पर्सनल फाइनेंस
3 min read | अपडेटेड March 28, 2025, 03:03 IST
सारांश
EPFO ने पिछले कुछ वक्त में कई बदलाव किए हैं जिनसे सदस्यों के लिए सेवाओं का फायदा उठाना आसान, तेज और पारदर्शी हो सके। इसके तहत लाई गईं ऑनलाइन सेवाओं की सफलता की झलक इस बात से मिलती है कि संगठन के पास करीब 99% क्लेम अब ऑनलाइन आ रहे हैं। यहां एक नजर डाल रहे हैं ऐसे 7 बदलावों पर जिनकी बदौलत EPFO ए नया कलेवर हासिल कर रहा है।
EPFO वित्त वर्ष 2025-26 में अपनी सेवाएं और ज्यादा आसान, तेज और पारदर्शी करने के लिए तैयारी में है। (तस्वीर: Shutterstock)
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees’ Provident Fund Organisation, EPFO) कर्मचारियों और पेंशनधारकों को कई सेवाएं देता है। प्रॉविडेंट फंड अकाउंट को मेंटेन करने से लेकर क्लेम जमा करने और ट्रैक करने की सुविधा आसान बनाने के लिए संगठन ने पिछले कुछ वक्त में काफी बदलाव भी किए हैं।
आगामी वित्त वर्ष 2025-26 में संगठन को और ज्यादा अडवांस्ड करने की तैयारी भी तेजी से चल रही है। राज्यसभा में श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री शोभा करांदलजे ने बताया है कि EPFO 3.0 पहल के जरिए EPFO को भविष्य के लिए तैयार, टेक्नॉलजी पर आधारित ऐसा संगठन बनाने की कवायद जारी है जिसके केंद्र में सदस्यों के हित हों।
उन्होंने बताया है कि इसके लिए हितधारकों से सुझाव मांगे गए हैं। उन्होंने यह भी बताया है कि इस कड़ी में नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के साथ बातचीत भी चल रही है। NPCI के साथ मिलकर EPFO पेमेंट सिस्टम को बैंकिंग सिस्टम के साथ जोड़ने की कोशिश कर रहा है।
करांदलजे ने संसद को बताया है कि ऑनलाइन सेवाओं की सफलता का अंदाजा इस बात से लगता है कि अब 99.31% से ज्यादा क्लेम ऑनलाइन मोड में आते हैं। इनके लिए सदस्यों को किसी ऑफिस जाने की जरूरत नहीं पड़ती। ऐसे ऑटो मोड वाले क्लेम तीन दिन के अंदर प्रोसेस भी हो जाते हैं।
अडवांस क्लेम्स को ऑटो-मोड में प्रोसेस करने में राशि की सीमा को बढ़ाकर ₹1 लाख कर दिया गया है। इसके अलावा बीमारी/अस्पताल में भर्ते होने के लिए अडवांस, हाउसिंग, एजुकेशन, शादी के लिए अडवांस को भी ऑटो-मोड में प्रोसेस किया जा सकता है। अब 60% अडवांस क्लेम ऑटो मोड में प्रोसेस हो रहे हैं।
सदस्यों के लिए अपनी जानकारी को सही करने क प्रक्रिया भी आसान कर दी गई है। जिन सदस्यों के पास आधार से वेरिफाई हो चुके UAN (Universal Account Number) हैं, वे अपनी आईडी में खुद ही बदलाव कर सकते हैं। इसके लिए EPFO की दखल की जरूरत नहीं रह गई है। अब 96% बदलाव बिना EPF ऑफिस की मदद के हो जाते हैं।
ट्रांसफर क्लेम जमा करने के आवेदन में नियोक्ता की जरूरत भी कम कर दी गई है। अब वियोक्ता की ओर से आधार से वेरिफाई हो चुके UAN को अटेस्ट करने की जरूरत नहीं है। अब सिर्फ 10% ट्रांसफर क्लेम में सदस्य और नियोक्ता का अटेस्टेशन चाहिए होता है।
ऐसे सदस्य जिनके UAN की KYC पूरी हो चुकी है, उनके लिए क्लेम फॉर्म के साथ चेक-लीफ जमा करने की जरूरत में ढील दी गई है।
सदस्यों को अपात्र क्लेम जमा करने से रोकने के लिए उन्हें पात्रता या क्लेम्स की वैलिडिटी के बारे में गाइड करने को साफ दिशा-निर्देश बनाए गए हैं।
CITES 2.01 के तहत सदस्यों के डेटाबेस को सेंट्रलाइज किया जा रहा है ताकि क्लेम सेटलमेंट के प्रोसेस को आसान किया जा सके।
69 लाख से ज्यादा पेंशनधारकों को केंद्रीकृत पेंशन भुगतान के लिए दिसंबर 2024 में सेंट्रलाइज्ड पेंशन पेमेंट्स सिस्टम (CPPS) पूरी तरह से लागू कर दिया गया था।
केंद्रीय राज्यमंत्री ने बताया है कि इनके अलावा EPFO ने सॉफ्टवेयर अपग्रेडेशन, NextGen फायरवॉल, सिक्यॉरिटी ऑडिट, साइबर जागरूकता और डेटा सिक्यॉरिटी के लिए ट्रेनिंग जैसे कदम उठाए हैं।
संबंधित समाचार
लेखकों के बारे में
अगला लेख