पर्सनल फाइनेंस
3 min read | अपडेटेड January 02, 2025, 16:40 IST
सारांश
India Non-Life Insurance: बीमा डेंसिटी या घनत्व देश में बीमा क्षेत्र के विकास को दर्शाता है। इसे कंपनियों द्वारा लिए गए प्रीमियम और देश की आबादी के अनुपात के तौर पर निकाला जाता है।
जीएसटी हटाने से किफायती हो जाएंगी बीमा योजनाएं
भारत में सामान्य बीमा योजना का फायदा उठाने वाले लोग कम ही हैं लेकिन एक आकलन के मुताबिक नए साल में इनकी संख्या में तेजी से इजाफा होने वाला है। बीमा उद्योग को उम्मीद है कि नियमों के सरल होने और इनोवेटिव प्रॉडक्ट्स के आने से कस्टमर्स की जरूरतें बेहतर तरीके से पूरी होंगे, जिससे यह बढ़त 2025 में देखी जाएगी।
इंडस्ट्री को वस्तु एवं सेवा कर (Goods & Services Tax, GST) से भी काफी उम्मीदें हैं। यहां माना जा रहा है कि अगर जीएसटी में राहत मिलती है और मोटर थर्ड पार्टी रेट्स पर पुनर्विचार किया जाता है कि सामान्य बीमा कराने वालों की संख्या में बढ़ोतरी देखी जा सकती है।
फ्यूचर जनरली भारत बीमा कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ अनूप राऊ क कहना है कि जीवन बीमा के साथ-साथ पशुओं और घर के बीमा जैसे उत्पादों की मांग बढ़ सकती है। उनका कहना है कि इस साल 14% का ग्रोथ रेट छुआ जा सकता है।
वहीं कुछ इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि बीमा को किफायती और आसान बनाना होगा। HDFC ERGO जनरल इंश्योरेंस के एमडी और सीऊओ अनुज त्यागी का कहना है कि इसके लिए उत्पादों में इनोवेशन और कस्टमर सर्विस को बेहतर करने से बीमा न सिर्फ बड़े शहरों बल्कि टियर 2-3 शहरों तक भी पहुंचेगा।
बजाज अलियांज जनरल बीमा के एमडी और सीऊओ तपन सिंघल का कहना है कि साइबर बीमा तेजी से लोकप्रिय हो सकता है। इसके अलावा आपदा प्रबंधन और श्योरिटी बॉन्ड्स के लिए बीमा का चलन पड़ सकता है।
भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority of India, IRDAI) ने अपनी हालिया सालाना रिपोर्ट में कहा है कि बीमा डेंसिटी गैर-जीवन उद्योग में 2022-23 के USD 22 से USD 25 हो गई है। बीमा डेंसिटी या घनत्व देश में बीमा क्षेत्र के विकास को दर्शाता है। इसे कंपनियों द्वारा लिए गए प्रीमियम और देश की आबादी के अनुपात के तौर पर निकाला जाता है।
राऊ का कहना है कि जीएसटी हटाने से स्वास्थ्य बीमा किफायती हो जाएगा। इससे ज्यादा लोग योजनाएं लेंगे और सरकार का स्वास्थ्य कवरेज देने का बोझ कम होगा। मोटर थर्ड पार्टी प्रीमियम भी 5 साल से बदला नहीं गया है और इसे भी बदलने की जरूरत है।
स्विस रे की एक रिपोर्ट की मानें तो भारत में बीमा सेक्टर बाकी सभी जी20 देशों की तुलना में कहीं तेज रफ्तार से आगे निकल सकता है। इसके मुताबिक कुल प्रीमियम 2024 से 2028 के बीच 7.1% की दर से बढ़ेगा जबकि अंतरराष्ट्रीय औसत 2,4% रहेगा।
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