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3 min read | अपडेटेड February 13, 2025, 08:54 IST
सारांश
New Income Tax Bill: आम लोगों से भी आयकर विधेयक को लेकर राय मांगी गई थी कि कैसे कानून की भाषा को सरल बनाया जा सके, मुकदमे कम किए जा सकें, पालन आसान हो, और गैर-जरूरी प्रावधान हटाए जा सकें।
साल 2024 के बजट में किया था आयकर कानून की समीक्षा का ऐलान।
साल 1961 में लाए गए आयकर कानून की जगह लेने के लिए नए आयकर विधेयक को गुरुवार को लोक सभा में पेश किया जा सकता है। पिछले 6 दशकों में कई बदलाव देखने वाले आयकर कानून में संशोधन होते रहने से यह काफी जटिल होने लगा था।
टैक्स से जुड़े अधिकारियों से लेकर आम करदाता तक कानून की जटिलता से परेशान रहते थे। इसके कारण मुकदमों और विवादों की संख्या में बढ़ी हुई थी।
ऐसे कई मुद्दों के चलते साल 2024 के पूर्ण बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया था कि अब इसे सरल बनाने के लिए व्यापक समीक्षा की जाएगी।
संसद में पेश होने जा रहे नए आयकर विधेयक का लक्ष्य टैक्स से जुड़े प्रावधानों को छोटा, समझने में सरल और पालन करने में आसान बनाना है।
मौजूदा आयकर कानून, 1961 से कहीं ज्यादा छोटा होगा नया विधेयक। 622 पन्नों के नए विधेयक में होंगे 536 सेक्शन, 23 चैप्टर और 16 शेड्यूल।
फ्रिंज बेनिफिट टैक्स जैसे गैर-जरूरी सेक्शन्स को खत्म किया गया।
लंबे-चौड़े वाक्यों को नए विधेयक से बाहर कर दिया गया है ताकि पढ़ना और समझना आसान हो सके।
मौजूदा कानून में कई बार इस्तेमाल 'बावजूद' शब्द को हटाकर लगभग हर जगह 'अपरिहार्य' शब्द का इस्तेमाल किया गया है।
जटिल, लंबे वाक्यों की जगह टीडीएस, प्रिजम्पटिव टैक्सेशन, सैलरी जैसी चीजों के लिए टेबल, फॉर्म्यूले जोड़े गए हैं ताकि पढ़ना और पालन करना सरल हो सके।
नए विधेयक में एक 'करदाता चार्टर' (Taxpayer Charter) भी जोड़ा गया है। यह करदाताओं के अधिकारों और जिम्मेदारियों को लिस्ट करता है।
इसमें ‘पिछले साल’ की जगह ‘टैक्स इयर’ का इस्तेमाल किया गया है। वहीं, असेसमेंट इयर के कॉन्सेप्ट को खत्म कर दिया गया है।
कर्मचारी स्टॉक विकल्प (Employees’ stock options, ESOPs) पर टैक्स के प्रावधानों को साफ किया गया है ताकि इससे जुड़े विवादों को कम किया जा सके।
कुल आमदनी का हिस्सा न बनने वाली आमदनी को अब कानून सरल बनाने के लिए शेड्यूल्स में डाल दिया गया है।
नए आयकर विधेयक में किसी नए टैक्स प्रावधान को नहीं जोड़ा गया है।
लोक सभा में पेश होने के बाद विधेयक को वित्तीय मामलों की संसदीय स्टैंडिंग कमिटी के पास भेज दिया जाएगा। इसे अगले साल 1 अप्रैल, 2026 तक लागू किए जाने की संभावना है।
वित्त मंत्री के बजट 2024 में किए गए ऐलान के बाद केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board for Direct Taxes, CBDT) ने एक आंतरिक कमिटी बनाई थी। इसका काम कानून को रिव्यू करना, छोटा, साफ और समझने में आसान करना था, ताकि इससे जुड़े विवादों, मुकदमों को कम किया जा सके और करदाताओं के लिए टैक्स से जुड़े प्रावधान साफ हो सकें।
आयकर कानून के अलग-अलग पहलुओं को रिव्यू करने के लिए 22 विशेष सब-कमिटी भी बनाई गई थीं। इसके अलावा आम लोगों से भी इसके लिए राय मांगी गई थी कि कैसे कानून की भाषा को सरल बनाया जा सके, मुकदमे कम किए जा सकें, पालन आसान हो, और गैर-जरूरी प्रावधान हटाए जा सकें।
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