पर्सनल फाइनेंस
3 min read | अपडेटेड February 21, 2025, 07:16 IST
सारांश
National Pension System: PFRDA के चेयरपर्सन डॉ. दीपक मोहंती ने बताया है कि NPS में शामिल होने के लिए कोई न्यूनतम सीमा नहीं है, इसलिए यह हर एक आम इंसान के लिए आसान है।
NPS में हर साल जमा करनी होती है तय राशि, हर महीने का झंझट नहीं।
रिटायरमेंट के बाद आमदनी की चिंता ना करनी पड़े, इसके लिए नेशनल पेमेंट सिस्टम (National Payment System, NPS) एक भरोसेमंद रास्ता माना जाता है। इसके तहते मिलने वाले फीचर्स समय से पहले रिटायरमेंट के फैसले को तो आसान करते ही हैं और अलग-अलग वित्तीय लक्ष्यों को साधने में भी मदद करते हैं।
पेंशन फंड रेग्युलेटरी ऐंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी (Pension Fund Regulatory and Development Authority, PFRDA) के चेयरपर्सन डॉ. दीपक मोहंती का कहना है कि NPS से जुड़ने के लिए जरूरी न्यूनतम सीमा बहुत कम है। इसलिए लोग इसे आसानी से जॉइन कर सकते हैं।
NPS अकाउंट को सालाना महज ₹1,000 के योगदान के साथ ऐक्टिव रखा जा सकता है। हर महीने कोई अमाउंट ऐड करने की भी जरूरत नहीं होती। इसलिए यह ऐसे लोगों के लिए भी अच्छी योजना बन जाती है जिनकी आमदनी नियमित रूप से नहीं आती। इसके साथ-साथ NPS में योगदान की कोई अधिकतम सीमा भी नहीं है।
डॉ. मोहंती का कहना है कि यह फीचर ऐसे समय में काफी काम आ सकता है जब समय से पहले रिटायरमेंट प्लान करना हो और एक बड़ी राशि जमा करनी हो। उनके मुताबिक ऐसे युवा जो पहले से रिटायरमेंट प्लान कर लें, जल्दी बड़ा अमाउंट जमा करके भविष्य के लिए निश्चिंत हो सकते हैं।
NPS सब्सक्राइबर के पास इससे निकलने का समय तय करने की भी आजादी होती है। वह चाहें तो 75 साल की उम्र तक इससे जुड़े रह सकते हैं। 75 साल की उम्र तक कई चरणों में लंपसम राशि भी सिस्टमैटिक लंपसम विदड्रॉअल (SLW) के तौर पर निकाली जा सकती है, या किसी भी वक्त पूरा अमाउंट निकाला जा सकता है।
डॉ. मोहंती ने बताया है कि कर्मचारी और नियोक्ता, दोनों तो नई कर व्यवस्था में NPS योगदान पर टैक्स में राहत मिलती है। कर्मचारी की सैलरी से NPS में जाने वाले योगदान के 14% हिस्से को टैक्स डिडक्शन मिलता है। वहीं, पुरानी कर व्यवस्था में भी ₹50,000 का अतिरिक्त फायदा मिलता है।
इसके अलावा NPS में पेंशन फंड और ऐसेट अलोकेशन को चुनने की आजादी भी होती है। इसमें ऑटो-चॉइस और ऐक्टिव चॉइस के विकल्प होते हैं। ऑटो-चॉइस में ऐसे 4 लाइफ-साइकल फंड्स में से चुनने का विकल्प मिलता है जिनमें जोखिम को उम्र के साथ अलग-अलग ऐसेट क्लासेज में बैलेंस किया जाता है।
वहीं, ऐक्टिव चॉइस फंड में सब्सक्राइबर्स को अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के मुताबिक ऐसेट क्लासेज के एक समूह में से चुनना होता है। इसमें उम्र के साथ विकल्पों में अंतर नहीं होता।
डॉ. मोहंती के मुताबिक NPC की इक्विटी योजना के तहत सालाना रिटर्न्स 13% के ऊपर रहे हैं। कॉर्पोरेट डेट स्कीम में 9% और सरकारी सिक्यॉरिटीज स्कीम में 8.8% रिटर्न रहा है। फिलहाल NPS के करीब 1.6 करोड़ सब्सक्राइबर्स हैं, जिनमें 96 लाख सरकारी और 64 लाख प्राइवेट सब्सक्राइबर्स हैं। इसका कुल कॉर्पस ₹13 लाख करोड़ से ज्यादा का है।
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