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3 min read | अपडेटेड February 24, 2025, 07:31 IST
सारांश
8th Pay Commission expectations: छठे और सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट्स पर नजर डालें तो पाएंगे कि कर्मचारियों की उम्मीदें पूरी तरह अमल में आना मुश्किल हो सकता है।
कर्मचारियों ने आयोग से पहले भी लगाई हैं उम्मीदें, हर डिमांड पूरी होना मुश्किल।
केंद्रीय वेतन आयोग के गठन का ऐलान होने के बाद से कर्मचारियों के बीच सैलरी में बढ़ोतरी और फिटमेंट फैक्टर को लेकर चर्चा तेज है। उम्मीद की जा रही है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए फिटमेंट फैक्टर 2.86 तक बढ़ाया जा सकता है।
हालांकि, छठे और सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट्स पर नजर डालें तो पाएंगे कि कर्मचारियों की उम्मीदें पूरी तरह अमल में आना मुश्किल हो सकता है। कर्मचारियों की सैलरी को बदलने की डिमांड को 7वें वेतन आयोग ने पूरी तरह नहीं माना था।
7वें वेतन आयोग के पहले कर्मचारियों की प्रतिनिधि जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी ने 271% के इजाफे की मांग की थी। इसके लिए दिए गए ज्ञापन में न्यूनतम वेतन को ₹7000 से बढ़ाकर ₹26,000 करने की डिमांड थी। इसके लिए 7वें वेतन आयोग को 3.7 फिटमेंट फैक्टर का सुझाव देना था।
JCM-स्टाफ साइड का प्रस्ताव है कि न्यूनतम सैलरी कर्मचारियों की जरूरत के हिसाब से तय होनी चाहिए। संगठन का सुझाव है कि एक वर्कर के लिए न्यूनतम वेतन 15वें लेबर कॉन्फ्रेंस के प्रस्तावों पर आधारित हो। ज्ञापन में न्यूनतम भुगतान ₹26,000 यानी मौजूदा ₹7,000 से 3.7 गुना ज्यादा किया जाए।
हालांकि, 7वें वेतन आयोग ने न्यूनतम वेतन को सिर्फ ₹18,000 करने का प्रस्ताव दिया जो पिछले वेतन से 157% ज्यादा था। इसके पहले छठे वेतन आयोग ने न्यूनतम वेतन ₹7000 करने का प्रस्ताव दिया था।
7वें वेतन आयोग का कहना था कि एक तरह से रुख एक ही सा रखा गया है लेकिन कुछ चीजें अलग हैं। आयोग ने Aykroyd फॉर्म्यूला की तरह सिंगल वर्कर और परिवार की जरूर के आधार पर न्यूनतम वेतन ₹18,000 निकाला है।
वहीं, इसके पहले छठे वेतन आयोग ने भी कर्मचारियों की न्यूनतम वेतन की मांग को पूरी तरह नहीं माना था। JCM के स्टाफ साइड से जुड़े अलग-अलग संगठनों ने न्यूनतम मासिक वेतन ₹10,000 करने की मांग की थी।
स्टाफ साइड ने यह तर्क दिया था कि पब्लिक सेक्टर इकाइयों के कर्मचारियों की न्यूनतम आमदनी ₹10,000 प्रति माह के आसपास है। इसलिए इसी तरह न्यूनतम वेतन का प्रावधान केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए भी किया जाना चाहिए।
हालांकि, छठे वेतन आयोग का कहा था कि यह तर्क तथ्यों पर आधारित नहीं है। आयोग के मुताबिक ज्यादातर पब्लिक सेक्टर इकाइयों में ऐसी न्यूनतम सैलरी 1 जनवरी, 2006 तक नहीं लागू हुई थी। इसके बाद छठे वेतन आयोग ने न्यूनतम वेतन को ₹7000 करने का प्रस्ताव दिया था।
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