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Budget 2025: पिछले 4 साल में कई तरह से बदली आयकर की शक्ल, इस बजट में क्या नया लाएंगी निर्मला सीतारमण?

rajeev-kumar

5 min read | अपडेटेड January 17, 2025, 09:12 IST

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सारांश

Budget 2025 के पहले इस बात पर चर्चा शुरू हो गई है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आयकर से जुड़े क्या बदलाव लाने वाली हैं। पिछले 4 बजट में आयकर व्यवस्था में कई तरह के बदलाव लाए जा चुके हैं।

नई कर व्यवस्था में और सहूलियतों की उम्मीद

नई कर व्यवस्था में और सहूलियतों की उम्मीद

बजट 2025 पेश होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे में चर्चा जारी है कि इस बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वेतनप्राप्त करदाताओं के लिए क्या बदलाव लाएंगी। खासकर नई कर व्यवस्था आने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बजट में क्या खास होगा।

नई कर व्यवस्था पर फोकस

साल 2020 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई कर व्यवस्था लॉन्च की थी। उसके बाद से इसमें कई बदलाव लाए गए हैं ताकि करदाताओं को इससे चुनने के लिए प्रेरित किया जा सके। वहीं, पुरानी कर व्यवस्था में इन चार साल में कोई खास बदलाव नहीं किया गया है।

वित्त मंत्री ने अपनी बजट 2024 के भाषण में कहा था कि सरकार टैक्स व्यवस्था को आसान करना चाहती है। इसलिए कॉर्पोरेट और पर्सनल इनकम टैक्स व्यवस्था को बिना डिडक्शन या छूट लागू कर रही है।

नई कर व्यवस्था ऐसे लोगों के लिए फायदेमंद है जिनकी सैलरी ₹7.75 लाख तक है, क्योंकि इसके पहले कोई टैक्स नहीं है। गैर-वेतनप्राप्त करदाताओं के लिए यह ₹7 लाख तक है। नई व्यवस्था में ज्यादा वेतन वाले लोगों को भी फायदा होता है क्योंकि उनके लिए अधिकतम टैक्स दर 42.74% से घटाकर 39% कर दी गई है।

कैपिटल गेन्स में बदलाव

पिछले बजट में वित्त मंत्री ने ऐलान किया था कि टैक्स की जरूरतों को देखते हुए कैपिटल गेन्स को ज्यादा असरदार बनाया जाएगा। अलग-अलग संपत्तियों के लिए होल्डिंग पीरियड में भी बदलाव किए गए हैं। अब सभी तरीकों की संपत्तियों पर कर के लिए 12 महीने और 24 महीने के होल्डिंग पीरियड रखे गए हैं।

इसके अलावा वित्तीय या गैर-वित्तीय संपत्तियों से आने वाले लॉन्ग-टर्म गेन्स पर 12.5% और शॉर्ट टर्म गेन्स पर 20% टैक्स लगता है। हालांकि, डेट निवेश से होने वाले फायदे पर अलग-अलग स्लेब रेट लगते हैं, होल्डिंग पीरियड चाहे जितना हो।

NPS में फायदे

नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में पुरानी कर व्यवस्था के तहत कोई बदलाव नहीं किए गए हैं। हालांकि, नई कर व्यवस्था में कुछ फायदे मिले हैं। बजट 2024 में प्राइवेट सेक्टर कर्मचारियों को नई कर व्यवस्था के तहत NPS में निवेश की गई बेसिक सैलरी के 14% पर डिडक्शन मिला है।

पिछले साल वित्त मंत्री ने बच्चों के लिए भी एक स्कीम का ऐलान किया था। NPS वात्सल्य के तहत कम उम्र से ही NPS के साथ लोगों को जोड़ने की कवायद की जा रही है।

