढ़ोतरी करनी शुरू की थी और यह सिलसिला फरवरी, 2023 में जाकर रुका था।
(इनपुट्स: भाषा)
संबंधित समाचार
लेखकों के बारे में
अगला लेख