पर्सनल फाइनेंस
3 min read | अपडेटेड January 09, 2025, 16:08 IST
सारांश
Mutual Fund December Data: इसके पहले म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में नवंबर के महीने में ₹60,295 करोड़ का निवेश हुआ था, जबकि अक्टूबर में यह ₹2.4 लाख करोड़ था।
नवंबर में देखा गया था लार्ज से स्मॉल कैप फंड्स में शिफ्ट
भारत में निवेशकों का रुख कम जोखिम वाले लार्ज कैप म्यूचुअल फंड्स से हटकर धीरे-धीरे स्मॉल और मिड कैप फंड्स की ओर शिफ्ट हो रहा है। असोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के नवंबर और फिर दिसंबर के डेटा में यह ट्रेंड साफ हो रही है। हालांकि, इन दोनों खंडों में जोखिम को लेकर चिंता जताई जा रही थी।
असोसिएशन ने गुरुवार 9 जनवरी को रिलीज किए गए डेटा में बताया है कि दिसंबर के महीने में म्यूचुअल फंड की स्मॉल और मिड कैप फंड योजनाओं में निवेशकों की दिलचस्पी बनी रही। दिसंबर में यहां निवेश भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया।
इससे पहले नवंबर के डेटा में भी यह पाया गया था कि बड़े फंड्स में आवक अक्टूबर के ₹3,452 करोड़ की तुलना में नवंबर में ₹2,548 करोड़ रह गई थी जबकि छोटे फंड्स में ये ₹3,772 करोड़ से बढ़कर ₹4,112 करोड़ पर पहुंच गई। लार्ज-कैप या हाइब्रिड फंड्स- से निवेशकों का रुझान ज्यादा रिस्क वाले स्मॉल-कैप फंड्स की ओर शिफ्ट हुआ है।
व्यवस्थित निवेश योजनाओं (Systematic Investment Plan, SIP) में निवेश दिसंबर में ₹26,459 करोड़ रहा, जो नवंबर में ₹25,320 करोड़ था। SIP के प्रबंधन के तहत ऐसेट ₹13.63 लाख करोड़ रहे, जो कुल ऐसेट्स का लगभग पांचवां हिस्सा है।
दिसंबर के अंत तक म्यूचुअल फंड कंपनियों के प्रबंधन के तहत कुल परिसंपत्तियां (Assets Under Management, AUM) 66.93 लाख करोड़ रुपये थीं, जो एक महीने पहले की समान अवधि के 68.08 लाख करोड़ रुपये से कुछ कम है।
नवंबर का डेटा आने के बाद ITI Mutual Funds के CEO हितेश ठक्कर ने बताया था कि भारत की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने पिछले 5 साल में तेज उछाल देखा है। SIP बढ़ते जा रहे हैं जो खुदरा निवेश के लिए बेहतरीन है।
AMFI के CEO वेंकट चलसानी ने कहा कि इस गिरावट का कारण बाजार में ‘करेक्शन’ के साथ ऋण या बॉन्ड योजनाओं से ₹1.27 लाख करोड़ की निकासी है। SIP में निरंतर रुचि की ओर इशारा करते हुए चलसानी ने कहा कि यह निवेश दीर्घावधि में भारतीय बाजारों में निवेशकों के भरोसे को दर्शाता है।
उन्होंने माना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसी अनिश्चितताएं हैं जो बाजार को प्रभावित कर सकती हैं जैसे डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने पर वहां के प्रशासन में बदलाव। इसको लेकर भी लोगों के मन में कई शंकाएं हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि भारतीय निवेशकों का शेयर बाजार में भरोसा बना हुआ है।
अमेरिकी राजनीति और उसके चलते आर्थिक नीतियों पर होने वाले असर के चलते भारत में म्यूचुअल फंड्स पर असर नवंबर में भी देखा गया था। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बने तनावपूर्ण हालात का असर भी भारतीय बाजार पर होता है।
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