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Vivad Se Vishwas Scheme 2.0: आगे बढ़ी विवाद से विश्वास 2.0 की आखिरी तारीख, क्या है योजना, जानें सब

Upstox

4 min read | अपडेटेड January 01, 2025, 11:30 IST

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सारांश

Vivad se Vishwas Scheme 2.0: टैक्स विवादों में फंसे करदाताओं को इसे लेकर डेक्लरेशन फाइल करने के लिए अब और समय मिल गया है। इस योजना के जरिए ऐसे मामलों को जल्दी सुलझाने की कोशिश की जाती है।

कम राशि और कम समय में सुलझ जाते हैं टैक्स विवाद

कम राशि और कम समय में सुलझ जाते हैं टैक्स विवाद

आयकर विभाग (Central Board of Direct Taxes, CBDT) ने विवाद से विश्वास योजना (Vivad se Vishwas Scheme) के तहत बचे हुए टैक्स की राशि कैलकुलेट करने के साथ-साथ ब्याज और जुर्माने की छूट के लिए जानकारी दाखिल करने की तारीख 31 जनवरी तक बढ़ा दी है। इससे बड़ी संख्या में ऐसे करदाताओं को राहत मिलेगी जो टैक्स विवाद के मामलों में फंसे हैं।

एक डेटा के मुताबिक लगभग ₹35 लाख करोड़ की लगभग 2.7 करोड़ डायरेक्ट टैक्स डिमांड पर अलग-अलग लीगल प्लेटफॉर्म्स पर विवाद चल रहा है। इन्हें सुलझाने से अदालतों का बोझ भी कम होगा, सरकार को टैक्स का कुछ हिस्सा भी मिलेगा और करदाता भी निश्चिंत हो सकेंगे।

इसके पहले प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास योजना, 2024 के तहत, 31 दिसंबर, 2024 से पहले टैक्स डेक्लरेशन दाखिल करने वाले पर विवादित टैक्स डिमांड का 100% भुगतान करना पड़ता। ऐसे मामलों में अब ब्याज और जुर्माना माफ कर दिया गया है।

CBDT की जानकारी के मुताबिक 1 फरवरी, 2025 या उसके बाद किए जाने वाली डेक्लरेशन पर विवादित टैक्स डिमांड का 110% भुगतान करना होगा। हैं।

क्या है विवाद से विश्वास योजना?

विवाद से विश्वास योजना 2.0, 2024 (Direct Tax Vivad Se Vishwas Scheme 2024) की घोषणा 23 जुलाई को पेश वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में की गई थी। योजना 1 अक्टूबर, 2024 से अमल में आई। इसका मुख्य लक्ष्य टैक्स को लेकर अदालतों में पेंडिंग चल रहे मामलों को सुलझाने का है।

इस योजना के तहत आयकर विभाग के साथ उलझे करदाता कम राशि का भुगतान करके कम समय में विवादों से छुटकारा पा सकते हैं। CBDT ने अपने दिशा-निर्देशों में मामलों के हिसाब से भुगतान के लिए राशि भी तय की है।

कौन से मामलों में मिलता है फायदा?

इसमें सिर्फ आयकर से जुड़े टैक्स विवाद आते हैं और संपत्ति कर, सिक्यॉरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स, कमॉडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स या इक्विलाइजेशन लेवी इसके अंतर्गत नहीं आते हैं। ऐसे सभी मामले जो 22 जुलाई, 2024 तक हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में लंबित हों, उन्हें विवाद से विश्वास योजना 2.0 के अंतर्गत सुलझाया जा सकता है।

कैसे होता है सेटलमेंट?

इस पूरी प्रक्रिया में चार फॉर्म लगते हैं- फॉर्म 1, फॉर्म 2, फॉर्म 3 और फॉर्म 4। सबसे पहले करदाताओं को Form 1 में अपना डेक्लरेशन देना होता है जिसकी आखिरी तारीख अब 31 जनवरी, 2025 है। इसके बाद 15 दिन के अंदर Form 2 जारी किया जाता है जिसमें करदाता को वह राशि बताई जाती है जो उन्हें जमा करनी होती है।

Form 2 मिलने के बाद 15 दिन के अंदर यह राशि जमा करनी होती है और जमा करने के बाद पेमेंट से जुड़ी डीटेल्स Form 3 में भरकर सबमिट करनी होती हैं। Form 3 मिलने के बाद Form 4 जारी कर सेटलमेंट को कन्फर्म कर दिया जाता है।

कौन से मामले नहीं किए जा सकते सेटल?

ऐसे मामले जिनमें धारा 132 या 132ए के तहत सर्च के बाद असेसमेंट धारा 143(3), 144, 147, 153ए या 153सी के तहत किया गया हो, वे विवाद से विश्वास योजना 2.0 के तहत सेटल नहीं किए जा सकते हैं।

इनके अलावा COFEPOSA ऐक्ट, 1974; UAPA ऐक्ट, 1967; NDPS ऐक्ट 1985; PBPT ऐक्ट, 1988; PC ऐक्ट, 1988; और PMLA 2002 के तहत आने वाले मामले भी इस योजना में नहीं सुलझाए जा सकते हैं।

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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