पर्सनल फाइनेंस
3 min read | अपडेटेड April 14, 2025, 07:54 IST
सारांश
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) सैलरीड कर्मचारियों के लिए सुरक्षित और लॉन्ग टर्म में सेविंग के लिए अच्छा विकल्प है। यह भारत सरकार द्वारा समर्थिय है, जिसमें निश्चित रिटर्न मिलता है। वर्तमान में इसमें निवेशकों को सालाना करीब 7.1 फीसदी का रिटर्न दिया जाता है।
यहां सैलरीड कर्मचारियों के लिए इनवेस्टमेंट के 5 ऑप्शन दिए गए हैं।
यहां सैलरीड कर्मचारियों के लिए इनवेस्टमेंट के 5 ऑप्शन दिए गए हैं। इनमें सरकार समर्थित स्कीम से लेकर मार्केट लिंक्ड निवेश विकल्प शामिल हैं।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड सैलरीड कर्मचारियों के लिए सुरक्षित और लॉन्ग टर्म में सेविंग के लिए अच्छा विकल्प है। यह भारत सरकार द्वारा समर्थिय है, जिसमें निश्चित रिटर्न मिलता है। वर्तमान में इसमें निवेशकों को सालाना करीब 7.1 फीसदी का रिटर्न दिया जाता है। इतना ही नहीं, इसमें निवेश और रिटर्न दोनों सेक्शन 80C और EEE स्टेटस के तहत टैक्स फ्री हैं। इसका लॉक-इन पीरियड 15 साल का है और छठे वर्ष के बाद आंशिक निकासी की अनुमति होती है।
यह योजना उन सैलरीड लोगों के लिए बहुत अच्छी है जो रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी के लिए बचत करना चाहते हैं। यह एक वॉलंटरी और सरकार द्वारा समर्थित स्कीम है। इसमें आपका पैसा शेयर बाजार, कॉर्पोरेट बॉन्ड्स और सरकारी सिक्योरिटीज में लगाया जाता है।
आप साल में 1.5 लाख रुपये तक निवेश करके सेक्शन 80C के तहत टैक्स में छूट ले सकते हैं। इसके अलावा, 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट सेक्शन 80CCD(1B) के तहत भी मिलती है। हालांकि रिटर्न बाजार पर निर्भर होते हैं, फिर भी NPS सबसे कम खर्च वाली पेंशन स्कीम में से एक मानी जाती है। यह लंबे समय में एक अच्छा फंड बनाने का समझदारी भरा तरीका है।
EPF ज्यादातर सैलरी पाने वाले कर्मचारियों के लिए अनिवार्य होता है। इसमें आपकी सैलरी का एक हिस्सा कटता है और उतना ही योगदान आपका नियोक्ता (कंपनी) भी करता है। इस जमा राशि पर आपको ब्याज मिलता है। अभी के लिए यह 8.25% (FY24) है। इसमें किया गया निवेश सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट के लिए योग्य होता है।
EPF खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो लंबे समय के लिए टैक्स-फ्री रिटायरमेंट सेविंग्स करना चाहते हैं। जरूरत पड़ने पर, जैसे घर खरीदना या मेडिकल इमरजेंसी, इस फंड से कुछ पैसा आंशिक रूप से निकाला भी जा सकता है।
ELSS एक टैक्स बचाने वाली म्यूचुअल फंड स्कीम है। इसमें 3 साल की लॉक-इन अवधि होती है, जो सेक्शन 80C के तहत टैक्स सेविंग विकल्पों में सबसे कम है। ELSS का पैसा मुख्य रूप से शेयर बाजार में लगाया जाता है, इसलिए इसमें उच्च रिटर्न मिलने की संभावना होती है, लेकिन जोखिम भी ज्यादा होता है। यह उन सैलरीड लोगों के लिए सही है जो थोड़ा जोखिम उठाकर महंगाई को पछाड़ने वाला रिटर्न और टैक्स छूट चाहते हैं।
बैंक की टैक्स-सेविंग FD में 5 साल की लॉक-इन अवधि होती है और यह भी सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट के योग्य है। इसमें मिलने वाला ब्याज (लगभग 6-7%) टैक्सेबल होता है यानी उस पर टैक्स देना होता है। यह विकल्प सुरक्षित निवेश चाहने वालों के लिए अच्छा है, जिन्हें पैसे की सुरक्षा ज्यादा जरूरी लगती है, न कि ज्यादा रिटर्न।
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