पर्सनल फाइनेंस
3 min read | अपडेटेड January 03, 2025, 15:29 IST
सारांश
Personal Loans: क्रेडिट से जुड़ी जानकारी समय पर अपडेट होने से देनदारों और लेनदारों, दोनों को फायदा होता है। इसको ध्यान में रखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने नियमों में तब्दीली की है।
कई बार एक कर्ज में डिफॉल्ट करने के बाद दूसरी जगह से कर्ज लेकर बकाया चुकाने की कोशिश करते हैं
अलग-अलग जगहों से एक ही समय पर कई पर्सनल लोन लेने की सोच रहे कर्जदारों के लिए अब ऐसा कर पाना मुश्किल हो सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने कर्ज की जानकारी अपडेट करने को लेकर नियमों में बदलाव किया है। इसके बाद एक साथ कई पर्सनल लोन लेना मुश्किल हो सकता है।
RBI ने निर्देश दिए हैं कि क्रेडिट ब्यूरो की जानकारी को अब हर 15 दिन में अपडेट किया जाए। अभी तक यह काम हर एक महीने में करना होता था। इस बारे में ऐलान अगस्त, 2024 में कर दिया गया था लेकिन यह लागू अब 1 जनवरी, 2025 से हो रहा है।
एक महीने की जगह 15 दिन पर डेटा की रिपोर्टिंग करने से बैंकों और दूसरे वित्तीय संस्थानों को कर्ज देने के लिए ज्यादा सटीक डेटा मिल सकेगा। इसके वह रिस्क का सही आकलन कर सकेंगे और ऐसे मामलों को कम किया जा सकेगा जहां कोई कर्जदार कई देनदारों से लोन लेता रहता हो और चुकाता भी नहीं हो।
RBI ने निर्देश दिया है कि सभी क्रेडिट सूचना कंपनियां (CIC) और क्रेडिट कंपनियां (CI) अपनी जानकारी को महीने की 15 तारीख और आखिरी तारीख को अपडेट करें। CIC और CI चाहें तो आम सहमति से इससे पहले की समयसीमा भी तय कर सकती हैं।
इस फैसले को लेकर पूर्व RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने क्रेडिट संबंधी जानकारी की सटीकता के लेनदार और देनदार, दोनों के लिए जरूरत पर जोर दिया था। नई सिस्टम के तहत कर्जदार की वित्तीय गतविधियां, चाहे समय पर कर्ज की वापसी हो या डिफॉल्ट, दोनों देनदारों को दो हफ्ते के अंदर नजर आ जाएंगी।
जब कर्जदार अपना बकाया चुका देंगे तो इस बारे में जानकारी के जल्द अपडेट होने से उन्हें भी फायदा होगा और रिस्क का आकलन सटीकता से करने के लिए देनदारों को भी फायदा होगा।
इसके जरिए लोन की एवरग्रीनिंग को भी कम किया जा सकेगा। एवरग्रीनिंग के जरिए कर्जदार पुराने कर्ज चुकाने के लिए नए लोन लेते रहते हैं। इससे देनदारों के ऊपर बोझ बना रहता है और क्रेडिट की क्वॉलिटी गिरने लगती है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रुमेंट्स (PPI) को थर्ड पार्टी ऐप्स के जरिए UPI ऐक्सेस करने की इजाजत दे दी है। RBI ने अपने हालिया फैसले से PPI में भी एक बैंक अकाउंट से दूसरे में पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा (interoperability) दी है। UPI के जरिए यूजर एक बैंक अकाउंट से दूसरे बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर सकता है। PPI में एक वॉलेट से दूसरे वॉलेट में ट्रांसफर किया जाता है और बैंक अकाउंट्स में नहीं। इंटरऑपरेबिलिटी इसे संभव करती है।
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