पर्सनल फाइनेंस
3 min read | अपडेटेड April 03, 2025, 14:11 IST
सारांश
PPF Account Nominee Details: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया है कि पीपीएफ अकाउंट के नॉमिनी से जुड़ी डीटेल्स को अपडेट करने या बदलने के लिए अब कोई चार्ज नहीं लिया जाएगा। सालाना 7.1% ब्याज देने वाली इस योजना को भविष्य के लिए भरोसेमंद माना जाता है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की PPF अकाउंट के नॉमिनी अपडेशन फीस माफ।
वित्त मंत्री ने X पर पोस्ट किया, ‘हाल ही में पता चला कि वित्तीय संस्थान PPF अकाउंट में नॉमिनी डीटेल्स को अपडेट और मॉडिफाई करने के लिए फी लगा रहे हैं। गवर्नमेंट सेविंग्स प्रमोशन जनरल रूल्स 2018 में राजपत्र अधिसूचना 2/4/25 के जरिए जरूरी बदलाव किए जा रहे हैं जिससे PPF अकाउंट के नॉमिनी अपडेशन पर कोई चार्ज ना लगे।’
इसके साथ ही छोटी बचत योजना में नॉमिनेशन को कैंसल करने या बदलने पर लगने वाली ₹50 की फीस खत्म कर दी गई है।
PPF (Public Provident Fund) ऐसा लॉन्ग-टर्म निवेश और बचत का जरिया है जिसके रिटर्न्स की गारंटी होती है। भविष्य में यह राशि एक बड़ा फंड आपके पास होता है। यूं तो PPF जैसी योजनाओं को अकसर टैक्स में बचत के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है लेकिन इसके फायदे टैक्स बचाने से कहीं ज्यादा हैं।
PPF अकाउंट पर फिलहाल 7.1% का ब्याज लग रहा है जिसे सालाना कपाउंड किया जाता है। इस स्कीम में सालाना ₹1.5 लाख का निवेश किया जा सकता है जो 15 साल बाद मच्योर होता है। इसमें एक साल में न्यूनतम ₹500 से लेकर अधिकतम ₹1.5 लाख जमा किए जा सकते हैं।
दिसंबर 2024 की भारतीय रिजर्व बैंक बुलेटिन के मुताबिक भारतीयों के कम से कम ₹10 लाख करोड़ की कीमत के ऐसेट पीपीएफ में मार्च 2024 तक लॉक थे। जून 2021 की तुलना में यह 39% ज्यादा था। सबसे ज्यादा टैक्स ब्रैकेट में आने वाले लोगों के लिए यह ईल्ड को 7.1% से कहीं ज्यादा पहुंचा देता है।
सीतारमण ने आगे बताया कि हाल ही में पारित किए गए बैंकिंग संशोधन विधेयक (Banking Amendment Bill 2025) के तहत अधिकतम 4 लोगों को नॉमिनी बनाया जा सकता है। इन्हें डिपॉजिटर की धनराशि, सेफ कस्टडी और सेफ्टी लॉकर में रखे आर्टिकल मिल सकते हैं।
विधेयक में एक और बदलाव बैंक में किसी व्यक्ति के ‘‘पर्याप्त कर’’ शब्द को फिर से परिभाषित करने से संबंधित है। इस सीमा को मौजूदा पांच लाख रुपये से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये करने का प्रावधान है। मौजूदा दर को लगभग छह दशक पहले तय किया गया था।
कानून में सहकारी बैंकों में निदेशकों (चेयरमैन एवं पूर्णकालिक निदेशक को छोड़कर) के कार्यकाल को आठ वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष करने की बात भी की गई है, ताकि संविधान (97वां संशोधन) अधिनियम 2011 के साथ तालमेल बैठाया जा सके।
संबंधित समाचार
लेखकों के बारे में
अगला लेख