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4 min read | अपडेटेड February 14, 2025, 10:07 IST
सारांश
New vs Old Income Tax Act, 1961: संसद में अगर नए आयकर विधेयक को पारित कर दिया जाता है तो यह अगले साल 1 अप्रैल, 2026 से 60 साल पुराने आयकर कानून, 1961 की जगह ले सकता है।
मौजूदा कानून की भाषा को सरल बनाने पर फोकस
वित्ते मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार, 13 फरवरी को लोकसभा के सामने नया आयकर विधेयक (New income tax bill), 2025 पेश किया। इस विधेयक को वित्त मामलों की संसदीय स्टैंडिंग कमिटी के पास भेज दिया गया है। संसद में चर्चा के बाद अगर इसे पारित कर दिया जाता है तो यह अगले साल 1 अप्रैल, 2026 से 60 साल पुराने आयकर कानून, 1961 (Income tax Act) की जगह ले सकता है।
आयकर कानून के रिव्यू का प्रस्ताव इसलिए दिया गया था क्योंकि यह समझने में जटिल और बेहद लंबा था। 823 पन्नों के पुराने कानून के मुकाबले नए विधेयक में करीब 625 पन्ने हैं। इसमें 536 सेक्शन, 23 चैप्टर और 16 शेड्यूल हैं जबकि मौजूदा कानून में 819 सेक्शन, 47 चैप्टर और 11 शेड्यूल हैं।
इसका साइज कम होने के पीछे एक बड़ा कारण इसकी भाषा को सरल किया जाना है। जहां जरूरत नहीं है, वहां से लंबे-लंबे वाक्य और स्पष्टीकरण हटा दिया गया है। बार-बार दोहराई जाने वाली बातें भी हटा दी गई हैं। प्रावधानों को असरदार तरीके से समझाने के लिए टेबल्स का इस्तेमाल किया गया है।
नए विधेयक में 1 अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष के 12 महीनों को ‘टैक्स इयर’ कहा गया है। किए नए बिजनेस या प्रफेशन, या किसी नई आमदनी के एक वित्त वर्ष में बनने पर टैक्स इयर तब शुरू होगा जब वह बिजनेस या प्रफेशन, या आमदनी बनी होगा और खत्म उसी वित्त वर्ष के साथ होगा।
नए आयकर विधेयक में टैक्स स्लैब्स या टैक्स दरों में कोई बदलाव वहीं किया गया है। इस विधेयक का लक्ष्य कानून के प्रावधानों को सरल करना और पालन को आसान बनाने का था ताकि करदाताओं के साथ-साथ टैक्स अधिकारियों को कोई कन्फ्यूजन ना हो।
रेजिडेंशियल स्टेटस को लेकर नए आयकर विधेयक में कोई बदलाव नहीं किया गया है। हालांकि, इसकी भाषा को आसान बनाने के लिए सेक्शने 6 को दोबारा लिखा गया है। कुछ सब-क्लॉज को अक्षरों की जगह नंबर दिए गए हैं। कंपनी, हिंदू अविभाजित परिवार के रेजिडेंशियल स्टेटस को तय करने के लिए कोई बदलाव नहीं किया गया है।
नए आयकर विधेयक में आमदनी की श्रेणियों पहले की तरह ही- सैलरी, घर की संपत्ति से आने वाली आमदनी, प्रफेशन या बिजनेस से होने वाला प्रॉफिट या गेन, कैपिटल गेन और दूसरे स्रोतों से आमदनी है।
मौजूदा आयकर कानून के कुछ प्रावधानों को आयकर रिटर्न के साथ मिलाकर पढ़ा जाता है, जैसे किसी आमदनी पर अगर छूट मिली हो तो ITR के नियमों और कानून, दोनों को रिफर करना होता है। नए विधेयक में साफ किया गया है कि कुछ नियमों को इसी में साफ किया जाएगा।
आयकर कानून के सेक्शन 10 में कृषि आमदनी, पार्टनरशिप कंपनी में प्रॉफिट का शेयर, पारिवारिक पेंशन, छात्रवृत्ति, NRE/FCNR डिपॉजिट पर ब्याज जैसे मुद्दों पर मिलने वाली छूट के बारे में नए विधेयक में शेड्यूल II से VII तक टेबल के जरिए बताया जाएगा।
आयकर कानून, 1961 में ऐसे कई सेक्शन हैं जिनमें प्रावधान एक से हैं लेकिन टैक्स रेट या सीमा अलग-अलग। नए विधेयक में इसे सरल करने के लिए टेबल का इस्तेमाल किया गया है। सेक्शन 393 में सैलरी को छोड़कर TDS के बाकी प्रावधान , 392 में सैलरी से जुड़े प्रावधान, 394 में TCS के प्रावधानों को समझाया गया है।
बिना टैक्स रेट स्ट्रक्चर में बदलाव किए, आयकर विधेयक में अप्रवासियों को रॉयल्टी, टेक्निकल सर्विसेज के लिए भुगतान, ब्याज वगैरह के प्रावधानों को सेक्शन 207 में रखा गया है जहां टैक्स रेट्स को टेबल में दिखाया गया है।
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