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2 min read | अपडेटेड November 22, 2024, 15:55 IST
सारांश
अडानी समूह के ऊपर एक सोलर पावर प्रॉजेक्ट पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को करीब 2200 करोड़ रुपये की रिश्वत देने का चार्ज लगा है। इस केस में ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी और सागर अडानी के साथ 7 लोगों को दोषी पाया गया है।
पहले हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर भी सेबी ने की थी जांच
कैपिटल मार्केट रेग्युलेटर सिक्यॉरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के रडार पर एक बार फिर गौतम अडानी का Adani Group आ गया है। बोर्ड इस बात की जांच कर रहा है कि क्या कंपनी ने डिस्क्लोजर के नियमों का उल्लंघन किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स में मामले के जानकार लोगों के हवाले से दावा किया गया है कि बोर्ड फिलहाल बाजार में लोगों से इस बारे में पूछताछ कर रहा है। ये जानने की कोशिश की जा रही है कि क्या अमेरिका में चल रही जांच के बारे में ग्रुप ने जानकारी दी थी या नहीं।
बताया जा रहा है कि दो हफ्ते तक अनौपचारिक पूछताछ के बाद अगर सेबी को जरूरत लगेगी तो औपचारिक जांच शुरू की जा रही है। दरअसल, 15 मार्च की एक ब्लूमबर्ग रिपोर्ट में अडानी समूह की तरफ से कहा गया था कि अमेरिका में रिश्वतखोरी के आरोपों के बारे में उसे जानकारी नहीं है।
हालांकि, इसके बाद 19 मार्च को भारत के स्टॉक एक्सेंज में फाइलिंग के दौरान कंपनी ने इस बात को माना कि उसे जांच के बारे में जानकारी है। अमेरिका में जारी केस के दौरान प्रॉसिक्यूटर्स ने ब्लूमबर्ग को दिए कंपनी के बयान को फर्जीवाड़े का संकेत बताया।
अडानी समूह के ऊपर एक सोलर पावर प्रॉजेक्ट पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को करीब 2200 करोड़ रुपये की रिश्वत देने का चार्ज लगा है। इस केस में ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी और सागर अडानी के साथ 7 लोगों को दोषी पाया गया है।
इस जानकारी के सामने आने के बाद कंपनी के स्टॉक्स बाजार में धड़ाम हो गए। सबसे ज्यादा नुकसान अडानी ग्रीन एनर्जी और अडानी पोर्ट्स को उठाना पड़ा। इसके पहले हिंडनबर्ग रिपोर्ट के ऊपर भी समूह को सेब की जांच का सामना करना पड़ा है।
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