पर्सनल फाइनेंस
3 min read | अपडेटेड December 21, 2024, 12:51 IST
सारांश
फाइनेंशियल सेक्टर में आमतौर पर ऐसी जानकारियां KYC (Know Your Customer) के जरिए इकट्ठा की जाती हैं जैसे आधार नंबर, PAN, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस जो आईडी प्रूफ का काम करते हैं।
एनक्रिप्ट होगा डेटा, ऑथेंटिकेशन के जरिए ही ऐक्सेस
आपकी पर्सनल जानकारी किसी के हाथ में पड़ने से भारी नुकसान हो सकता है। साइबर अपराधी नए-नए तरीकों से लोगों को झांसा देने लगे हैं। साइबर अरेस्ट से लेकर किडनैपिंग तक ऐसी कई घटनाएं सामने आती हैं।
हालांकि, हमें अपना आधार नंबर, PAN, वोटर आईडी जैसी डीटेल्स कई बार शेयर करनी ही होती हैं, खासकर फाइनेंशियल सेक्टर में। ऐसे में छिपी हुई या मास्क्ड केवाईसी (Masked KYC) एक सुरक्षित विकल्प है जिसे केंद्रीय केवाईसी रिकॉर्ड रजिस्ट्री (CKYCRR) लागू कर रही है।
Masked KYC के इस्तेमाल से जब कोई संस्थान अपने कस्टमर्स की जानकारी CKYCRR के जरिए इकट्ठा करता है तो उसे पूरी आईडी की जगह सिर्फ एक हिस्सा दिखता है। जैसे आधार नंबर देने पर सिर्फ आखिर के 4 अंक दिखते हैं।
संस्थान CKYC रिफरेंस आईडी के जरिए पूरी जानकारी एक्सेस तो कर सकते हैं लेकिन उन्हें यह पूरी दिखाई नहीं देगी। यही नहीं, एनक्रिप्ट होने की वजह से उन्हें जानकारी डाउनलोड करने के लिए अतिरिक्त ऑथेंटिकेशन भी करना होगा। CKYCRR की इस व्यवस्था से कस्टमर्स की निजी जानकारी सुरक्षित रहती है और किसी तरह के रिस्क को टाला जा सकता है।
जो संस्थान कस्टमर्स की निजी जानकारी इकट्ठा करते हैं, उन्हें Masked KYC इस्तेमाल करने के लिए CKYCRR ने 16 दिसंबर तक का समय दिया था। इसे अब बढ़ाकर 20 जनवरी, 2025 कर दिया गया है।
तब तक संस्थानों को अपने सिस्टम्स अपग्रेड करके मास्क्ड KYC से कंपैटिबल करने होंगे क्योंकि इससे सर्च, सिस्टम एंट्री जैसे टास्क बदल सकते हैं। संस्थानों को इन बदलावों को टेस्ट करने के लिए भी कहा गया है ताकि लाइव होने के बाद उन्हें तकनीकी दिक्कतों का सामना ना करना पड़े।
फाइनेंशियल सेक्टर में आमतौर पर ऐसी जानकारियां इकट्ठा की जाती हैं जैसे आधार नंबर, PAN, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस जो आईडी प्रूफ का काम करते हैं। इसलिए ग्राहकों की निजता और डेटा की सुरक्षा के लिए एक इंटिग्रेडेट डेटा रिपॉजिटरी तैयार की गई है।
CKYCRR में एक बार ग्राहकों का डेटा जमा हो जाता है तो उन्हें बार-बार इसे भरना भी नहीं पड़ता और क्योंकि यहां से सिर्फ अधिकृत शख्स या संस्थान ही जानकारी ले सकते हैं, इसके गलत हाथों में पड़ने के खतरे को भी टाला जा सकता है।
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