मार्केट न्यूज़
2 min read | अपडेटेड November 21, 2024, 13:20 IST
सारांश
Adani Group के लिए स्टॉक मार्केट में मुश्किलें खड़ी होती दिख रही हैं। अमेरिका में Gautam Adani और Sagar Adani समेत 7 लोगों पर आरोप लगा है कि एक कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को करोड़ों रुपये की घूस दी गई थी।
Adani Group executives allegedly used PowerPoint presentations and Excel sheets to manage bribes totaling $250 million, federal prosecutors revealed.
भारतीय अरबपति और दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक गौतम अडानी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। अडानी ग्रुप के खिलाफ अमेरिका में अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप सही पाया गया है। इसके बाद कंपनी के शेयर्स में 23% की गिरावट देखी गई है।
अटकलें लगाई जा रही थीं कि अडानी ग्रुप की कंपनियों, जैसे अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी पावर, अडानी एंटरप्राइज, पोर्ट्स, टोटल गैस और विल्मार के शेयर्स पर दबाव बन सकता है।
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से दावा किया गया है कि अडानी समेत 7 आरोपियों ने भारतीय अधिकारियों को $2.65 करोड़ की घूस दी थी। आरोप है कि अडानी ग्रुप ने 20 साल के दौरान $2 बिलियन प्रॉफिट देने वाले एक कॉन्ट्रैक्ट को हासिल करने के लिए और भारत में सबसे बड़े सौर ऊर्जा प्रॉजेक्ट को बनाने के लिए यह घूस दी थी।
यह भी आरोप है कि अडानी ग्रीन एनर्जी के पूर्व CEO विनीत जैन और अडानी परिवार ने निवेशकों और देनदारों से अपनी भ्रष्ट गतिविधियों को छिपाते हुए $3 बिलियन कर्ज और बॉन्ड के जुटा लिए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि गौतम अडानी, सागर अडानी और जैन के ऊपर सिक्यॉरिटीज फ्रॉड, कॉन्सपिरेसी, वायर फ्रॉड कॉन्सपिरेसी के चार्ज लगाए गए हैं जबकि अडानी परिवार पर अमेरिकी सिक्यॉरिटी ऐंड एक्सचेंज कमीशन सिविल केस भी लगाया गया है। कहा गया है कि अडानी को इस दौरान 'बिग मैन' कोड नेम दिया गया था जबकि सागर खुद रिश्वत से जुड़े मूवमेंट को ट्रैक कर रहे थे।
इसके पहले अडानी ग्रुप की मुश्किलें तब बढ़ गई थीं जब हिंडनबर्ग रिसर्च ने 2023 में दावा किया था कि ग्रुप ने स्टॉक्स का मैनिपुलेशन और अकाउंट्स फ्रॉड किया है। इसके बाद निवेशक कंपनी स्टॉक्स बेचने लगे थे। हालांकि, कुछ महीनों में स्थिति सामान्य हो गई थी।
इसे लेकर सिक्यॉरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने जांच भी की थी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी कि मामले की जांच CBI या SIT से करानी चाहिए जिसे सर्वोच्च अदालत से खारिज कर दिया था।
लेखकों के बारे में
अगला लेख