डिजिटाइजेशन ने तेज किया प्रोसेस

केंद्र सरकार का ध्यान शुरुआत से ही डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने पर रहा है। यही बात टैक्स फाइलिंग व्यवस्था पर भी लागू होती है। इसके लिए किए गए इंतजामों की बदौलत वित्त वर्ष 2022-23 में टैक्स रिटर्न के प्रोसेस होने में जहां 16 दिन लगते थे, FY24 में यह 10 दिन पर आ गया। तेज प्रोसेसिंग से विभाग का काम भी आसान होता है और करदाताओं को क्रेडिट भी जल्दी मिल जाता है।

वित्त मंत्री ने अपने बजट 2023 के भाषण में बताया था कि सरकार का प्लान एक नेक्स्ट-जनरेशन कॉमन आईटी रिटर्न फॉर्म लाने का है जिससे करदाताओं को आसानी हो। इसके साथ ही शिकायतों को भी तेजी से सुलझाया जा सकेगा।

बढ़े करदाताओं का विश्वास

पिछले 4 बजट में करदाताओं के लिए ज्यादा डेटा उपलब्ध करक पारदर्शिता को बढ़ाया गया है। इससे उन्हें टैक्स रिटर्न फाइल करने में आसानी होती है। पिछले साल के बजट में वित्त मंत्री ने ऐलान किया था कि आयकर कानून, 1961 को रिव्यू भी किया जाएगा ताकि इसे छोटा और आसान किया जाए।

स्रोत पर टैक्स कलेक्शन को भी पिछले कई साल में बेहतर किया गया है। पिछले साल के बजट में TCS को सैलरी पर TDS में अजस्ट करने का प्रावधान भी किया था।

आगामी बजट से क्या हैं उम्मीदें?

माना जा रहा है कि वित्त मंत्री करदाताओं के लिए नई कर व्यवस्था और ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए कुछ सुविधाओं का ऐलान कर सकती हैं। कई एक्सपर्ट्स और इंडस्ट्री से जुड़े संस्थानों को उम्मीद है कि सरकार आयकर स्लैब्स को रिवाइज कर वेतनप्राप्त करदाताओं को रिलीफ दे सकती है।

कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री ने कहा है कि बजट 2025 को ₹20 लाख तक सालाना आय तक आयकर पर मार्जिनल टैक्स कम करना चाहिए। CII का मानना है कि इससे खर्चे बढ़ेंगे तो ग्रोथ और टैक्स से ज्यादा आमदनी बढ़ेगी।

इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ICAI ने सरकार को सुझाव दिया है कि आगामी बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन को मुद्रास्फीति से जोड़ा जाए ताकि वेतनप्राप्त कर्मचारियों को राहत मिल सके। इसके अलावा संस्थान ने प्रस्ताव दिया था कि शादीशुदा जोड़ों को संयुक्त आईटीआर फाइल करने का विकल्प दिया जाए।

EY ने हाल ही में कहा था कि नई कर व्यवस्था में बेसिक सैलरी में छूट की सीमा ₹3 लाख से ₹5 लाख कर दी जाए और टैक्स दरों को कम किया जाए ताकि करदाताओं के पास खर्च करने के लिए आमदनी हो।

लेखकों के बारे में

rajeev-kumar
Rajeev Kumar Upstox में डेप्युटी एडिटर हैं और पर्सनल फाइनेंस की स्टोरीज कवर करते हैं। पत्रकार के तौर पर 11 साल के करियर में उन्होंने इनकम टैक्स, म्यूचुअल फंड्स, क्रेडिट कार्ड्स, बीमा, बचत और पेंशन जैसे विषयों पर 2,000 से ज्यादा आर्टिकल लिखे हैं। वह 1% क्लब, द फाइनेंशल एक्सप्रेस, जी बिजेनस और हिंदुस्तान टाइम्स में काम कर चुके हैं। अपने काम के अलावा उन्हें लोगों से उनके पर्सनल फाइनेंस के सफर के बारे में बात करना और उनके सवालों के जवाब देना पसंद है।

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