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Home Loan Interest Rate: होम लोन के ब्याज को फिक्स्ड से फ्लोटिंग में कर सकते हैं शिफ्ट, कब, कौन सा होता है बेहतर?

rajeev-kumar

4 min read | अपडेटेड January 16, 2025, 11:15 IST

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सारांश

Floating vs Fixed Interest Rate: RBI ने क्रेडिट लेंडिंग संस्थानों को निर्देश दिया है कि लोगों के पास फिक्स्ड से फ्लोटिंग और वापस शिफ्ट करने का विकल्प देना होगा।

RBI के रेपो रेट के साथ घटता-बढ़ता है फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट

RBI के रेपो रेट के साथ घटता-बढ़ता है फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट

अपना घर बनाने के लिए कर्ज लेने का विचार कर रहे लोगों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने एक सहूलियत दे रखी है। अकसर यह समझना मुश्किल होता है कि कर्ज एक तय, फिक्स्ड ब्याज दर पर लिया जाए या लचीले फ्लोटिंग रेट्स पर। इसे लेकर सभी विनियमित इकाइयों को केंद्रीय बैंक ने निर्देश दिया है कि लेनदारों को एक ब्याज दर से दूसरी में शिफ्ट करने की आजादी मिले।

RBI ने EMI (Equated Monthly Instalments) पर आधारित पर्सनल लोन के फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट को लेकर अगस्त, 2023 में एक सर्कुलर जारी किया था। अब इसे लेकर कुछ चीजों को साफ किया गया है। बैंक का निर्देश है कि कुछ फीस लेकर कस्टमर्स को यह सुविधा दी जानी चाहिए कि वह फिक्स्ड से फ्लोटिंग या फ्लोटिंग से फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट में शिफ्ट कर सकें।

यह सुविधा घर कर्ज लेने वालों के लिए भी है क्योंकि EMI पर आधारित पर्सनल लोन की परिभाषा में अचल संपत्ति बनाे के लिए लिया गया कर्ज भी आता है। इसके अलावा इसमें उपभोक्ता कर्ज, एजुकेशन लोन और वित्तीय संपत्तियों में निवेश के लिए लिया गया कर्ज भी आता है। सभी पर ब्याज दर का तरीका बदलने की आजादी मिली हुई है।

RBI ने देनदारों को निर्देश दिया है कि फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट आधारित उत्पादों का विकल्प EMI आधारित पर्सनल लोन कैटिगिरी में देना ही होगा। इसके अलावा सेंट्रल बैंक ने देनदारों से बेंचमार्क दरों में बदलाव के कारण ब्याज दरों में बदलाव होने की स्थिति में लेनदारों को तीन विकल्प देने को कहा है-

  • या तो EMI में इजाफा किया जाए या EMI कायम रखते हुए उसकी संख्या में, या दोनों को मिलाकर।
  • बचे हुए कर्ज के लिए फिक्स्ड ब्याज दर में शिफ्ट करना।
  • बचे हुए टर्म के दौरान थोड़ा या पूरा कर्ज पहले ही चुकाना।

RBI ने साफ किया है कि ग्राहकों को फ्लोटिंग रेट से फिक्स्ड में, या वापस फ्लोटिंग में बदलने का विकल्प कुछ फीस लेकर देना होगा। देनदार यह तय कर सकते हैं कि कितनी बार यह शिफ्ट किया जा सकता है। यह फायदा सभी EMI-आधारित पर्सनल लोन पर मिलेगा, भले ही वह किसी एक्सटर्नल बेंचमार्क से जुड़े हों या बैंक के इंटर्नल बेंचमार्क से।

फ्लोटिंग या फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट: कौन सा है बेहतर?

जब बैंक की ब्याज दर बहुत कम हो तो लेनदार के लिए फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट में शिफ्ट करना फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, ऐसा बहुत कम होता है क्योंकि बैंक आमतौर पर फिक्स्ड रेट वाले कर्ज पर ज्यादा इंटरेस्ट लगाते हैं। फ्लोटिंग रेट वाले होम लोन का EMI एक्सटर्नल बेंचमार्क, जैसे रिजर्व बैंक के रेपो रेट से जुड़ा होता है। ऐसे में रेपो रेट के बदलने से EMI भी बदल सकता है।

इससे उलट फिक्स्ड रेट आधारित होम लोन में EMI कर्ज के पूरे टर्म के दौरान फिक्स होता है। बढ़ती हुई ब्याज दरों के वक्त फिक्स्ड रेट होम लोन फायदा कर सकता है लेकिन लेनदारों को तब फायदा नहीं होगा, अगर ब्याज दरें गिर रही हों।

माना जा रहा है कि अर्थव्यवस्था की धीमी होती रफ्तार को देखते हुए रिजर्व बैंक रेपो रेट को काट सकता है। ऐसा होता है तो फ्लोटिंग रेट कर्ज की ब्याज दर और EMI नीचे आ सकते हैं।

रिजर्व बैंक ने मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रेपो रेट में 250 बेसिस पॉइंट्स (2.5%) इजाफा किया था। हालांकि, उसके बाद से ही इसे 6.5% पर बरकरार रखा गया है। इसके पहले मई 2020 से मई 2022 के बीच यह 4% रहा था जबकि जनवरी 2014 से मई 2020 के बीच यह 8% से 4% पर आया था।

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लेखकों के बारे में

rajeev-kumar
Rajeev Kumar Upstox में डेप्युटी एडिटर हैं और पर्सनल फाइनेंस की स्टोरीज कवर करते हैं। पत्रकार के तौर पर 11 साल के करियर में उन्होंने इनकम टैक्स, म्यूचुअल फंड्स, क्रेडिट कार्ड्स, बीमा, बचत और पेंशन जैसे विषयों पर 2,000 से ज्यादा आर्टिकल लिखे हैं। वह 1% क्लब, द फाइनेंशल एक्सप्रेस, जी बिजेनस और हिंदुस्तान टाइम्स में काम कर चुके हैं। अपने काम के अलावा उन्हें लोगों से उनके पर्सनल फाइनेंस के सफर के बारे में बात करना और उनके सवालों के जवाब देना पसंद है।

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