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3 min read | अपडेटेड February 13, 2025, 08:15 IST
सारांश
PPF Tax Relief: पुरानी कर व्यवस्था में PPF निवेश, ब्याज से आमदनी और मच्योरिटी अमाउंट, तीनों पर आयकर कानून, 1961 के सेक्शन 80सी के तहत टैक्स में राहत मिलती है।
पुरानी कर व्यवस्था के तहत निवेश, ब्याज और मच्योरिटी अमाउंट, तीनों पर टैक्स में राहत।
पुरानी कर व्यवस्था (Old tax regime) में पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (Public Provident Fund, PPF) टैक्स में छूट के लिए भरोसेमंद रास्ता है। इसमें सालाना ₹1.5 लाख तक निवेश पर सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन मिलता है। इसके साथ ही अकाउंट पर मिलने वाला ब्याज और मच्योरिटी अमाउंट भी टैक्स फ्री होते हैं।
नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) में बाकी डिडक्शन हटाने के साथ PPF का ये फायदा भी खत्म कर दिया गया है। इसलिए नई कर व्यवस्था चुनने पर PPF में निवेश पर सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन क्लेम नहीं किया जा सकता है। हालांकि, इस पर मिलने वाला ब्याज और मच्योरिटी अमाउंट अभी भी टैक्स के दायरे से बाहर हैं।
यूं तो PPF जैसी योजनाओं को अकसर टैक्स में बचत के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है लेकिन इसके फायदे टैक्स बचाने से कहीं ज्यादा हैं। PPF ऐसा लॉन्ग-टर्म निवेश और बचत का जरिया है जिसके रिटर्न्स की गारंटी होती है। भविष्य में यह राशि एक बड़ा फंड आपके पास होता है।
पुरानी और नई व्यवस्था, दोनों में मच्योरिटी अमाउंट टैक्स के दायरे से बाहर है। ऐसे में इसमें किए गए निवेश पर मिलने वाला रिटर्न कहीं ज्यादा होता है। इसकी वजह से भले ही PPF पर ब्याज कम लगता हो, निवेश का फायदा ज्यादा होता है। यह किसी के वित्तीय लक्ष्यों पर निर्भर करता है कि वह निवेश करना चाहे या नहीं।
PPF अकाउंट पर फिलहाल 7.1% का ब्याज लग रहा है जिसे सालाना कपाउंड किया जाता है। इस स्कीम में सावाना ₹1.5 लाख का निवेश किया जा सकता है जो 15 साल बाद मच्योर होता है। पब्लिक प्रॉविडेंट फंड नियम, 2019 के मुताबिक एक इंसान का सिर्फ एक ही पीपीएफ अकाउंट हो सकता है। यानी एक PAN (Permanent Account Number) पर एक ही पीपीएफ अकाउंट बनता है।
इसमें एक साल में न्यूनतम ₹500 से लेकर अधिकतम ₹1.5 लाख जमा किए जा सकते हैं। PPF कैलकुलेटर के जरिए देखा जा सकता है कि सालाना ₹1.5 लाख के निवेश से 15 साल बाद ₹40.68 लाख का मच्योरिटी अमाउंट बनता है जिस पर टैक्स भी नहीं लगता है।
दिसंबर 2024 की भारतीय रिजर्व बैंक बुलेटिन के मुताबिक भारतीयों के कम से कम ₹10 लाख करोड़ की कीमत के ऐसेट पीपीएफ में मार्च 2024 तक लॉक थे। जून 2021 की तुलना में यह 39% ज्यादा था। सबसे ज्यादा टैक्स ब्रैकेट में आने वाले लोगों के लिए यह ईल्ड को 7.1% से कहीं ज्यादा पहुंचा देता है।
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