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7 min read | अपडेटेड October 25, 2024, 18:50 IST
सारांश
पिछले कुछ सालों में पैसे से पैसा बनाने पर लोगों का भरोसा काफी ज्यादा बढ़ा है। एक समय था जब कहा जाता था कि किसी भी शख्स की पहचान उसकी कमाई से नहीं उसकी बचत से होती है, लेकिन अब जमाना थोड़ा बदला है और लोगों की सोच में भी बदलाव आया है। पिछले करीब 10 सालों में लोगों ने बचत से ज्यादा भरोसा इन्वेस्ट करने पर दिखाया है और यही वजह है कि भारत में म्यूचुअल फंड को लेकर नई क्रांति आ गई।
म्यूचुअल फंड क्या है, यह कैसे काम करता है?
म्यूचुअल फंड के जरिए आप अपनी कमाई से कमाई कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद अहम है। म्यूचुअल फंड की सबसे बड़ी ताकत है कंपाउंड इंटरेस्ट। म्यूचुअल फंड में पैसे लगाने के लिए तीन बातें सबसे ज्यादा अहम हैं, आप कितना पैसा लगा रहे हैं, उन पैसों को लगाने की आपकी स्ट्रैटजी क्या है और तीसरी और सबसे अहम बात आप कितने समय के लिए वो पैसा लगा रहे हैं।
क्या है कंपाउंड इंटरेस्ट, यहां समझें कंपाउंडिंग की ताकत
म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने से पहले आपको कंपाउंडिंग की ताकत के बारे में समझना भी बहुत जरूरी है। बचपन में हम सभी ने गणित में कंपाउंड इंटरेस्ट पढ़ा था और तब हमें इसकी परिभाषा पढ़ाई जाती थी, जिसे हम रट लेते थे और थोड़ा समझ लेते थे और फिर परीक्षा में जाकर लिख आते थे। हिंदी में चक्रवृद्धि ब्याज और अंग्रेजी में कंपाउंड इंटरेस्ट की असली ताकत आपको तब समझ आती है, जब आप कमाते हैं और म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करते हैं। इसको ऐसे समझा जा सकता है कि अगर म्यूचुअल फंड गाड़ी है, तो कंपाउंडिंग इसका पहिया है। कंपाउंडिंग के तहत अगर आप समय-समय पर एक निश्चित अमाउंट का म्यूचुअल फंड लेते हैं, तो लंबे समय तक ऐसा करने पर आपको रिटर्न जबर्दस्त मिल सकता है क्योंकि तब आपको इन्वेस्ट किए गए अमाउंट पर जो ब्याज होगा, उस पर भी आपको ब्याज मिलता जाएगा। जब आप म्यूचुअल फंड में पैसे लगाएंगे, तो इस पैसे से आपकी कमाई साल दर साल बढ़ती जाएगी और तब आपको असल में कंपाउंडिंग का फायदा नजर आने लगेगा।
कंपाउंडिंग किस तरह से काम करती है
जितना जल्दी, उतना बेहतरः आप इन्वेस्ट करना जितना जल्दी शुरू करेंगे और जितनी कम उम्र में करना शुरू करेंगे, उतना ज्यादा समय आपके पैसे को ग्रो करने के लिए मिलेगा। इसके अलावा आप अपनी अलग-अलग जरूरतों के लिए अलग-अलग एसआईपी कर सकते हैं।
अलग-अलग म्यूचुअल फंड में करें इन्वेस्टः अगर आप अलग-अलग म्यूचुअल फंड में पैसा इन्वेस्ट करते हैं, तो इससे आपका रिस्क कम होता है। एक ही फंड में सारा पैसा इन्वेस्ट करने से आपका रिस्क बढ़ सकता है।
आलसी ना बनेंः म्यूचुअल फंड में आप हर महीने तय तारीख पर इन्वेस्ट करें और इसमें अनुशासन लेकर आएं, मार्केट अगर डाउन भी है, तो अपने तय समय पर पैसा जरूर इन्वेस्ट करें। म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने और इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने के लिए जरूरी है कि आप अनुशासित रहें और इन्वेस्टमेंट में किसी तरह की ढिलाई ना बरतें। इस तरह से आप अपनी इन्वेस्टमेंट का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा सकते हैं।
