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4 min read | अपडेटेड February 01, 2025, 08:17 IST
सारांश
Budget 2025 Income Tax Exemption: करदाताओं को निर्मला सीतारमण से आयकर को आसान बनाने से लेकर दरें कम करने तक कई उम्मीदें हैं। खासकर नई कर व्यवस्था को ज्यादा लोगों की पहली पसंद बनाने की सरकार की कोशिशों के चलते इसमें कई बदलाव किए जाने की अटकलें लग रही हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की है आयकर कानून को आसान बनाने की वकालत।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतरामण अपना 8वां बजट शनिवार, 1 फरवरी को पेश करने जा रही हैं। आयकर को लेकर बजट के पहले सबसे ज्यादा चर्चा होती है। खासकर नई कर व्यवस्था लाने और ज्यादा से ज्यादा लोगों को उससे जोड़ने की सरकारी कोशिशों को देखते हुए, करदाताओं सकारात्मक बदलाव की उम्मीद बनी हुई है। यह बजट इसलिए भी जरूरी है क्योंकि भारत में स्टैगफ्लेशन जैसी स्थिति को लेकर चिंताएं जाहिर हो रही हैं।
देश में महंगाई दर की स्थिति को देखते हुए ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि वित्त मंत्री देश में उपभोग की मांग को बढ़ाने के लिए ऐक्शन प्लान का ऐलान कर सकती हैं। इसके साथ ही निवेश और कैपिटल खर्चों को बढ़ाते हुए देश के सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product, GDP) को भी ऊपर उठाने के लिए भी कोशिश करेंगी।
टैक्स एक्सपर्ट्स नई और पुरानी, दोनों कर व्यवस्थाओं में टैक्स स्लैब्स और टैक्स दर, दोनों में ही बदलाव का सुझाव दे रहे हैं। ऐसा मुद्रास्फीति के रुपये के मूल्य पर होने वाले असर को देखते हुए सुझाया जा रहा है। इनमें से एक बड़ा सुझाव बेसिक छूट की सीमा को बढ़ाकर ₹10 लाख करने का है। यानी नई कर व्यवस्था के तहत ₹10 लाख सालाना आमदनी वाले लोगों को टैक्स से पूरी तरह छूट दे दी जाए जबकि फिलहाल सेक्शन 87ए के तहत पुरानी कर व्यवस्था में यह ₹5 लाख और नई कर व्यवस्था में ₹7 लाख है।
असेसमेंट इयर 2024-25 के लिए फाइल किए गए आयकर रिटर्न में से करीब 72% ने नई कर व्यवस्था को चुना था। ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही पुरानी कर व्यवस्था को पूरा तरह खत्म करने का ऐलान किया जा सकता है। नई कर व्यवस्था में कर चुकाना आसान है, क्योंकि इसमें डिडक्शन सीमित ही हैं और उनके लिए कम प्रूफ लगाने पड़ते हैं। वित्त वर्ष 2023-24 के बाद से यह डिफॉल्ट कर व्यवस्था भी है।
वेतनप्राप्त करदाताओं को उम्मीद है कि सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को नई कर व्यवस्था में ₹75,000 से बढ़ाकर ₹1,00,000 कर सकती है। बढ़ती हुई कॉस्ट ऑफ लिविंग को देखते हुए ऐसी उम्मीद की जा रही है। स्टैंडर्ड डिडक्शन वह तय अमाउंट होता है जो करदाता के वेतन से काटा जाता है। इससे टैक्सेबल इनकम कम हो जाती है। यह ऐसा अमाउंट होता है जो जरूरी खर्चों के लिए लगता है लेकिन कई बार इनका प्रूफ मिलना मुश्किल हो जाता है। पिछले बजट में सीतारमण ने नई कर व्यवस्था में स्टैंडर्ड डिडक्शन ₹50,000 से बढ़ाकर ₹75,000 किया था।
माना जा रहा है कि आयकर कानून, 1961 के सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन और छूट की सीमा को बदला जा सकता है। इसे आखिरी बार 2024-15 के बजट में बदला गया था जब इसे ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख किया गया था। एक्सपर्ट्स का कहना है कि स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम जैसे खर्चों को देखते हुए इसे बदलना जरूरी हो गया है ताकि लोग बचत भी करें और अपनी फाइनेंशियल सिक्यॉरिटी का भी ध्यान रखें।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले आयकर कानून और उससे जुड़े प्रावधानों को सरल बनाने की वकालत की है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि वह Tax Deducted at source, TDS/ Tax Collected at source, TCS प्रावधानों को आसान कर सकती हैं। बजट 2025 में TDS दरों को आसान स्लैब्स में बदला जा सकता है ताकि इसका पालन करना आसान हो।
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