मार्केट न्यूज़
3 min read | अपडेटेड February 17, 2025, 11:38 IST
सारांश
Mid, Small-cap Indices: S&P BSE Midcap सूचकांक अपने रेकॉर्ड उच्चस्तर से 20% नीचे आ गया था। 24 सितंबर, 2024 को इसने 49,701.15 का सर्वोच्च आंकड़ा छुआ था। वहीं, BSE SmallCap सूचकांक भी 12 दिसंबर, 2024 के अपने रेकॉर्ड उच्चस्तर 57,827.69 से 21% नीचे आ गिरा है।
मिड, स्मॉल कैप्स में ज्यादा जोखिम होता है जबकि लॉर्ज कैप्स सुरक्षित माने जाते हैं।
पिछले 4-5 महीने में स्टॉक मार्केट में बिकावली का दौर रहा है। हेडलाइन और ब्रॉडर मार्केट सूचकांक, दोनों ही अपने रेकॉर्ड उच्चस्तर से नीचे आ गिरे हैं। वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी और तीसरी तिमाही के नतीजे जारी किए जाने के असर के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार में जारी तनाव, अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने से विदेशी संस्थागतन निवेशकों के बाहर जाने और डॉनल्ड ट्रंप के दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति बनने से पैदा हुई अनिश्चतताओं के चलते भारतीय बाजार में बिक्री देखी गई है।
डेटा पर नजर डालें तो शुक्रवार, 14 फरवरी को S&P BSE Midcap सूचकांक अपने रेकॉर्ड उच्चस्तर से 20% नीचे आ गया था। 24 सितंबर, 2024 को इसने 49,701.15 का सर्वोच्च आंकड़ा छुआ था। वहीं, BSE SmallCap सूचकांक भी 12 दिसंबर, 2024 के अपने रेकॉर्ड उच्चस्तर 57,827.69 से 21% नीचे आ गिरा है। बेंचमार्क SENSEX और NIFTY50 भी अपने रेकॉर्ड उच्चस्तर से 12% नीचे हैं।
Tata Mutual Fund के मुताबिक FY25 में आमदनी कम होने और चीन के वित्तीय पैकेज जारी करने के चलते भारतीय बाजार में यह असर देखा गया है।
जनवरी, 2025 में विदेशी संस्थागत निवेशकों (Foreign Institutional Investors, FIIs) ने ₹78,000 करोड़ की बिक्री कर दी थी जबकि फरवरी में अभी तक यह आंकड़ा ₹21,272 करोड़ पर पहुंच गया है यानी इस साल FPIs ने भारत से ₹1 लाख करोड़ निकाल लिए हैं। इसके पीछे एक बड़ा कारण अमेरिका के आयात उत्पादों पर टैरिफ लगाने के चलते व्यापार में बढ़ा वैश्विक तनाव है।
वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के स्टील और एल्यूमीनियम उत्पादों के आयात पर टैरिफ लगाने के ऐलान के साथ ही बाजार में और भी ज्यादा चिंता पैदा हो गई है। पीटीआई की रिपोर्ट में मॉर्निंगस्टार इनवेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के हिमांशु श्रीवास्तव के हवाले से कहा गया है कि इन घटनाओं के चलते वैश्विक व्यापारिक तनाव के हालात बने हुए हैं और FPI भारत जैसे उभरते हुए बाजारों में अपने निवेश पर दोबारा विचार कर रहे हैं।
मिड-कैप और स्मॉल कैप सूचकांक जनवरी, 2025 में लड़खड़ाते नजर आए हैं। मिड और स्मॉल कैप कंपनियों के FY25 की तीसरी तिमाही के नतीजे कमजोर होने के कारण ज्यादातर कंपनियों में टॉप-लाइन और मार्जिन दबाव देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार की ओर से कम खर्च के चलते ऐसी परफॉर्मेंस रही है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि निवेशकों को मिड और स्मॉल कैप्स में निवेश के पहले सोच-विचार करना चाहिए। जोखिम की बात करें तो लार्ज कैप्स ज्यादा सुरक्षित नजर आते हैं।
Canara Robeco Mutual Fund के हेड ऑफ इक्विटीज श्रीदत्त भंदवलदर के मुताबिक एक-दो साल के बारे में सोच रहे निवेशकों के लिए लार्ज कैप जबकि लॉन्ग-टर्म प्लान वाले निवेशकों के लिए मिड और स्मॉल कैप बेहतर वेल्युएशन देते हैं।
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