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3 min read | अपडेटेड January 02, 2025, 16:14 IST
सारांश
PMFBY: पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सरकार किसानों की फसलों को और सुरक्षा देगी और किसी नुकसान को लेकर उनकी चिंता को भी खत्म करेंगे।’
अडवांस्ड टेक्नॉलजी इस्तेमाल करने वाली सेवाओं का भी जल्द होगा लॉन्च
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana, PMFBY को जारी रखने पर मुहर लगा दी है। इसके अलावा डाय-अमोनियम फोस्फेट (Di-Ammonium Phosphate, DAP) उर्वरक के विशेष पैकेज को भी विस्तार दिया गया है।
PMFBY और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (Restructured Weather Based Crop Insurance Scheme, RWBCIS), को 2025-26 तक के लिए बढ़ा दिया है। इसके लिए ₹69,515.71 करोड़ खर्च करने का फैसला किया गया है। RWBCIS के तहत किसानों को प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलों को होने वाले नुकसान से कवर मिलता है।
केंद्र ने अब उत्तरूपूर्वी राज्यों के लिए प्रीमियम सब्सिडी का 90% कवर करने का ऑफर भी दिया है। इसके अलावा फंड्स को विकास से जुड़े दूसरे कार्यों में लगाने की आजादी भी दी है।
DAP पर सब्सिडी ₹3,500 प्रति मेट्रिक टन की है। यह दिसंबर 2024 में खत्म होने वाली थी अब यह जनवरी 2025 से अगली सूचना तक जारी रहेगी। एक आकलन के मुताबिक इसके लिए ₹3,850 करोड़ तक का बजट चाहिए होगा।
पीएम मोदी ने इस बारे में X (पहले ट्विटर) पर कहा, ‘’सरकार का नए साल में पहला फैसला कड़ों किसान भाई-बहनों को समर्पित है। हमने फसल बीमा योजना में आवंटन बढ़ाने को मंजूरी दे दी है। हम किसानों की फसलों को और सुरक्षा देंगे और किसी नुकसान को लेकर उनकी चिंता को भी खत्म करेंगे।’
पीएम मोदी ने कहा है कि केंद्रीय कैबिनेट के DAP पर विशेष पैकेज को बढ़ाने के फैसले से किसानों को सही कीमत पर उर्वरक मिल सकेंगे। इसके अलावा कैबिनेट ने ₹824.77 करोड़ के एक नवाचार और प्रौद्योगिकी कोष (Fund for Innovation and Technology, FIAT) की घोषणा भी की है। इसी मदद से YES-TECH और WINDS योजनाओं में बड़े स्तर पर टेक्नॉलजी का इस्तेमाल आसान किया जा सकेगा। इसके अलावा रिसर्च और डिवेलपमेंट में भी यह काम आएगा।
YES-TECH या उपज अनुमान प्रणाली (Yield Estimation System using Technology) फसलों की उपज के लिए रिमोट सेंसिंग का इस्तेमाल करती है। इससे इंसानी मेहनत बच जाती है, सटीकता बढ़ती है और समय भी कम लगता है। देश के 9 राज्य- आंध्र प्रदेश, असम, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिल नाडु और कर्नाटका में इस तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है।
वहीं, WINDS या मौसम सूचना और नेटवर्क डेटा सिस्टम (Weather Information and Network Data Systems) ऑटोमैटिक मौसम केंद्र और रेन गेज स्थानीय स्तर पर इंस्टॉल करके मौसम संबंधी डेटा की सटीकता को बढ़ाता है। यह प्रॉजेक्ट 2024-25 में लॉन्च होगा।
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