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3 min read | अपडेटेड February 10, 2025, 15:21 IST
सारांश
Gold Loan GNPA: सोने की कीमतें बढ़ने के साथ लोग इस पर कर्ज तो लेते हैं लेकिन चुका नहीं पाते। ऐसे में सोने की नीलामी भी करनी पड़ती है।
आमतौर पर सोने के जेवरों को सिक्यॉरिटी देकर लिया जाता है लोन।
शेड्यूल्ड कमर्शल बैंकों (Scheduled Commercial Banks, SCBs) में मार्च 2024 से जून 2024 के बीच गोल्ड लोन (Gold Loan) से जुड़े नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट (Non-performing asset) 20% से ज्यादा बढ़ गए थे। गोल्ड लोन पर बढ़े हुए डिफॉल्ट अर्थव्यवस्था की गति और कर्ज चुकाने में लोगों की कम होती क्षमता की ओर इशारा करता है।
इस बारे में जानकारी लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक सवाल के जवाब में दी है। आनंद भदौरिया और कणिमोई करुणानिधि ने वित्त मंत्री से सवाल किया था कि जिस तरह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) का डेटा बताता है, क्या 2024-24 की पहली तिमाही में गोल्ड लोन NPA 30% बढ़ा है और क्या कमर्शल बैंकों का गोल्ड लोन NPA 60% बढ़ा है।
इस पर जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने सदन को बताया कि SCBs और उच्च-मध्य स्तर की नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (Non-Banking Financial Companies, NBFCs) के ग्रोस नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट (GNPA) में मार्च 2024 से जून 2024 के बीच 18.14% इजाफा हुआ था।
वित्त मंत्री ने बताया कि इस दौरान SCBs के GNPAs में 21.03% इजाफा दर्ज किया गया था। वहीं, 30 जून, 2024 तक SCBs में गोल्ड लोन GNPA अनुपात 0.22% और NBFCs में 2.58 % रहा था।
रिजर्व बैंक ने नवंबर में जारी किए गए डेटा में यह भी बताया था कि मार्च 2024 से अक्टूबर 2024 के बीच आउटस्टैंडिंग गोल्ड लोन में 50.4% इजाफा दर्ज किया गया था। यानी सोने की कीमतों में होने वाले इजाफे के साथ लोग इस पर लोन तो लेते हैं लेकिन वापस चुकाना मुश्किल हो जाता है।
दि इंडियन एक्सप्रेस की एक RTI के जवाब में RBI के डेटा में पाया गया था कि मार्च 2024 से जून 2024 के बीच कमर्शल बैंकों के गोल्ड लोन NPA में 62% की बढ़त हुई थी। वहीं, NBFCs में 24% बढ़त देखी गई थी।
इससे लोगों की कर्ज चुकाने की क्षमता के कम होने की ओर इशारा मिलता है। आमतौर पर लोग सोने के जेवरों को सिक्यॉरिटी रखकर कर्ज लेते हैं। इसे ना चुकाने पर ये जेवर नीलाम करने पड़ते हैं। बढ़ता NPA इस बात की चिंता को भी जाहिर करता है कि जो लोग अनऔपचारिक रास्तों से गोल्ड लोन लेते हैं, उनके हालात और भी कमजोर हो सकते हैं।
वित्त मंत्री ने लोक सभा को यह भी बताया है कि RBI के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए बैंक और NBFCs ने गोल्ड लोन से जुड़े जोखिम को कम करने के लिए कई कदम भी उठाए हैं।
इसमें कोलैटरल के तौर पर दिए गए सोने का नियमित असेसमेंट, उसकी शुद्धता की जांच के लिए एसिड टेस्ट, एक्स-रे फ्लोरसेंस जैसे तरीकों का इस्तेमाल, सीसीटीवी सर्वेलांस, ऑडिट जैसे तरीके शामिल हैं।
वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि अगर कोई कर्जदार इसे वापस चुकाने में विफल होता है, तो सोने की नीलामी की प्रक्रिया में गलती पाए जाने पर ऐक्शन भी लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि कर्ज न चुकाने पर अकाउंट होल्डर्स को कई नोटिस दिए जाएंगे।
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