अच्छी रिसर्च के साथ-साथ धैर्य भी जरूरीः अपने म्यूचुअल फंड को लेकर रिसर्च करें, इसके साथ-साथ धैर्य का इसमें बहुत अहम रोल है क्योंकि अगर मार्केट डाउन हो रहा है और आपको अपना पैसा कुछ कम नजर आ रहा है तो एकदम से घबराकर उसे बेचने का फैसला ना लें। मार्केट में बदलाव क्यों आया है, आपके म्यूचुअल फंड में गिरावट क्यों आई है और फ्यूचर में इसका क्या हो सकता है, इन सभी चीजों पर अच्छे से रिसर्च करें और उसके हिसाब से ही फैसला लें, हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि जल्दबाजी का काम शैतान का होता है।
भारत में कैसे आई म्यूचुअल फंड की क्रांति
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के मुताबिक पिछले 10 सालों में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की ग्रोथ छह गुना से ज्यादा की रही है। 30 जून 2014 तक जहां म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री 9.75 लाख करोड़ की थी, वहीं 30 जून 2024 तक यह 61.16 लाख करोड़ रुपये की हो चुकी है। एएमएफआई डेटा की मानें तो जून 2019 से पिछले पांच सालों में हर महीने औसत 17.88 लाख नए फोलियो हर महीने जुड़ते हैं। यह आंकड़ा दिखाता है कि म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने को लेकर लोगों का विश्वास किस तरह से बढ़ा है।
कितने तरह के होते हैं म्यूचुअल फंड्स
म्यूचुअल फंड इन्वेस्ट करने का ऐसा तरीका है, जिसमें कई इन्वेस्टर्स का पैसा एकसाथ जमा होता है, और फिर उन पैसों का इस्तेमाल बॉन्ड, स्टॉक या दोनों को मिलाकर सिक्योरिटीज खरीदने में किया जाता है। फंड मैनेज करने का काम प्रोफेशनल फंड मैनेजर करते हैं। म्यूचुअल फंड को एसेट्स और इन्वेस्टमेंट के आधार पर पांच कैटेगरी में बांटा गया है-
1- इक्विटी म्यूचुअल फंड्स (Equity Mutual Funds) ये फंड कंपनियों के शेयरों या इक्विटी में इन्वेस्ट करते हैं। आगे इनको मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप में डिवाइड किया जाता है। 2- डेट म्यूचुअल फंड्स (Debt Mutual Funds) सरकारी या कॉर्पोरेट बॉन्ड जैसी फिक्स्ड इनकम वाली सिक्योरिटीज इन्वेस्ट करने को डेट म्यूचुअल फंड कहते हैं। इस म्यूचुअल फंड में कम खतरा होता है। डेट म्यूचुअल फंड के प्रकार के बारे में बात करें तो अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड, शॉर्ट ड्यूरेशन फंड, मीडियम ड्यूरेशन फंड लॉन्ग ड्यूरेशन फंड और गिल्ट फंड इसमें शामिल हैं। 3- लिक्विड म्यूचुअल फंड्स (Liquid Mutual Funds) हाइ लिक्विडिटी और कम खतरे के साथ अगर शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट की तलाश है, तो ऐसे में लिक्विड म्यूचुअल फंड अच्छा ऑप्शन साबित हो सकता है। 4- हाइब्रिड म्यूचुअल फंड्स (Hybrid Mutual Funds) हाइब्रिड या बैलेंस्ड म्यूचुअल फंड, इक्विटी और डेट इंस्ट्रूमेंट्स के मिक्सचर में इन्वेस्ट करते हैं। कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड, एग्रेसिव हाइब्रिड फंड और बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में इसको बांटा जा सकता है। 5- इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (Equity Linked Savings Scheme, ELSS) इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम म्यूचुअल फंड के जरिए आप टैक्स बचा सकते हैं। ये फंड इनकम टैक्स एक्ट में 80C के तहत आपको टैक्स छूट में फायदा देने वाला होता है। डाइवर्सिफाइड, लार्ज कैप, मिड-कैप, स्मॉल कैप और सेक्टर स्पेसफिक ELSS म्यूचुअल फंड के पांच प्रकार हैं।
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