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2 min read | अपडेटेड January 08, 2025, 12:18 IST
सारांश
Dr. V Narayanan: गगनयान मिशन पर कर चुके हैं काम। क्रायोजेनिक प्रोपल्शन सिस्टम में भारत को आत्म निर्भर बनाने में अहम योगदान।
डॉ. वी नारायणन फिलहाल इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर के डायरेक्टर हैं
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation) के चेयरमैन एस सोमनाथ अपने पद से जल्द ही रिटायर होने जा रहे हैं। उनकी जगह लेंगे प्रतिष्ठित वैज्ञानिक डॉ. वी नारायणन। डॉ. नारायणन 14 जनवरी को एस सोमनाथ की जगह लेंगे जो तीन साल से इसरो की कमान संभाले हुए थे।
डॉ. वी नारायणन फिलहाल इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर के डायरेक्टर हैं। LPSC लॉन्च वीइकल्स की लिक्विड, सेमी क्रायोजेनिक और क्रायोजेनिक प्रोपल्शन स्टेज का डिवेलपमेंट करता है। डॉ. नारायणन ने 1984 में इसरो को जॉइन किया था। वह PSLV (पोलर सैटलाइट लॉन्च वीइकल) और ASLV (ऑगमेन्टेड सैटलाइट लॉन्च वीइकल) पर विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में काम कर चुके हैं।
LPSC में क्रायोजेनिक प्रोपल्शन एरिया को जॉइन करने के पहले 1989 में उन्होंने IIT खड़गपुर से क्रायोजेनिक इंजिनियिरिंग से एमटेक में पहला स्थान हासिल किया था। उनके योगदान से भारत उन 6 देशों की फेहरिस्त में आ सका है जिनके पास कॉन्प्लेक्स और हाई परफॉर्मेंस वाले क्रायोजेनिक प्रोपल्शन सिस्टम्स हैं। डॉ. नारायणन ने 2001 में IIT खड़गपुर से ही एयरोस्पेस इंजिनियरिंग में पीएचडी भी पूरी की थी।
चंद्रयान-2 के लैंडर की हार्डलैंडिंग की वजह जानने को बनाई गई नेशनल एक्सपर्ट कमिटी के चेयरमैन के तौर पर उन्होंने जरूरी बदलाव सुझाए थे जिन्हें चंद्रयान-3 मिशन पर लागू किया गया था। इसके अलावा वह गगनयान मिशन पर भी काम कर रहे हैं।
रॉकेट साइंटिस्ट एस सोमनाथ ने साल 2022 में इसरो चीफ का पद संभाला था। अपनी तीन साल के कार्यकाल में वह सफल चंद्रयान-3 मिशन और आदित्य L1 मिशन को लीड कर चुके हैं। गगनयान मिशन की तैयारियों ने भी उनकी लीडरशिप में तेजी पकड़ी है।
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