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ट्रेडिंग करने से पहले समझ लें इंट्राडे और डिलिवरी ट्रेडिंग में क्या हैं अंतर

Upstox

5 min read | अपडेटेड November 06, 2024, 11:30 IST

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सारांश

अगर आप ट्रेडिंग की दुनिया में एंट्री कर रहे हैं, तो अपको यह पता होना चाहिए कि कितनी तरह की ट्रेडिंग होती है। स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग के कई अलग-अलग पहलू हैं। इंट्राडे ट्रेडिंग और डिलिवरी ट्रेडिंग क्या होती है, किस तरह से काम करती है और दोनों में क्या अंतर है, जानते हैं यहां।

इंट्राडे और डिलिवरी ट्रेडिंग जानना है जरूरी

इंट्राडे और डिलिवरी ट्रेडिंग जानना है जरूरी

स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग के कई अलग-अलग पहलू हैं। इनमें से कुछ में शेयरों को शॉर्ट टर्म के लिए खरीदा और बेचा जाता है, तो कुछ में इसे शेयरों को लॉन्ग टर्म के लिए खरीदा और बेचा जाता है। शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के दो तरीके हैं- इंट्राडे ट्रेडिंग या डिलिवरी ट्रेडिंग।

जब आप एक ही ट्रेडिंग दिन के अंदर स्टॉक खरीद और बेच रहे हैं, तो आप इंट्राडे ट्रेडिंग में शामिल हो रहे हैं। इंट्राडे ट्रेडिंग के उलट, डिलिवरी ट्रेडिंग में सिर्फ ट्रेडिंग मौके का फायदा नहीं उठाना होता है, इसमें इन्वेस्टमेंट को लेकर आपका इरादा काफी क्लियर होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें इन्वेस्टर्स के दिमाग में यह बात क्लियर होती है कि उन्हें स्टॉक होल्डिंग लंबे समय तक बनाए रखनी पड़ सकती है।

जबकि इंट्राडे ट्रेडिंग लो कैपिटल अकाउंट्स और मार्जिन पेमेंट्स का मौका देती है, डिलिवरी ट्रेडिंग को अपने ट्रांजैक्शन के लिए पूरी रकम की जरूरत होती है।

इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है?

जब आप एक ही ट्रेडिंग दिन के अंदर स्टॉक खरीद और बेच रहे हैं, तो आप इंट्राडे ट्रेडिंग में शामिल हो रहे हैं। इस प्रोसेस में अगर देखा जाए तो इन्वेस्टमेंट का कोई खास गोल नहीं होता है, यहां बस प्रोफिट कमाने पर नजर होती है।

यह स्टॉक सूचकांकों के मूवमेंट का इस्तेमाल करके किया जाता है, जिसका मतलब है कि स्टॉक की ट्रेडिंग से मुनाफा कमाने के लिए स्टॉक की अलग-अलग कीमतों का इस्तेमाल किया जाता है। इंट्राडे ट्रेडिंग में भाग लेने के लिए, एक ऑनलाइन ट्रेडिंग अकाउंट स्पेसिफिक ऑर्डर के साथ बनाया जाना चाहिए, जो इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए ही हो। ट्रेडिंग डे खत्म होने से पहले इन ऑर्डरों का निपटान कर दिया जाता है।

इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे

ट्रेडर्स को केवल थोड़े से कैपिटल इन्वेस्टमेंट की जरूरत होती है क्योंकि पेमेंट्स छोटे मार्जिन में की जा सकती हैं। इन्वेस्टर्स मैक्सिमम प्रोफिट कमाने के लिए कैपिटल का फायदा उठा सकते हैं। यह शेयरों के रातोंरात जोखिम को खत्म कर देता है।

इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान

यह कोई लॉन्ग टर्म कैपिटल इन्वेस्टमेंट नहीं है। लेवरेज (ज्यादा फायदा) के इस्तेमाल से ज्यादा नुकसान हो सकता है। ट्रेडर्स को इस पर लगातार फोकस बनाए रखना होता है क्योंकि दिन के अंत के साथ ही ट्रेडिंग भी खत्म हो जाती है।

डिलिवरी ट्रेडिंग क्या है?

डिलिवरी ट्रेडिंग शेयर मार्केट में सबसे आम ट्रेडिंग तरीकों में से एक है। इंट्राडे ट्रेडिंग से उलट, डिलिवरी ट्रेडिंग में केवल ट्रेडिंग मौकों की तुलना में इन्वेस्टमेंट को लेकर क्लियर गोल और इंटेंशन शामिल होते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन्वेस्टर्स के मन में अपने स्टॉकहोल्डिंग को लंबे समय तक बनाए रखना है।

इस प्रोसेस में, स्टॉक को बेचने को लेकर कोई समयसीमा नहीं होती है। जब तक स्टॉक संबंधित डीमैट अकाउंट्स में डिलिवर की जाती है, इसे डिलिवरी ट्रेड माना जाता है। आप डीमैट अकाउंट के बिना डिलिवरी ट्रेड नहीं कर सकते - क्योंकि डीमैट अकाउंट वह जगह है जहां आपके स्टॉक जमा किए जाएंगे।

