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3 min read | अपडेटेड February 18, 2025, 08:26 IST
सारांश
SBI Home Loan Interest Rate: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अलग-अलग होम लोन पर लग रही है 8.25% से लेकर 9.2% की ब्याज दर।
RBI के रेपो रेट कट के बाद से थी बैंकों की ब्याज दर कम होने की उम्मीद।
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India, RBI) ने अपनी मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी रिपोर्ट में रेपो रेट को 25 बेसिस पॉइंट्स से घटाकर 6.25% करने का ऐलान किया था। इसके बाद से उम्मीद की जा रही थी कि बैंक इस ब्याज दर कटौती का फायदा आम लोगों तक पहुंचाएंगे।
इसी कड़ी में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने घर कर्ज पर ब्याज दर (Home Loan Interest) को 25 बेसिस पॉइंट से कम करने का ऐलान किया है।
भारत के सबसे बड़े सरकारी बैंक के घर कर्ज के ब्याज की नई दरें 15 फरवरी, 2025 से लागू भी हो गई हैं। अब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के घर कर्ज पर 8.25% से लेकर 9.2% की ब्याज दर पड़ रही है।
SBI के सभी घर कर्ज एक्सटर्नल बेंचमार्क रेट (external benchmark rate, EBR) से लिंक हैं। बैंक ने अक्टूबर, 2019 से RBI के रेपो रेट को ही EBR माना है जिसके साथ ये बदलाव किए गए हैं।
लोन | ब्याज दर |
---|---|
होम लोन (टीएल) | 8.25% से 9.20% |
होम लोन मैक्सगेन (ओडी) | 8.45% से 9.40% |
ट्राइबल प्लस होम लोन | 8.35% से 9.30% |
टॉप अप लोन | 8.55% से 11.05% |
टॉप अप (ओडी) लोन | 8.75% से 9.70% |
लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी (पी-एलएपी) | 9.75% से 11.05% |
रिवर्स मॉर्टगेज लोन (आरएमएल) | 11.30% |
योनो इंस्टा होम टॉप अप लोन | 9.10% |
होम लोन पर ब्याज दर किसी के CIBIL स्कोर पर निर्भर करती है।
बैंक का नाम | न्यूनतम ब्याज दर (सालाना) |
---|---|
कोटक महिंद्रा बैंक | 8.75% |
बैंक ऑफ बड़ौदा | 8.40% |
एचडीएफसी | 8.75% |
एक्सिस बैंक | 8.75% |
पंजाब नेशनल बैंक | 8.40% |
आईडीबीआई बैंक | 8.50% |
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया | 8.35% |
एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस | 8.50% |
बैंक ऑफ इंडिया | 8.40% |
केनरा बैंक | 8.40% |
भारतीय रिजर्व बैंक ने करीब 5 साल बाद रेपो रेट को 6.5% से घटाकर 6.25% किया था। इससे घर खरीदने के लिए कर्ज लेने वालों को राहत मिलने की उम्मीद थी। RBI के फैसले के बाद कई पब्लिक सेक्टर बैंकों ने रेपो रेट से लिंक अपने होम लोन रेट्स को 0.25% से घटा दिया है- जैसे बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, कैनरा बैंक और बैंक ऑफ इंडिया।
ब्याज दर घटने से, कर्ज लेने वालों के पास अब दो ऑप्शन हो गए हैं- या तो वे लोन का टेन्योर पहले जैसा रखकर अपने EMI (Equated Monthly Installment) को कम कर सकते हैं, या पुराने EMI पर टेन्योर छोटा कर सकते हैं।
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