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SEBI ने बदले म्यूचुअल फंड, डीमैट अकाउंट के नॉमिनेशन के नियम, मार्च से होंगे लागू, देखें डीटेल्स

rajeev-kumar

4 min read | अपडेटेड January 14, 2025, 08:51 IST

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सारांश

Mutual Funds Demat Account Rules: SEBI ने नियमों में बदलाव के जरिए पारदर्शिता बढ़ाने और सिक्यॉरिटीज मार्केट में बिना दावे की संपत्ति (unclaimed assets) को बढ़ने से रोकने की कोशिश की है।

सेबी ने नॉमिनेशन के लिए जरूरी दस्तावेजों से लेकर अशक्त निवेशकों के लिए जरूरी अपडेट जारी किया है

सेबी ने नॉमिनेशन के लिए जरूरी दस्तावेजों से लेकर अशक्त निवेशकों के लिए जरूरी अपडेट जारी किया है

म्यूचुअल फंड और डीमैट अकाउंट्स के नॉमिनेशन की प्रक्रिया में अब बदलाव होने जा रहे हैं। सिक्यॉरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने इसे लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं जो मार्च, 2025 से लागू होंगे। कैपिटल मार्केट रेग्युलेटर की कोशिश इसके जरिए पारदर्शिता बढ़ाने और सिक्यॉरिटीज मार्केट में बिना दावे की संपत्ति (unclaimed assets) को बढ़ने से रोकने की है।

यहां एक नजर डालते हैं बदले गए नियमों पर-

निवेशकों को कौन से दस्तावेज और नॉमिनी की डीटेल्स देनी होंगी?

-PAN, ट्राइविंग लाइसेंस या आधार के 4 आखिरी अंक। निवेशकों को इनके सिर्फ नंबर देने होंगे, -दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं है। -नॉमिनी के घर का पता, ईमेल अड्रेस और कॉन्टैक्ट नंबर। -निवेशक के साथ संबंध -अगर नॉमिनी नाबालिग है तो जन्मतिथि।

एक निवेशक कितने नॉमिनी डिक्लेयर कर सकता है?

डीमैट अकाउंट या म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो में एक निवेशक अधिकतम 10 लोगों को नॉमिनी के तौर पर डिक्लेयर कर सकता है। यह काम सिर्फ निवेशक कर सकता है, पावर ऑफ अटर्नी नहीं।

किसी निवेशक के निधन के बाद जॉइंट अकाउंट या फोलियो मिलने के बाद नॉमिनी क्या कर सकते हैं?

नॉमिनी या तो दूसरे नॉमिनी के साथ मिलकर जॉइंट होल्डर बन सकते हैं या अलग सिंगल अकाउंट भी खोल सकते हैं।

निवेशक के निधन के बाद नॉमिनी को ऐसेट ट्रांसफर करने के लिए किन दस्तावेजों की जरूरत होगी?

-निवेशक के निधन के बाद मृत्यु प्रमाणपत्र की सेल्फ-अटेस्ट कॉपी। -KYC का अपडेशन -देनदारों से डिस्चार्ज

बदले गए नियमों के तहत विनियमित इकाइयों को और कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं है। ट्रांसमिशन के बाद कोई भी क्लेम नॉमिनीज और क्लेम करने वाले के बीच में ही होगा, विनियमित इकाई को रेफरेंस के बिना।

नॉमिनी से कानूनी उत्तराधिकारी/प्रतिनिधि को कैसे होगा ऐसेट ट्रांसफर?

विनियमित इकाइयां आवेदन मिलने पर ऐसेट को ट्रांसफर करेंगी। इसके लिए उन्हें पहले नॉमिनी से डेक्लरेशन लेना होगा।

जॉइंट अकाउंट के एक होल्डर का निधन होने पर क्या दूसरे खाताधारक को दोबारा KYC करना होगा?

SEBI का कहना है कि विनियमित इकाइयों को ऐसा कोई दस्तावेज अकेले रह गए खाताधारक से नहीं लेना होगा। हालांकि, उन्हें मृतक खाताधारक का मृत्यु प्रमाणपत्र (Death certificate) जमा करना होगा।

कई नॉमिनी होने पर बिना दावे वाली संपत्तियों का क्या होगा?

-अगर कोई नॉमिनी किसी अकाउंट या फोलियो के हिस्से पर दावा करता है जबकि दूसरा बिना दावे का रहता है, तो ऐसा हिस्सा मौजूद अकाउंट या फोलियो में ही रहेगा।

-इसके साथ ही ऐसे अकाउंट्स को आगे की पड़ताल के लिए चिन्हित कर दिया जाएगा ताकि ऐसेट मैनेजमेंट कंपनियां और डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (DPs) इनपर रिपोर्ट दें।

नॉमिनेशन से बाहर कैसे निकलें?

विनियमित इकाइयां मौजूदा और नए निवेशकों को नॉमिनेशन से बाहर निकलने के लिए ऑनलाइन ऑप्शन देंगी। इसके तहत निवेशक से पूछा जाएगा कि क्या वह नॉमिनेशन खत्म करना चाहते हैं। हामी भरने पर उन्हें एक ओटीपी मिलेगा।

इसे सबमिट करने पर निवेशक को दो विकल्प मिलेंगे। विनियमित इकाई के किसी दफ्तर में फिजिकल मोड में नॉमिनेशन खत्म करने का डेक्लरेशन खत्म करने के फॉर्म का नंबर या वीडियो जमा करना।

अशक्त निवेशकों के लिए क्या हैं नए नियम?

ऐसे अशक्त निवेशक जो कॉन्ट्रैक्ट कर सकते हैं, उनके पास 3 विकल्प होंगे-

नाबालिग नॉमिनी को छोड़कर किसी एक नॉमिनी को अपना अकाउंट/फोलियो ऑपरेट करने का अधिकार देना।

अपने अकाउंट या फोलियो के लिए ऐसेट्स की सीमा निर्धारित कर देना जिसे नॉमिनी बेच सकते हैं। इस अधिदेश को कितनी भी बार बदल सकते हैं।

हालांकि, ये विकल्प ऐसे निवेशकों पर लागू नहीं होते जो वेंटिलेटर, कोमा या बेहोशी की हालत में हैं। SEBI की रिपोर्ट के मुताबिक विनियमित इकाई का एक अफसर अशक्त निवेशक से जाकर मिलेगा और देखेगा कि निवेशक कॉन्ट्रैक्ट कर सकता है या नहीं।

इसके बाद वह या तो निवेशक के अंगूठे का या दूसरा निशान अकाउंट या फोलियो के ट्रांजैक्शन की रिक्वेस्ट पर लेगा। इस दौरान एक स्वतंत्र गवाह भी मौजूद होगा।

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लेखकों के बारे में

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Rajeev Kumar Upstox में डेप्युटी एडिटर हैं और पर्सनल फाइनेंस की स्टोरीज कवर करते हैं। पत्रकार के तौर पर 11 साल के करियर में उन्होंने इनकम टैक्स, म्यूचुअल फंड्स, क्रेडिट कार्ड्स, बीमा, बचत और पेंशन जैसे विषयों पर 2,000 से ज्यादा आर्टिकल लिखे हैं। वह 1% क्लब, द फाइनेंशल एक्सप्रेस, जी बिजेनस और हिंदुस्तान टाइम्स में काम कर चुके हैं। अपने काम के अलावा उन्हें लोगों से उनके पर्सनल फाइनेंस के सफर के बारे में बात करना और उनके सवालों के जवाब देना पसंद है।

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