डिलिवरी ट्रेडिंग के फायदे

स्टॉक बेचने की कोई समय सीमा नहीं है। यह डिवाइडेन्स, बोनस इश्यू, राइट्स इश्यू आदि के रूप में आसान बोनस अर्निंग देता है। यह इन्वेस्टर्स के फायदे को अहम रूप से बढ़ाने में मदद करता है क्योंकि कंपनी के डिवाइडेन्स और बोनस के जरिए ओनर को हाई रिटर्न देता है।

शॉर्ट सेलिंग का कोई जोखिम नहीं है. शॉर्ट सेलिंग मार्केट में बेचने के लिए शेयरों को उधार लेने और फिर ट्रेडिंग डे के अंत से पहले इसे वापस खरीदने का प्रोसेस है।

डिलिवरी ट्रेडिंग के नुकसान

पहले ही पूरी पेमेंट करना: अगर इन्वेस्टर्स ट्रेडिंग का पूरा पैसा पहले नहीं देता है, तो ऐसे में कोई ट्रेडिंग नहीं की जा सकती है। ऐसे में, एक इन्वेस्टर पैसे की कमी के चलते एक अच्छा मौका खो सकता है।

इंट्राडे ट्रेडिंग vs डिलिवरी ट्रेडिंग

यह निष्कर्ष निकालना आसान है कि इंट्राडे ट्रेडिंग आमतौर पर एक दिन के अंदर पूरी हो जाती है। इसका आम तौर पर मतलब यह है कि दिन में खरीदे गए सभी शेयर मार्केट बंद होने से पहले, दिन के अंत तक बेचे जाने चाहिए। अगर ये शेयर नहीं बेचे जाते हैं, तो दिन खत्म होने के समय इन्हें ऑटोमैटिकली चुकता कर दिया जाता है।

हालांकि, दूसरी ओर, डिलिवरी बेस्ड ट्रेडिंग में, खरीदे गए शेयरों को अधिक प्रॉफिट रिटर्न के लिए लंबे समय तक बनाए रखा जा सकता है। जबकि इंट्राडे ट्रेडिंग लो कैपिटल अकाउंट्स और मार्जिन पेमेंट्स का मौका देती हैं, डिलिवरी ट्रेडिंग को अपने लेनदेन के लिए पूरी रकम की जरूरत होती है।

एक इंट्राडे ट्रेडर के रूप में, अगर कोई छोटे-छोटे अंतराल पर शेयरों के प्राइस का सही प्रिडिक्शन कर सकता है, तो इंट्राडे ट्रेडिंग एक अच्छा ऑप्शन है। फिर भी, ऐसे कई टेक्निकल टूल्स हैं जो शॉर्ट टर्म प्राइस मूवमेंट्स को प्रिडिक्ट करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, अगर किसी को लगता है कि लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट उनके लिए बेहतर है, और इसकी उन्हें अच्छी जानकारी है, तो डिलिवरी ट्रेडिंग बेहतर ऑप्शन हो सकता है।

शेयर मार्केट में लेन-देन करते समय, आप या तो इंट्राडे ट्रेड कर सकते हैं, या डिलिवरी ट्रेड कर सकते हैं। इंट्राडे ट्रेड पूरी तरह से मुनाफे से चलते हैं और उसी दिन बंद हो जाते हैं। दूसरी ओर डिलिवरी ट्रेड में एक दिन से अधिक समय तक स्टॉक रखना शामिल होता है, और इसलिए इन्वेस्टर्स को डीमैट अकाउंट खोलने की जरूरत होती है।

FAQs

इंट्राडे ट्रेडिंग या डिलिवरी ट्रेडिंग में से बेहतर विकल्प कौन सा है? अगर आपको शॉर्ट टर्म फायदा देखना है और बस मुनाफे के लिए ट्रेडिंग करनी है, तो ऐसे में इंट्राडे ट्रेडिंग बेहतर विकल्प है, लेकिन अगर आपको लॉन्ग टर्म गोल के साथ इन्वेस्टमेंट करनी है, तो इसके लिए डिलिवरी ट्रेडिंग बेहतर विकल्प है।
इंट्राडे ट्रेडिंग का मतलब क्या है? इंट्राडे ट्रेडिंग सिर्फ और सिर्फ मुनाफे से चलते हैं, साथ ही उसी दिन मार्केट बंद होने के साथ ट्रेडिंग भी बंद हो जाती है। इसमें आप स्टॉक को ज्यादा समय के लिए होल्ड नहीं कर सकते हैं।
डिलिवरी ट्रेडिंग क्या है? डिलिवरी ट्रेडिंग में एक दिन से अधिक समय तक स्टॉक रखना शामिल होता है, और इसलिए इन्वेस्टर्स को डीमैट अकाउंट खोलने की जरूरत होती है।
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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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