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4 min read | अपडेटेड December 26, 2024, 17:38 IST
सारांश
Svamitva Yojana: PM Narendra Modi करीब 50 हजार गांवों के 58 लाख लाभार्थियों को डिजिटली स्वामित्व प्रॉपर्टी कार्ड देंगे। इसके साथ ही कुल कार्ड्स की संख्या 2 करोड़ को पार कर जाएगी।
पुख्ता होंगे गांवों में संपत्ति से जुड़े अधिकार, सामाजिक और आर्थिक फायदे मिलेंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 दिसंबर को स्वामित्व योजना के तहत 58 लाख लाभार्थियों को प्रॉपर्टी कार्ड का डिजिटल वितरण करेंगे। पीएम मोदी ने 24 अप्रैल, 2020 को स्वामित्व योजना (SVAMITVA- Survey of Villages and Mapping with Improvised Technology in Village Areas) को लॉन्च किया था। पंचायती राज मंत्रालय के तहत आने वाली यह एक सेंट्रल सेक्टर स्कीम है।
इसका लक्ष्य ग्रामीण इलाकों में संपत्ति के मालिकों के अधिकारों के रेकॉर्ड स्थापित करना है। इसके जरिए गांवों में रिहायशी जमीन के मालिकना हक को पुख्ता करने की कवायद की जा रही है। जमीन से जुड़े रेकॉर्ड्स तैयार होने पर ग्रामीण नागरिकों का आर्थिक और सामाजिक सशक्तीकरण किया जा सकेगा। सरकार का लक्ष्य है कि साल 2026 तक 2.2 करोड़ प्रॉपर्टी कार्ड्स तैयार कर दिए जाएं।
स्वामित्व स्कीम के अंदर ग्रामीण इलाकों में रिहायशी जमीन के मैप ड्रोन्स की मदद से जनरेट किए जाते हैं। इन नक्शों को जियो-रेफरेंस किया जाता है यानी किसी एक जगह की भौगोलिक स्थिति को एक फ्रेम के अंदर रखा जाता है ताकि उसकी लोकेशन का पता चल सके।
संपत्ति की डिजिटल तस्वीरों की मदद से जियो-रेफरेंसिंग की जाती है। राज्यों की मदद से पंचायती राज मंत्रालय इन प्रॉपर्टी कार्ड्स को डिजीलॉकर के साथ जोड़कर इन रेकॉर्ड्स के इस्तेमाल को आसान बनाना चाहता है।
जमीन के सटीक और आधिकारिक रेकॉर्ड्स के बिना उसके मालिकों के लिए वित्तीय संस्थानों से आर्थिक मदद लेन मुश्किल हो जाता है। इसके चलते वे या तो कैपिटल जुटा नहीं पाते, या फिर स्थानीय साहूकारों से कमरतोड़ ब्याज पर कर्ज लेते हैं। स्वामित्व योजना रेकॉर्ड्स को पुख्ता कर इस समस्या का समाधान करती है।
इसके अलावा स्थानीय प्रशासन के लिए वित्तीय संसाधन जुटाना आसान हो जाता है क्योंकि टैक्स या फीस लगाने के लिए उसके पास सही मालिक की पहचान का साधन आ जाता है। संपत्ति का स्थिति का पता होने से बुनियादी ढांचों की प्लानिंग भी सटीकता से हो सकती है। यही नहीं, संपत्ति से जुड़े झगड़ों को भी जल्दी सुलझाया जा सकता है।
ग्रामीण इलाकों में रिहायशी जमीन पर रहने वाले ऐसे लोग जिनके पास उनकी संपत्ति है, मैपिंग के जरिए अपने रेकॉर्ड दर्ज करा सकते हैं। इस योजना से खेती की जमीन को बाहर रखा गया है।
संपत्तिधारक को अपना पहचानपत्र, जमीन के मालिकाना हक से जुड़े मौजूदा दस्तावेज पेश करने होंगे। इनके अलावा संबंधित रेवेन्यू अधिकारी जो दस्तावेज मांगते हैं, वे भी जमा करने होंगे।
अभी तक ड्रोन्स का इस्तेमाल करके भारत के 3.17 लाख गांवों की मैपिंग की जा चुकी है। इनमें से 1.49 लाख गांवों में 2.19 करोड़ प्रॉपर्टी कार्ड तैयार किए जा चुके हैं। 27 दिसंबर, 2024 को पीएम मोदी करीब 50 हजार गांवों के 58 लाख लाभार्थियों को डिजिटली स्वामित्व प्रॉपर्टी कार्ड देंगे। इसके साथ ही कुल कार्ड्स की संख्या 2 करोड़ को पार कर जाएगी।
अब तक 31 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश इस योजना में शामिल हो चुके हैं। इनमें से सिक्किम, तेलंगाना और तमिलनाडु ने केवल प्रायोगिक रूप से परियोजना में हिस्सा लिया है, जबकि पश्चिम बंगाल, बिहार, नगालैंड और मेघालय इस योजना में शामिल नहीं हुए हैं।
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