पर्सनल फाइनेंस
4 min read | अपडेटेड November 08, 2024, 18:55 IST
सारांश
कई बार छोटे- छोटे खर्च में हमारे काफी पैसे खर्च हो जाते हैं। महीना खत्म होने के बाद एहसास होता है कि फिजूलखर्च के बाद जरूरतों के लिए फंड कम रह गया। इसलिए पैसे संभालकर खर्च करने की आदत पैदा करना जरूरी है।
संभालकर प्लान करें खर्च
छोटी से छोटी चीज घर पर ऑर्डर करनी हो या बड़े से बड़ा पेमेंट, हाथ में मोबाइल फोन ने झट से खर्च करने की जैसे आदत डाल दी है। कई बार बाजार में भी यही होता है कि बिना सोचे- समझे, बस मन किया और कुछ खरीद लिया।
लेकिन बाद में एहसास होता है कि जेब ढीली हो गई और बेहद जरूरी खर्चों के लिए भी पैसे बचे नहीं। इसलिए हर दिन छोटे- छोटे गैर-जरूरी खर्चों को रोकना अहम हो जाता है।
यहां हम आपको बता रहे हैं ऐसे तरीके जिनसे आप बचत की आदत डाल सकते हैं।
10- मिनट डिलिवरी के समय में हम खरीददारी को लेकर निश्चिंत हो जाते हैं कि अगर कोई सामान रह भी गया तो बाद में आ जाएगा। फिर सामान की लिस्ट स्क्रोल करते हुए कुछ और दिख जाता है और कार्ट बढ़ता जाता है। कई बार बाजार जाने पर सोचते हैं कि क्या- क्या खरीद लें। ऐसे में बजट बिगड़ते देर नहीं लगती है।
इसलिए जरूरी है कि सामान लेने के पहले एक लिस्ट बनाएं। बेहतर होगा अगर सामान खत्म होते ही नोट करते जाएं ताकि बाद में भूलें ना। फिर उस लिस्ट को ही फॉलो करें। खराब ना होने वाला सामान ज्यादा मात्रा में लें ताकि डिस्काउंट भी मिल सके और बार- बार आने- जाने का ईंधन या डिलिवरी चार्ज/ सर्विस चार्ज न लगे।
कभी- कभी रेस्तरां जाना या घर पर खाना ऑर्डर करना अपने लिए जरूरी होता है। लेकिन ये हमेशा की आदत बन जाए तो भी बजट बिगड़ सकता है। बाहर का खाना बार- बार खाने से बिल भी बढ़ता है और सेहत पर भी अच्छा असर नहीं पड़ता।
इसलिए कोशिश करें कि हफ्ते में क्या बनेगा, इसके लिए पहले से सोच लें और उस हिसाब से सामान मंगा लें। ये भी सोच लें कि जिस दिन समय कम होगा या थकान ज्यादा होगी, उस दिन आसानी से क्या बनाया जा सकता है। इस तरह छोटी- छोटी चीजें प्लान करने से आप काफी पैसे बचा सकेंगे।
फिजूलखर्ची की एक बड़ी वजह होती है मन में आते ही चीज खरीद लेना। चाहे खाने को कुछ ऑर्डर करना हो या कोई मनपसंद कपड़ा। कई बार लोग बेहतर फील करने के लिए रीटेल थेरेपी अपनाते हैं लेकिन इसकी जगह अपनी क्रेविंग को कंट्रोल करने की आदत डालें।
खुश होने के लिए हॉबी डिवेलप करें। कुछ खरीदने के पहले अपने से बात करें कि कोई चीज कितनी जरूरी है, उसका बाद में क्या इस्तेमाल होगा, उतने पैसे क्या किसी बेहतर खरीददारी के काम आ सकते हैं, वगैरह।
कर्ज हो या क्रेडिट कार्ड का बिल- पहले बकाया चुकाएं। इससे आप ब्याज देने से बच जाते हैं और काफी नुकसान टाला बच जाता है। क्रेडिट स्कोर भी बेहतर होता है जिससे आगे लोन लेना आसान हो जाता है। बड़ा खर्च होने के बाद आपको अंदाजा भी लगता है कि महीना निकालने के लिए अब कितना बैलेंस बचा है।
बड़ी रकम लगाने से पहले अच्छे से मार्केट रिसर्च कर लें। कई बार ऑनलाइन और ऑफलाइन कीमतों में काफी अंतर होता है या EMI का ऑप्शन भी होता है। सामान के रिव्यू, खरीदने का अच्छा समय, अलग- अलग ब्रांड में अंतर जैसी फैक्टर्स पर रिसर्च करने के बाद खरीदी करें।
यूं तो कैब सर्विसेज आरामदायक होती हैं लेकिन कई बार लोकल ट्रैवल ऑप्शन ज्यादा किफायती होते हैं। इसी तरह वैकेशन पर जा रहे हैं तो होम-स्टे या Airbnb एक्सप्लोर कर सकते हैं।
अब कई मोबाइल प्लान टीवी के पैकेज के साथ आते हैं। इन पर नए- नए ऑफर आते रहते हैं। अपनी जरूरत और बजट के हिसाब से प्लान डिसाइड करें और एक बार में एक सर्विस लेने से भी फायदा होता है।
अपनी सेविंग्स को फिक्स डिपॉजिट में रखें या किसी ऐसे सेविंग्स अकाउंट में डालें जहां इंटरेस्ट ज्यादा मिले। म्यूचुअल फंड भी बेहतर रिटर्न देते हैं।
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