पर्सनल फाइनेंस
3 min read | अपडेटेड January 14, 2025, 08:51 IST
सारांश
National Pension System: कर्मचारियों के NPS से कुछ राशि निकालने पर आयकर कानून, 1961 के सेक्शन 10(12) बी के तहत टैक्स में छूट मिलती है। हालांकि, गैर-कर्मचारी सब्सक्राइबर्स को यह सुविधा नहीं है।
NPS अकाउंट से अपने योगदान की 25% राशि निकालने की इजाजत
नेशनल पेंशन सिस्टम में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इसके तहत ऐसे कर्मचारियों को भी कवर किया गया है जो औपचारिक क्षेत्र में नहीं हैं। हालांकि, अभी भी एक बेनिफिट ऐसा है जो NPS में कर्मचारियों को तो मिलता है, गैर-कर्मचारियों को नहीं। यह है NPS अकाउंट से कुछ राशि निकालने पर पड़ने वाला टैक्स।
NPS के नियमों के तहत जॉइनिंग के तीन साल के अंदर कुछ राशि निकालने की इजाजत होती है। NPS खाताधारक अपने योगदान का 25% निकाल सकते हैं, नियोक्ता के हिस्से का नहीं। कर्मचारियों के इस राशि को निकालने पर आयकर कानून, 1961 के सेक्शन 10(12) बी के तहत टैक्स में छूट मिलती है। हालांकि, गैर-कर्मचारी सब्सक्राइबर्स को यह सुविधा नहीं है।
अब जब बजट 2025 के पेश होने की तारीख नजदीक आ गई है, टैक्स एक्सपर्ट्स को उम्मीद है कि सरकार गैर-सरकारी कर्मचारियों को भी यह सुविधा दे सकती है। इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने सरकार को दिए गए ज्ञापन में सुझाव दिया है कि कानून में बदलाव करके गैर-कर्मचारियों को भी टैक्स से छूट दी जाए।
NPS के तहत निवेश पर आयकर कानून 1961 के सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन की इजाजत होती है। इसके लिए अधिकतम सीमा ₹1.5 लाख सालाना तय है। इसके अलावा सेक्शन 80सीसीडी(1बी) के तहत ₹50,000 का अतिरिक्त डिडक्शन भी मिलता है। इस तरह NPS के तहत कुल ₹2 लाख का डिडक्शन मिलता है।
वहीं, NPS अकाउंट बंद करने पर एक व्यक्ति को अपने फंड का 60% एकमुश्त मिल जाता है जबकि बचे हुए 40% में से एन्युटी प्लान खरीदना होगा। सेक्शन 10(12ए) के तहत अकाउंट बंद करने पर इस 60% तक के ऊपर टैक्स से छूट मिली हुई है।
यह सुविधा सिर्फ कर्मचारियों को थी लेकिन फाइनेंस ऐक्ट 2018 के तहत सभी खाताधारकों को इसके लिए एलिजिबल कर दिया गया था। वहीं, NPS अकाउंट से इसकी पूरी अवधि के दौरान कुछ राशि निकालने की इजाजत सिर्फ 3 बार है। हर बार सब्सक्राइबर्स 25% राशि ही निकाल सकते हैं।
ICAI ने इसके अलावा बजट 2025 के लिए सरकार को और भी सुझाव दिए हैं। संस्थान का कहना है कि घर कर्ज के ब्याज पर सरकार के टैक्स से डिडक्शन देने से घर खरीदकर किराये पर देने वालों को फायदा हो सकेगा। अभी किराये की रकम टैक्स से कम रह जाती है जिससे उन्हें नुकसान झेलना पड़ता है।
डिडक्शन को लेकर इसके अलावा ICAI का सुझाव यह भी है इसकी सीमा वेतनप्राप्त कर्मचारियों के लिए बढ़ानी चाहिए। ICAI के मुताबिक मौजूदा सीमा काफी कम है और महंगाई, नौकरी में बेहतर परफॉर्म करने के लिए जरूरी स्किल्स सीखने के खर्च को भी इसमें ध्यान रखना चाहिए।
यही नहीं, ICAI का यह भी प्रस्ताव है कि शादीशुदा जोड़ों को संयुक्त आयकर रिटर्न फाइल करने का विकल्प देना चाहिए। जहां पति-पत्नी दोनों शादीशुदा हों, वहां स्टैंडर्ड डिडक्शन भी अलग-अलग रहे।
लेखकों के बारे में
अगला लेख