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New vs old tax regime: सैलरीड कर्मचारियों के लिए कौन सा टैक्स सिस्टम बेहतर? इन अहम बातों का रखें ध्यान

Upstox

3 min read | अपडेटेड April 05, 2025, 10:41 IST

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सारांश

बजट 2025 में टैक्स स्लैब और दरों में बदलाव किए गए हैं, जिससे नया टैक्स सिस्टम कई कर्मचारियों के लिए बेहतर विकल्प बन गया है। लेकिन कुछ लोगों के लिए पुराना टैक्स सिस्टम भी फायदेमंद हो सकता है।

न्यू टैक्स वर्सेस ओल्ड टैक्स रिजीम

न्यू टैक्स वर्सेस ओल्ड टैक्स रिजीम

बजट 2025-26 में घोषित इनकम टैक्स स्लैब और दरों में बदलाव 1 अप्रैल 2025 से लागू हो चुके हैं। कर्मचारियों को अपने टैक्स सिस्टम का चुनाव करते समय यह ध्यान रखना होगा कि उपलब्ध छूट और कटौतियों का फायदा कैसे मिलेगा। अगर आप सैलरीड कर्मचारी हैं और पुराने या नए टैक्स सिस्टम के चुनाव को लेकर उलझन में हैं तो यहां आपकी मदद के लिए कुछ जरूरी प्वाइंट्स दिए गए हैं। इनकी मदद से आपको फैसला लेने में आसानी हो सकती है।

बजट 2025 में टैक्स स्लैब और दरों में बदलाव किए गए हैं, जिससे नया टैक्स सिस्टम कई कर्मचारियों के लिए बेहतर विकल्प बन गया है। लेकिन कुछ लोगों के लिए पुराना टैक्स सिस्टम भी फायदेमंद हो सकता है।

नए और पुराने टैक्स सिस्टम में अंतर को समझें

अगर आप पुराने टैक्स सिस्टम का चुनाव करते हैं तो आप टैक्स बचाने के लिए कई निवेशों पर छूट का लाभ ले सकते हैं, जैसे NPS, PPF, SCSS, ELSS, टैक्स-सेवर FD आदि। हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम, चैरिटी डोनेशन और बच्चों की ट्यूशन फीस पर भी टैक्स छूट मिलती है। होम लोन के ब्याज पर ₹2 लाख तक की कटौती का लाभ मिलता है। HRA (हाउस रेंट अलाउंस) और स्टैंडर्ड डिडक्शन जैसी छूटें भी मिलती हैं।

हालांकि, नया टैक्स सिस्टम सरल तो है लेकिन इसमें ज्यादा टैक्स छूट उपलब्ध नहीं है। यह कम टैक्स दरों के साथ आता है, जिससे कई कर्मचारियों के लिए यह फायदेमंद हो सकता है। अगर आपका नियोक्ता NPS और EPF में योगदान करता है, तो वह टैक्स फ्री होगा। इसके अलावा, नए टैक्स सिस्टम में ₹75000 तक की स्टैंडर्ड डिडक्शन का भी लाभ मिलता है।

अगर आप टैक्स छूट और कटौतियों का लाभ उठाना चाहते हैं, तो पुराना टैक्स सिस्टम चुनें। वहीं, अगर आप बिना छूट के सरल टैक्स सिस्टम चाहते हैं, तो नया टैक्स सिस्टम चुन सकते हैं।

नया टैक्स सिस्टम इन सैलरीड कर्मचारियों के लिए बेहतर

वित्तीय वर्ष 2025-26 में, अगर आपकी टैक्सेबल सैलरी ₹12 लाख तक है, तो आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा। टैक्सेबल सैलरी निकालने के लिए अपनी कुल सैलरी में से सभी छूट और कटौतियां घटाएं। नए टैक्स सिस्टम में सिर्फ ₹75,000 की स्टैंडर्ड डिडक्शन की छूट मिलती है, और नियोक्ता (Employer) द्वारा दिया गया NPS और EPF योगदान टैक्स-फ्री होता है।

अगर आपकी टैक्सेबल सैलरी ₹12 लाख से कम या थोड़ा ज्यादा है, तो नया टैक्स सिस्टम एक अच्छा विकल्प हो सकता है। गणना के अनुसार, ₹15 लाख या उससे अधिक की सैलरी पर भी नया टैक्स सिस्टम टैक्स फ्री हो सकता है, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें लागू होंगी। इसलिए, अपनी आय और टैक्स कटौतियों को ध्यान में रखते हुए सही टैक्स सिस्टम चुनें।

टैक्सेबल सैलरी 12 लाख से अधिक होने पर क्या करें?

अगर आपकी टैक्सेबल सैलरी ₹12 लाख से ज्यादा है, तो आपको गणना करके यह देखना होगा कि कौन सा टैक्स सिस्टम आपके लिए बेहतर है। आप इनकम टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल करके पुराने और नए टैक्स सिस्टम के तहत अपने टैक्स की तुलना कर सकते हैं और जो ज्यादा फायदेमंद हो, उसे चुन सकते हैं।

अधिकतर मामलों में, वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए नया टैक्स सिस्टम पुराने की तुलना में बेहतर माना जा रहा है। हालांकि, अगर आपकी आय केवल सैलरी से नहीं, बल्कि कई अन्य स्रोतों से भी आती है, तो गणना जटिल हो सकती है। ऐसे मामलों में, किसी टैक्स एक्सपर्ट से सलाह लेना बेहतर होगा।

लेखकों के बारे में

Upstox
Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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