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  1. बेसिक लिमिट से कम आमदनी, फिर भी भरना होता है ITR, NRIs की बजट 2025 से क्या है मांग?

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बेसिक लिमिट से कम आमदनी, फिर भी भरना होता है ITR, NRIs की बजट 2025 से क्या है मांग?

rajeev-kumar

3 min read | अपडेटेड January 27, 2025, 18:54 IST

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सारांश

Income Tax Return: यूं तो बेसिक छूट से कम आमदनी होने पर किसी को आयकर फाइल करने की जरूरत नहीं होती लेकिन कुछ ऐसी कंडीशन्स होती हैं यहां यह अनिवार्य हो जाता है। अप्रवासी इनमें छूट चाहते हैं।

NRIs के लिए संपत्ति से जुड़े नियम भी हैं अलग। (तस्वीर: Shutterstock)

NRIs के लिए संपत्ति से जुड़े नियम भी हैं अलग। (तस्वीर: Shutterstock)

बजट 2025 पेश होने के पहले देशभर में लोगों की उम्मीदें तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से लगी ही हैं, देश के बाहर रहने वाले भारतीय भी इसकी राह देख रहे हैं। दरअसल, अप्रवासियों का कहना है कि सरकार को उन्हें आयकर रिटर्न फाइल करने से छूट देनी चाहिए, अगर उन्होंने ₹2 लाख से ज्यादा विदेश में ट्रैवल करने पर खर्च किया है लेकिन भारत में उनकी कुल आमदनी छूट की सीमा के अंदर है।

क्या हैं नियम?

फिलहाल आयकर कानून के सेक्शन 139 के मुताबिक हर इंसान को आयकर रिटर्न फाइल करना ही होगा, अगर पिछले वित्त वर्ष में कुल आमदनी बेसिक छूट की सीमा के ऊपर हो। छूट की यह सीमा नई कर व्यवस्था में ₹3 लाख और पुरानी कर व्यवस्था में ₹2.5 लाख है।

हालांकि, कुछ मामले ऐसे भी हैं जहां बेसिक छूट की सीमा से नीचे होने के बावजूद आयकर रिटर्न अनिवार्य होता है। जैसे करंट अकाउंट में ₹1 करोड़ से ज्यादा डिपॉजिट होने पर। विदेश में खुद या किसी और के ट्रैवल पर ₹2 लाख से ज्यादा खर्च करने पर और बिजली के बिल पर ₹1 लाख से ज्यादा खर्च करने पर। ये शर्तें देश के नागरिकों पर तो लागू हैं ही, अप्रवासियों पर भी हैं। सिर्फ किसी कंपनी या फर्म पर लागू नहीं होती हैं।

क्या है सुझाव?

टैक्समैन एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि आगामी बजट में इस प्रावधान में बदलाव करने चाहिए और अप्रवासियों को इसमें छूट मिलनी चाहिए। इसके अलावा डेलॉइट का सुझाव है कि आयकर रीफंड अप्रवासियों, खासकर विदेशी नागरिकों को विदेशी बैंक के अकाउंट में जमा करने की इजाजत मिलनी चाहिए।

संपत्ति के नियम भी जटिल

डेलॉइट में पार्टनर दिव्या बावेजा का यह भी कहना है कि किसी NRI से संपत्ति खरीदने पर टैक्स भी ज्यादा लगता है और यह प्रक्रिया जटिल भी होती है। खरीददार को पहले टैक्स डिडक्शन ऐंड कलेक्शन अकाउंट नंबर (Tax Deduction and Collection Account Number, TAN) लेना होता है, काटा गया टैक्स डिपॉजिट करना होता है और फिर e-TDS फाइल करना होता है।

बावेजा का कहना है कि सिर्फ NRI से संपत्ति खरीदे पर TAN हासिल करने की जरूरत के कारण कई इनैक्टिव TAN बन गए हैं क्योंकि ऐसा ट्रांजैक्शन बार-बार नहीं होता है।

टैक्स पेमेंट में ढील

डेलॉइट के एक्सपर्ट्स को यह भी उम्मीद है कि आगामी बजट में NRIs को अपने विदेशी बैंक अकाउंट्स में टैक्स पेमेंट करने की इजाजत मिलेगी। अभी नेट बैंकिंग, डेबिट कार्ड, NEFT/ RTGS या बैंक काउंटर से ही टैक्स भरा जा सकता है। इसके लिए भारतीय बैंक में अकाउंट होना जरूरी है।

एक्सपर्ट्स को यह भी उम्मीद है कि बजट में टैक्स रीफंड विदेशी बैंक अकाउंट में करने और आयकर रिटर्न का ई-वेरिफिकेशन विदेशी मोबाइल नंबरों के जरिए करने की सुविधा भी दी जाएगी।

लेखकों के बारे में

rajeev-kumar
Rajeev Kumar Upstox में डेप्युटी एडिटर हैं और पर्सनल फाइनेंस की स्टोरीज कवर करते हैं। पत्रकार के तौर पर 11 साल के करियर में उन्होंने इनकम टैक्स, म्यूचुअल फंड्स, क्रेडिट कार्ड्स, बीमा, बचत और पेंशन जैसे विषयों पर 2,000 से ज्यादा आर्टिकल लिखे हैं। वह 1% क्लब, द फाइनेंशल एक्सप्रेस, जी बिजेनस और हिंदुस्तान टाइम्स में काम कर चुके हैं। अपने काम के अलावा उन्हें लोगों से उनके पर्सनल फाइनेंस के सफर के बारे में बात करना और उनके सवालों के जवाब देना पसंद है।

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