पर्सनल फाइनेंस
4 min read | अपडेटेड January 10, 2025, 07:37 IST
सारांश
Affordable Housing: ₹45 लाख से कम कीमत और 60 स्क्वेयर मीटर के कार्पेट एरिया वाले घरों को किफायती घरों की श्रेणी में रखा जाता है।
कोविड-19 की महामारी के बाद किफायती घरों की डिमांड और सप्लाई पर पड़ा है असर
बजट 2025-26 में सरकार क्या सस्ता करेगी, क्या महंगा होगा, इसे लेकर आम जनता के बीच अटकलें जारी हैं। खासकर घर खरीदने की प्लानिंग कर रहे लोग इस बात की आस लगाए हैं कि शायद 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण घर खरीदना सस्ता कर दें।
सिर्फ आम लोग ही नहीं, रियल एस्टेट इंडस्ट्री को भी उम्मीद है कि सरकार किफायती और सस्ते घरों के लिए कुछ कदम उठाएगी ताकि सुस्त पड़ चुकी इस इंडस्ट्री को थोड़ा सहारा मिले। भारत में कोविड-19 की महामारी और उसके चलते लगे लॉकडाउन के पहले किफायती घरों की डिमांड और सप्लाई दोनों अच्छी रफ्तार से बढ़ रही थीं लेकिन महामारी के बाद यह सेक्टर बुरी तरह संघर्ष कर रहा है।
Anarock डेटा के मुताबिक भारत में किफायती घरों (Affordable housing) की बिक्री कुल घरों की बिक्री के शेयर के तौर पर साल 2019 में 38% से 2024 में 18% पर आ गिरी थी। वहीं, भारत के 7 टॉप शहरों में कुल घरों की सप्लाई में से इसका हिस्सा 2019 में 40% से 2024 में 16% ही रह गया था।
देश के लगभग हर शहर पिछले कुछ साल में प्रॉपर्टी की कीमत में इजाफा हुआ है। ऐसे में आम आदमी के लिए घर खरीदना चुनौतीपूर्ण हो गया है। साल 2023 से 2024 के बीच भारत के टॉप 7 शहरों में प्रॉपर्टी के दाम 21% बढ़ गए हैं।
मुंबई जैसे शहर में, जहां संपत्ति की कीमत हमेशा ही ज्यादा रही है, वहां भी 21% इजाफा देखा गया है जबकि दिल्ली-एनसीआर (30%), बेंगलुरु (28%) और हैदराबाद (27%) जैसे शहरों में यह बढ़त और भी ज्यादा रही है।
ऐसी कीमतों पर एक अच्छा घर ₹1 करोड़ से कम दाम में खरीदना मुश्किल हो गया है। रियल एस्टेट एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसीलिए किफायती घरों के निर्माण पर फिर से ध्यान देना जरूरी हो गया है।
Anarock Group के चेयरमैन अनुज पुरी का कहना है कि रियल एस्टेट सेक्टर को सबसे ज्यादा उम्मीद इसे इंडस्ट्री स्टेटस देने और किफायती घरों के सेग्मेंट को दोबारा नई शुरुआत देने की है। वहीं, Colliers India के सीईओ बादल याज्ञनिक को भी उम्मीद है कि आगामी बजट में घर खरीदने वालों को किफायती घरों का फायदा पहुंचाया जाएगा।
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि आगामी बजट में सबसे पहले तो किफायती घरों की परिभाषा को बदलना चाहिए। अभी ₹45 लाख से कम कीमत और 60 स्क्वेयर मीटर के कार्पेट एरिया वाले घरों को किफायती घरों की श्रेणी में रखा जाता है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह कीमत मुंबई और दूसरे शहरों के हिसाब से भी काफी कम है। Square Yards के सीईओ और संस्थापक पीयूष बोथरा का कहना है कि बजट में इस सीमा को ₹45 लाख से आगे बढ़ाना चाहिए ताकि मेट्रोपॉलिटन इलाकों में बढ़ती डिवेलपमेंट कॉस्ट के साथ यह मेल खा सके।
वहीं, एक्सपर्ट्स के मुताबिक इसे कम से कम ₹85 लाख मुंबई के लिए और बाकी मेट्रो शहरों के लिए ₹60-65 लाख करना चाहिए। ऐसा करने से घर खरीदने वालों को इस पर जीएसटी (Goods & Services Tax, GST) भी कम लगेगा और सब्सिडीज का फायदा भी मिलेगा।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार केंद्र नियंत्रित जमीन किफायती घरों के लिए दे सकती है, जो भारतीय रेलवे, पोर्ट ट्रस्ट और भारी उद्योग विभाग के अंतर्गत आती हैं। वहीं, PM आवास योजना के तहत साल 2022 में खत्म हो चुकी EWS/LIG घरों की सब्सिडी स्कीम को भी दोबारा शुरू किया जा सकता है जो पहली बार घर खरीद रहे लोगों की मदद कर सकेगी।
इसके अलावा घर में नया निर्माण कराने के लिए कर्ज भी दिए जा सकते हैं ताकि रहने की व्यवस्था को बेहतर किया जा सके। इसी तरह PMAY (ग्रामीण) के तहत सरकार कच्चे घरों को पक्के में बदलने के लिए भी सब्सिडी लाई जा सकती है।
फाइनेंस ऐक्ट 2016 के सेक्शन 80-IBA के तहत किफायती घरों के डिवेलपर्स को इन प्रॉजेक्ट्स पर टैक्स से छूट मिलती थी। इससे सप्लाई को सुनिश्चित किया जा रहा था। पुरी का कहना है कि इसके वापस लाने से भी किफायती घरों का फायदा ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सकता है।
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