पर्सनल फाइनेंस
3 min read | अपडेटेड January 28, 2025, 10:52 IST
सारांश
Budget 2025 Expectations: फिलहाल वेतनप्राप्त करदाता नई टैक्स व्यवस्था के तहत ₹75,000 और पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत ₹50,000 स्टैंडर्ड डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं।
स्टैंडर्ड डिडक्शन को कॉस्ट ऑफ लिविंग से जोड़ा तो कर्मचारियों को मिलेगी राहत।
जैसे-जैसे बजट 2025 के पेश होने की तारीख नजदीक आ रही है, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से टैक्स में राहत देने की लोगों की उम्मीदें बढ़ती जा रही हैं। कई सेक्टर्स ने इसे लेकर अपनी मांगें वित्त मंत्री के सामने रखी हैं। इनमें से सबसे अहम हैं सैलरी में बेसिक छूट और स्टैंडर्ड डिडक्शन को मुद्रास्फीति दर से जोड़ना।
इसके लिए आयकर स्लैब्स को बदलने की चर्चा जारी है ताकि मुद्रास्फीति दर के आधार पर बेसिक छूट दी जा सके। चार्टर्ड अकाउंटेंट डॉ. सुरेश सुरना के मुताबिक मुद्रास्फीति दर बढ़ने से कॉस्ट ऑफ लिविंग बढ़ रही है और खरीददारी की क्षमता कम हो रही है। इसके चलते टैक्स स्लैब्स को बदलने की मांग करदाताओं और अर्थशास्त्रियों के बीच उठती रही है।
मुद्रास्फीति दर के आधार पर स्लैब बदलने से टैक्स व्यवस्था को एक समान किया जा सकता है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि महंगाई दर के बढ़ने के साथ वेतन में इजाफा होने भर से करदाता ऊपरी टैक्स ब्रैकेट में ना पहुंच जाएं।
वहीं, द हिंदू बिजनसलाइन को दिए एक इंटरव्यू में Nangia & Co LLP के मैनेजिंग पार्टनर राकेश नांगिया ने बताया है कि हो सकता है कि आने वाले बजट में सरकार मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए बेसिक छूट ला सकती है।
इसके पहले ICAI ने भी सरकार को इसे लेकर सुझाव दिया था। ICAI ने कहा था कि बढ़ती हुई मुद्रास्फीति और खरीददारी की क्षमता को देखते हुए स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाया जा सकता है। संस्थान ने यह भी कहा था कि स्टैंडर्ड डिडक्शन को कॉस्ट-इन्फ्लेशन इंडेक्स के साथ लिंक किया जा सकता है।
फिलहाल वेतनप्राप्त करदाता नई टैक्स व्यवस्था के तहत ₹75,000 और पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत ₹50,000 स्टैंडर्ड डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। ICAI ने कहा था कि कर्मचारियों को अपनी स्किल्स बढ़ाने के लिए, या बदलते समय के साथ बढ़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ता है और मौजूदा स्टैंडर्ड डिडक्शन में इसका ध्यान नहीं रखा गया है।
वहीं, टैक्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि वेतनप्राप्त कर्मचारियों को राहत देने से ज्यादा से ज्यादा लोग टैक्स भरने के लिए तैयार होंगे और टैक्स व्यवस्था को लेकर लोगों की राय में भी सुधार आएगा।
इसे लेकर डॉ. सुरेश का कहना है कि टैक्स में राहत देने के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन में बदलाव के पहले इसे लागू करने से जुड़ी चुनौतियों और वित्तीय असर का अनुमान लगाना जरूरी होगा।
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