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Budget 2025: वेतनप्राप्त कर्मचारियों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाना क्यों है जरूरी? ICAI ने दिया सुझाव

rajeev-kumar

3 min read | अपडेटेड January 08, 2025, 09:16 IST

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सारांश

Standard Deduction: वेतनप्राप्त कर्मचारी नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) के तहत ₹75,000 स्टैंडर्ड डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। वहीं, पुरानी कर व्यवस्था (Old Tax Regime) के तहत यह सीमा ₹50,000 है।

कई साल से नहीं अपडेट किए गए हैं मानक

कई साल से नहीं अपडेट किए गए हैं मानक

राजीव कुमार

केंद्रीय बजट 2025 पेश होने में अब कुछ ही हफ्ते बचे हैं। ऐसे में अलग-अलग इकाइयां वित्त मंत्रालय को अपने सुझाव दे रही हैं। इसी कड़ी में इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने आयकर में स्टैंडर्ड डिडक्शन को लेकर प्रस्ताव दिया है जिससे वेतनप्राप्त कर्मचारियों को राहत मिल सके।

पुराने हो गए पैमाने

आयकर कानून 1961 के तहत नौकरी के दौरान होने वाले खर्चों को कवर करने के लिए सैलरी से कुछ डिडक्शन की इजाजत होती है जो टैक्स के दायरे में नहीं आता। हालांकि, यह हिस्सा मौजूदा समय में मुद्रास्फीति और बदलते समय के साथ बढ़ते खर्चों की तुलना में कम होता है या उन्हें कवर ही नहीं करता।

जैसे अगर कोई कर्मचारी अपनी स्किल्स को बेहतर करना चाहता हो, तो उस पर किया गया खर्च स्टैंडर्ड डिडक्शन के दायरे में नहीं आएगा। इसके अलावा सेक्शन 10 के तहत अतिरिक्त छूट भी मिली हुई है लेकिन इसकी ऊपरी सीमा कई साल पहले तय की गई थी और महंगाई बढ़ने के बावजूद इसे नहीं बदला गया है।

कितना है स्टैंडर्ड डिडक्शन?

वेतनप्राप्त कर्मचारी नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) के तहत ₹75,000 स्टैंडर्ड डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। वहीं, पुरानी कर व्यवस्था (Old Tax Regime) के तहत यह सीमा ₹50,000 है।

ICAI ने सरकार को सुझाव दिया है कि आगामी बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन को मुद्रास्फीति से जोड़ा जाए। इसके अलावा कर्मचारियों की खरीददारी की क्षमता को भी ध्यन में रखा जाए। इसे कॉस्ट-इन्फ्लेशन इंडेक्स से भी जोड़ा जा सकता है ताकि समय-समय पर अडजस्ट किया जा सके।

आमदनी की नई श्रेणी जोड़ें

ICAI ने यह भी सलाह दी है कि शेयर्स और सिक्यॉरिटीज से आने वाली आमदनी को एक अलग कैटिगिरी में रखा जाए। इससे डिविडेंड, ब्याज और कैपिटल गेन्स के जरिए शेयर्स और सिक्यॉरिटीज पर होने वाली आमदनी पर टैक्स लगाना आसान हो सकेगा।

अभी आमदनी को 5 बिंदुओं में बांटा गया है- वेतन, घरेलू संपत्ति से आय, बिजनेस या प्रफेशन से प्रॉफिट और गेन, कैपिटल गेन और दूसरे सूत्रों से आय। ICAI के मुताबिक सिक्यॉरिटीज पर इंटरेस्ट पहले एक छठी श्रेणी भी होती थी जिसे फाइनेंस ऐक्ट, 1988 में 1 अप्रैल, 1989 को हटा दिया गया था।

लेखकों के बारे में

rajeev-kumar
Rajeev Kumar Upstox में डेप्युटी एडिटर हैं और पर्सनल फाइनेंस की स्टोरीज कवर करते हैं। पत्रकार के तौर पर 11 साल के करियर में उन्होंने इनकम टैक्स, म्यूचुअल फंड्स, क्रेडिट कार्ड्स, बीमा, बचत और पेंशन जैसे विषयों पर 2,000 से ज्यादा आर्टिकल लिखे हैं। वह 1% क्लब, द फाइनेंशल एक्सप्रेस, जी बिजेनस और हिंदुस्तान टाइम्स में काम कर चुके हैं। अपने काम के अलावा उन्हें लोगों से उनके पर्सनल फाइनेंस के सफर के बारे में बात करना और उनके सवालों के जवाब देना पसंद है।

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