पर्सनल फाइनेंस
3 min read | अपडेटेड January 15, 2025, 07:15 IST
सारांश
साल 2022-23 में बीमा पहुंच (insurance penetration) 4% थी जो 2023-24 में 3.7% पर आ गिरा थी। जीवन बीमा उद्योग में यह 3% से 2.8% पर खिसक गई था। वहीं, गैर-जीवन बीमा उद्योग में यह 1% पर ही बनी रही।
भारत में बड़ी आबादी बीमा कवर के बाहर है।
भारत जी20 देशों में सबसे तेजी से उभरता बीमा बाजार है। स्विस रे की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2025 से 2029 के बीच भारत औसतन 7.3% की प्रीमियम ग्रोथ के साथ इन देशों में से सबसे तेज रफ्तार से बढ़ेगा। ऐसे में बीमा कंपनियों को उम्मीद है कि केंद्रीय बजट 2025 में ग्राहकों को टैक्स बेनिफिट दिए जाएंगे और कंपनियों को पॉलिसी बेचने के लिए प्रोत्साहन भी मिलेंगे।
भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority of India, IRDAI के मुताबिक साल 2022-23 में बीमा पहुंच (insurance penetration) 4% थी जो 2023-24 में 3.7% पर आ गिरा थी। जीवन बीमा उद्योग में यह 3% से 2.8% पर खिसक गई था। वहीं, गैर-जीवन बीमा उद्योग में यह 1% पर ही बनी रही।
ICRA Ltd की वाइस प्रेसिडेंट नेहा पारिख ने आगामी बजट को लेकर उम्मीद जताई है कि पब्लिक सेक्टर यूनिट सामान्य बीमा कंपनियों की माली हालत को देखते हुए बजट में उनके लिए आवंटन का ऐलान एक सकारात्मक कदम होगा। पारिख को यह भी संभावना नजर आती है कि बीमा पहुंच के कम होने के चलते सरकार इसे लेकर प्रोत्साहन का ऐलान भी कर सकती है।
जॉपर के सह-संस्थापक मयंक गुप्ता का मानना है कि बीमा उद्योग को नए ग्राहक इस क्षेत्र में लेकर आने के लिए प्रोत्साहन देने से बीमा पहुंच की समस्या को सुलझाया जा सकता है। इससे ज्यादा बड़ी आबादी को बीमा कवर के अंतर्गत लाया जा सकेगा। उन्हें इसके लिए टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करते हुए बीमा प्लान बांटने में ढील दी जा सकती है। बीमा को दूसरे वित्तीय उत्पादों के साथ बेचकर भी बांटने पर होने वाले खर्च को कम किया जा सकता है। ग्राहकों को ऐसे में आसानी से और कम कीमत पर उत्पाद उपलब्ध हो सकेंगे।
वहीं, रिन्यूबाई के सह-संस्थापक और सीईओ बालचंदर सेखर का कहना है कि जीएसटी दरों में कटौती के जरिए स्वास्थ्य बीमा को किफायती बनाया जा सकता है। टैक्स में छूट मिलने से ज्यादा से ज्यादा लोग बीमा पॉलिसी खरीदेंगे जिससे उन्हें सिक्यॉरिटी और लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन मिलेगा। ग्रामीण भारत में बीमा के लिए प्रोत्साहन देने से इन क्षेत्रों में भी बेहतर नतीजे देखे जा सकेंगे जहां अभी बीमा पहुंच बेहद कम है।
फ्यूचर जनरलाई भारत बीमा कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ अनूप राउ का कहना है कि आयकर कानून के सेक्शन 80डी के तहत डिडक्शन की सीमा को बढ़ाने से स्वास्थ्य बीमा को ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सकेगा। स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती कीमत के चलते ऐसा करना जरूरी हो गया है।
लेखकों के बारे में
अगला लेख