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4 min read | अपडेटेड December 31, 2024, 11:18 IST
सारांश
Unimech Aerospace & Manufacturing Listing: ₹500 करोड़ का यह IPO बुक बिल्डिंग इशू है। यह 23 दिसंबर को खुला था और 26 दिसंबर को बंद हो गया था। इसके शेयर्स का अलॉटमेंट 27 दिसंबर को फाइनल हो गया था।
सब्सक्रिप्शन के दौरान दिखा था निवेशकों का बंपर इंटरेस्ट, इसके शेयर्स पर 175.31 गुना सब्सक्रिप्शन आया था।
Unimech Aerospace & Manufacturing Ltd ने मंगलवार, 31 दिसंबर को स्टॉक मार्केट पर जोरदार एंट्री मारी है। कंपनी सुबह 10 बजे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर प्रीमियम के साथ उतरी। NSE पर इसके शेयर्स ₹785 के इशू प्राइस पर 85.99% प्रीमियम के साथ लिस्ट हुए। ये ₹1,460 प्रति शेयर के भाव पर लिस्ट हुए।
वहीं, BSE पर स्टॉक 89.94% प्रीमियम के साथ ₹1,491 की कीमत पर लिस्ट हुआ था। बाद में NSE पर सुबह 11 बजे ये 6% नीचे खिसककर ₹1,372 के दाम पर पहुंच गए। निवेशकों के बीच यह काफी हिट रही थी जब पब्लिक सब्सक्रिप्शन के दौरान इस पर 175.31 गुना बोली लगी थी।
Unimech Aerospace & Manufacturing Ltd. एयरोस्पेस, डिफेंस, एनर्जी और सेमीकंडक्टर इंडस्ट्रीज जैसे क्रिटिकल क्षेत्रों में इंजिनियरिंग सलूशन्स देती है। ये इनको जरूरी पार्ट्स की सप्लाई भी करती है। कंपनी की दो प्रॉडक्ट मैन्युफैक्चरिंग फसिलटी बेंगलुरु में हैं।
Unimech Aerospace & Manufacturing Ltd. का IPO एक बुक बिल्डिंग इशू है। ₹500 करोड़ के इस IPO में ₹250 करोड़ के 31,84,712 नए शेयर्स और ₹250 करोड़ के 31,84,712 शेयर्स ऑफर-फॉर-सेल पर हैं। शेयर्स की सेल के लिए प्राइस बैंड ₹745-785 का रखा है। खुदरा निवेशकों के लिए न्यूनतम निवेश की सीमा ₹14,155 की कुल कीमत के 19 शेयर्स के एक लॉट की रखी है।
पब्लिक सब्सक्रिप्शन के दौरान कंपनी के शेयर्स पर निवेशकों ने बढ़-चढ़कर बोली लगाई थी। इसके 47.04 लाख इक्विटी शेयर्स के मुकाबले 82.46 करोड़ शेयर्स पर बोली की मांग लगी थी। सबसे ज्यादा सब्सक्रिप्शन- 317.63 गुना- Qualified institutional buyers (QIBs) के कोटा का हुआ था। इसके बाद गैर-संस्थागत निवेशकों का कोटा 263.78 गुना सब्सक्राइब हुआ जबकि खुदरा निवेशकों ने अपने कोटा का 56.74 गुना बुक किया था।
कंपनी का प्लान है इससे आने वाले कैपिटल को वर्किंग कैपिटल की जरूरतों पूरा करने में लगाने का। साथ ही कंपनी की सब्सिडियरी में भी निवेश किया जाएगा और इसके बकायों को चुकाया जाएगा। इसके अलावा ₹36.36 करोड़ का निवेश मशीनरी और दूसरे जरूरी उपकरण खरीदने में लगाया जाएगा ताकि बिजनेस ऑपरेशन्स का विस्तार किया जा सके। बची हुई राशि को सामान्य कॉर्पोरेट जरूरतों को पूरा करने के लिए खर्च किया जाएगा।
कैसी है माली हालत? कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2022-23 की तुलना में 2023-24 में ऑपरेशन्स से रेवेन्यू में 121.7% की उछाल रिपोर्ट की थी। यह ₹94.17 करोड़ से ₹208.78 करोड़ पर पहुंच गया था। वहीं, कंपनी का नेट प्रॉफिट FY23 में ₹22.81 करोड़ से FY24 में 154.84% की बढत के साथ ₹58.13 करोड़ पर पहुंच गया था।
यूं तो कंपनी ने इंजिनियरिंग सलूशन्स के क्षेत्र में खुद को स्थापित किया है लेकिन अभी भी ऑर्डर मिलने से लेकर पेमेंट की रीसीट तक कंपनी 7-28 हफ्ते लगाती है जो कंपनी की वर्किंग कैपिटल जरूरतों पर नकारात्मक असर डालता है।
इसके अलावा एक बड़ा मुद्दा निर्यात पर निर्भरता का है। आमदनी में निर्यात का बड़ा योगदान होने के कारण इसके बाजारों में अस्थिरता का असर इसकी माली हालत पर भी पड़ता है। यही नहीं, कंपनी की 96.8% आमदनी टॉप 5 ग्राहकों से आती है। यानी उनके ऊपर-नीचे होने पर इसकी आमदनी भी घट सकती है।
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