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3 min read | अपडेटेड February 21, 2025, 09:04 IST
सारांश
Income Tax rebate on Capital Gains: बजट 2025 के तहत वित्त विधेयक, 2025 में सेक्शन 87ए में मिलने वाली रिबेट की सीमा को ₹25,000 से बढ़ाकर ₹60,000 किया गया है।
बजट 2025-26 में दिया गया है ₹12 लाख की आमदनी पर इनकम टैक्स से छूट का प्रस्ताव।
बजट 2025-26 में नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) के तहत आयकर पर छूट की सीमा को ₹7 लाख से बढ़ाकर ₹12 लाख करने का प्रस्ताव दिया गया है। आयकर कानून, 1961 के तहत सेक्शन 87ए में रिबेट के जरिए दी गई इस राहत पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes, CBDT) ने स्थिति साफ की है।
CBDT ने बताया है कि इस रिबेट में सेक्शन 111ए और 112 के तहत कैपिटल गेन्स पर लगने वाले टैक्स में बदलाव नहीं किया गया है।
CBDT ने वित्त विधेयक, 2025 पर एक दस्तावेज में बताया है कि ऐसे मामलों में जहां रेजिडेंट व्यक्तियों ने नई कर व्यवस्था को सेक्शन 115बीएसी के तहत चुना है, वहां स्पेशल रेट पर टैक्स होने वाली आमदनी- जैसे सेक्शन 111ए, सेक्शन 112- सेक्शन 87ए के तहत रिबेट कैलकुलेट करने में नहीं शामिल की जाएंगी।
बजट 2025 के तहत वित्त विधेयक (Finance Bill 2025) में टैक्स रिबेट के लिए आमदनी की सीमा को ₹7 लाख से बढ़ाकर ₹12 लाख कर दिया गया है। इसके जरिए सेक्शन 87ए में मिलने वाली रिबेट की सीमा को ₹25,000 से बढ़ाकर ₹60,000 किया गया है।
इसमें स्लैब रेट्स में बदलाव और बेसिक छूट की सीमा को बढ़ाकर ₹4 लाख करने का प्रस्ताव भी दिया गया है। यानी, वित्त विधेयक 2025 के लागू होने के बाद नई कर व्यवस्था के तहत ₹12 लाख तक की आमदनी पर कोई टैक्स नहीं पड़ेगा।
कुल आय (₹) | आयकर दर |
---|---|
₹4,00,000 तक | 0% |
₹4,00,001 से ₹8,00,000 तक | 5% |
₹8,00,001 से ₹12,00,000 तक | 10% |
₹12,00,001 से ₹16,00,000 तक | 15% |
₹16,00,001 से ₹20,00,000 तक | 20% |
₹20,00,001 से ₹24,00,000 तक | 25% |
₹24,00,000 से अधिक | 30% |
अगर बिना किसी बदलाव के वित्त विधेयक, 2025 को संसद में पारित कर दिया जाता है तो यह 1 अप्रैल, 2025 से लागू हो जाएगा। केंद्र सरकार ज्यादा से ज्यादा लोगों को नई कर व्यवस्था के साथ जोड़ना चाहती है। इसलिए इसके तहत टैक्स में छूट के दायरे को बढ़ाया गया है।
सरकार को उम्मीद है कि टैक्स में राहत मिलने से लोगों के पास खर्च करने को ज्यादा आमदनी रहेगी। इससे सेविंग्स और निवेश के साथ-साथ वस्तुओं और सेवाओं की मांग में बढ़ोतरी होगी जिससे उत्पादन और सप्लाई में भी इजाफा होने की उम्मीद है। इनके जरिए देश की आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार भी मिल सकेगी।
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