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3 min read | अपडेटेड November 04, 2024, 13:27 IST
सारांश
EPFO (Employees Provident Fund Organization) की जीवन बीमा योजना 7 लाख तक का कवर देती है। किसी कर्मचारी ने एक संस्थान में कितने वक्त के लिए काम किया है, इस आधार पर तय होता है कि उसकी मृत्यु की स्थिति में उसके नॉमिनी को कितनी राशि मिलेगी। यहां जानें इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें…
जानें EPFO बीमा कवर के नियम
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees Provident Fund Organization) EPFO ने फैसला किया है कि कर्मचारी डिपॉजिट लिंक्ड बीमा योजना, 1976 के तहत 7 लाख तक का जीवन बीमा कवर दिया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि इस कदम के साथ ही 6 करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों को राहत मिलेगी।
कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) के तहत किए गए बदलाव और नए नियम 28 अप्रैल, 2024 से लागू होंगे। ESIC की ओर से बीमारी के इलाज, इसके लिए जरूरी राशि और मैटरनिटी लीव जैसे फायदे दिए जाते हैं।
EPFO का सदस्य बनने के साथ ही कर्मचारी इस बीमा योजना के सदस्य बन जाते हैं और इसके लिए उन्हें अलग से कोई प्रीमियम नहीं देना होता है। इस स्कीम में एम्पलॉयर पैसे जमा कराता है। प्रीमियम की राशि कर्माचारी की सैलरी का 0.5% होता है।
अगर नौकरी में रहते हुए कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो नॉमिनी को राशि मिल जाती है। इसके लिए अलग- अलग नियम बनाए गए हैं। जैसे कर्मचारी की नौकरी अगर एक साल से कम है तो EPF अकाउंट में मौजूद औसत के बराबर राशि मिल जाती है।
अगर यह औसत राशि ₹50 हजार से ज्यादा है तो नॉमिनी को ₹50 हजार प्लस ₹50 हजार की औसत से अधिक का 40% लेकिन एक लाख से कम मिल जाता है।
इसके साथ ही EPF अकाउंट में बची हुई राशि का आधा मिल जाता है। यह बची हुई राशि डेढ़ लाख रुपये से कम होनी चाहिए। दोनों को मिलाकर कम से कम ढाई लाख रुपये दिए जाते हैं।
EPF सदस्य की ओर से एक नॉमिनी घोषित किया जाता है। EPF योजना 1952 के तहत नॉमिनेशन किया जाता है। अगर नॉमिनी को घोषित नहीं किया जाता तो किसी बीमा की राशि को परिवार के सदस्यों के बीच बराबर राशि में बांट दिया जाता है।
हालांकि, परिवार के कुछ सदस्य इसमें शामिल नहीं होते जैसे बालिग बेटा, शादीशुदा बेटियां जिनके पति जीवित हैं और मृत पुत्र की शादीशुदा बेटी जिसके पति जीवित हैं। सदस्य की मृत्यु के पहले या बाद में पैदा हुए बच्चों का हक इस राशि पर बराबर होता है।
बीमा राशि का लाभ पाने के लिए कोई अप्रिय घटना ना हो, इसके लिए यह नियम बनाया गया है कि अगर कोई ऐसा व्यक्ति सदस्य की हत्या का आरोपी है जो राशि का हकदार भी हो, उसे तब तक यह राशि नहीं दी जाएगी जब तक वह निर्दोष साबित नहीं हो जाता।
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