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  1. क्या है रिटायरमेंट प्लानिंग? कैसे करें सेविंग्स? जानें तरीके

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क्या है रिटायरमेंट प्लानिंग? कैसे करें सेविंग्स? जानें तरीके

Upstox

4 min read | अपडेटेड December 09, 2024, 16:11 IST

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सारांश

Retirement के बाद आराम से जिंदगी जीने के लिए जल्द करें सेविंग्स की शुरुआत। पहले से सेविंग्स करने पर कंपाउंड इंटरेस्ट की मदद से आपकी सेविंग्स काफी बढ़ जाएंगी।

समय पर सेविंग्स करने से सुरक्षित होता है भविष्य

समय पर सेविंग्स करने से सुरक्षित होता है भविष्य

कई बार रिटायरमेंट के बाद के जीवन के लिए प्लानिंग करने में लोग देर लगा देते हैं। जरूरी है कि पहले से ही इसकी तैयारी की जाए ताकि नौकरी का कार्यकाल खत्म होने के पहले भविष्य की चिंता ना रहे। ऐसे में सवाल ये पैदा होता है कि इसके लिए सेविंग्स की जाएं तो कैसे? यहां समझते हैं पोस्ट- रिटायरमेंट स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग मेंटेन करने के लिए पहले से कैसे करें सेविंग्स-

क्या है रिटायरमेंट प्लानिंग? ये ऐसे वक्त के लिए जरूरी है जब रेग्युलर आमदनी बंद हो जाती है लेकिन खर्चे चलते रहे हैं। इसलिए पहले से प्लानिंग जरूरी है ताकि अहम खर्चों के लिए परेशान न होना पड़े।

पहले से रिटायरमेंट प्लानिंग करने से भविष्य में पैदा होने वाली जरूरतों और उन्हें मैनेज करने के तरीके सोचे जा सकते हैं, जैसे हेल्थकेयर, घर खर्च वगैरह। यह प्लानिंग इसलिए जरूरी है ताकि महंगाई दर के असर को पहले से कैलकुलेट किया जा सके।

रिटायरमेंट के लिए कितनी सेविंग्स करें?

  1. एक बेसिक रूल है '80% रूल'। माना जाता है कि सेविंग्स इतनी होनी चाहिए कि रिटायरमेंट के बाद इनकम का 70-80% आपको मिलता रहे। ऐसा इसलिए क्योंकि रिटायरमेंट के बाद ऑफिस आने- जाने जैसे खर्च खत्म हो जाते हैं। हालांकि, बढ़ती महंगाई के साथ इस रकम को बढ़ाना भी जरूरी हो गया है क्योंकि हेल्थकेयर से लेकर आम जरूरतों पर भी खर्च ज्यादा होगा।

  2. एक्सपर्ट्स ये भी सलाह देते हैं रिटायरमेंट के वक्त आपका जितना सालाना खर्च हो, उसका 20-30 गुना एक रिटायरमेंट कॉर्पस में जमा रहे।

किन बातों का पड़ता है रिटायरमेंट सेविंग्स पर असर?

  • 20 साल की उम्र से सेविंग्स कर रहे शख्स की रिटायरमेंट के वक्त माली हालत बेहतर होती है, मुकाबले उसके जिसने सेविंग्स 40 साल की उम्र में आकर शुरू की।

  • अगर आपको घूमने-फिरने या ऐसे दूसरे शौक हैं, तो रिटायरमेंट के बाद के खर्च भी बढ़ जाएंगे। ऐसे में ज्यादा बड़ा कॉर्पस चाहिए होगा।

  • सबसे जरूरी बात है महंगाई का आकलन। भविष्य में बढ़ने वाली महंगाई दर के हिसाब से अपना फंड कैलकुलेट करें नहीं तो जरूरत के वक्त में पैसे कम पड़ सकते हैं।

  • उम्र के साथ हेल्थकेयर सर्विसेज पर खर्च बढ़ता है जो उम्र के शुरुआती पड़ाव में ध्यान नहीं आते। इन्हें भी जरूर शामिल करें।

यूं प्लान करें रिटायरमेंट फंड की प्लानिंग

  • जल्द करें शुरुआत। पहले से सेविंग्स करने पर कंपाउंड इंटरेस्ट की मदद से आपकी सेविंग्स काफी बढ़ जाएंगी।

  • अपने महीने खर्च का बजट बनाएं ताकि जरूरी खर्चों को समझा जा सके। इस तरह बेफिजूल खर्चों को काटकर बेहतर सेविंग्स की जा सकेंगी।

  • Employees’ Provident Fund (EPF), National Pension System (NPS) जैसे प्लान काफी मददगार होते हैं।

  • अलग- अलग जगह करें निवेश ताकि रिस्क को कम किया जा सके। इक्विटी, बॉन्ड, सरकारी योजनाओं में बांटें सेविंग्स।

  • ऑटोमेशन का सहारा लें ताकि हर महीने पैसे जरूर सेव हों और कहीं खर्च ना हो जाएं।

क्या- क्या हैं ऑप्शन?

Employees' Provident Fund (EPF): सैलरी पाने वालों के लिए EPF अनिवार्य है। यहां कर्मचारी की मासिक सैलरी और डियरनेस अलाउंस में से कुछ हिस्सा कर्मचारी और कंपनी, दोनों को देना होता है।
Public Provident Fund (PPF): ये सरकारी सेविंग्स स्कम काफी अच्छा इंटरेस्ट रेट और टैक्स बेनिफिट देती है। इसमें लॉक इन पीरियड 15 साल का होता है। इसे मैच्योर होने के बाद 5-5 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है।
National Pension System (NPS): NPS ऑप्शनल, लॉन्ग-टर्म प्लान है जिसके टैक्स बेनिफिट्स हैं। इसमें दिया गया कॉन्ट्रिब्यूशन इक्विटी, सरकारी बॉन्ड्स में इन्वेस्ट होता है। रिटायरमेंट के बाद कॉर्पस का कुछ हिस्सा निकाला जा सकता है जबकि बाकी से annuity खरीदकर रिटायरमेंट के बाद आमदनी पक्की की जा सकती है।
म्यूचुअल फंड्स और पेंशन प्लान: MF खासकर Systematic Investment Plans (SIPs) भी असरदार रिटायरमेंट फंड होते हैं।

लेखकों के बारे में

Upstox
Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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