मार्केट न्यूज़
3 min read | अपडेटेड February 21, 2025, 13:33 IST
सारांश
Stock Market Down: डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में सभी आयातों पर रेसिप्रोकल टैरिफ (Reciprocal Tariff) लगाने की बात कही है। इसके चलते निवेशकों का सेंटीमेंट खराब हुआ है। अगर ऐसा होता है तो ऑटोमोबाइल और फार्मास्यूटिकल्स सेक्टर्स को झटका लग सकता है
Stock Market: आज 21 फरवरी को सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन भी भारतीय शेयर बाजार में गिरावट जारी है।
इसके चलते सेंसेक्स में आज इंट्राडे में करीब 500 अंकों की गिरावट देखी गई। वहीं, निफ्टी 50 भी 100 प्वाइंट्स से ज्यादा टूट गया। यहां मार्केट में गिरावट के कुछ अहम कारण बताए गए हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में सभी आयातों पर रेसिप्रोकल टैरिफ (Reciprocal Tariff) लगाने की बात कही है। इसके चलते निवेशकों का सेंटीमेंट खराब हुआ है। अगर ऐसा होता है तो ऑटोमोबाइल और फार्मास्यूटिकल्स सेक्टर्स को झटका लग सकता है, जिसके चलते इन शेयरों में बिकवाली हो रही है।
फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (FII) भारतीय शेयरों से फंड निकाल रहे हैं और यह ट्रेंड जारी रहने की संभावना है। इसकी प्रमुख वजह चीन के शेयर बाजार में FII की दिलचस्पी है, जिनका वैल्यूएशन अट्रैक्टिव दिख रहा है। FII ने गुरुवार को 3,311.55 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
इस साल के लिए कुल FII आउटफ्लो अब 98,229 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। एनालिस्ट्स का मानना है कि FII की लगातार बिकवाली से लार्ज-कैप शेयरों पर दबाव बढ़ रहा है।
हालांकि, उनका यह भी मानना है कि यह गिरावट निवेश के लिए अच्छा मौका है। इसके अलावा, दूसरी और तीसरी तिमाही में मिक्स्ड अर्निंग और मजबूत अमेरिकी डॉलर ने भी सेंटीमेंट को कमजोर कर दिया है।
चीन के शेयर बाजारों में खरीदारी की दिलचस्पी फिर से बढ़ रही है। शुक्रवार को हैंग सेंग इंडेक्स में 3 फीसदी से अधिक की तेजी आई, क्योंकि निवेशकों को चीनी इक्विटी में वैल्यूएशन अधिक आकर्षक लगा।
एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि भारत में FII की बिक्री जारी रह सकती है क्योंकि निवेशकों को चीन के शेयर सस्ते लग रहे हैं और रिकवरी के संकेत दे रहे हैं।
कच्चे तेल की कीमतों में लगातार तीसरे सत्र में तेजी जारी रही, जिससे भारतीय बाजारों के लिए चिंता बढ़ गई। रूस में सप्लाई में दिक्कत की चिंताओं के बीच गुरुवार को ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स में तेजी दर्ज की गई।
कच्चे तेल की ऊंची कीमतें भारत के ट्रेड बैलेंस पर नेगेटिव इंपैक्ट डालती हैं। भारत एक प्रमुख तेल आयातक देश है। तेल की बढ़ती कीमतें महंगाई को बढ़ा सकती हैं, जिससे सख्त मॉनेटरी पॉलिसी को बढ़ावा मिलेगा और कॉर्पोरेट अर्निंग प्रभावित होगी।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व से इस साल ब्याज दरों में कई कटौती की उम्मीदें कम हो गई हैं, क्योंकि अमेरिकी महंगाई दर उम्मीद से अधिक बढ़ी है। कंज्यूमर प्रोडक्ट्स की कीमतों में जनवरी में अनुमान से ज्यादा बढ़ोतरी हुई, जिससे यह संभावना बढ़ गई कि फेडरल रिजर्व लंबे समय तक उच्च ब्याज दर बनाए रख सकता है।
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