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RBI डेप्युटी गवर्नर ने कर्ज देने में सतर्कता बरतने को कहा, बताए डिजिटल टेक्नॉलजी के फायदे

Upstox

2 min read | अपडेटेड February 21, 2025, 15:07 IST

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सारांश

RBI के डेप्युटी गवर्नर एम. राजेश्वर राव ने कहा कि शॉर्ट-टर्म फायदे के लालच में इंसान लंबे वक्त की वित्तीय सुरक्षा को ताक पर रख सकता है और लापरवाही भरे वित्तीयकरण के जोखिम के बारे में हमेशा सतर्क रहना चाहिए।

रिजर्व बैंक ने यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस के इस्तेमाल से दिए 6 लाख लोन।

रिजर्व बैंक ने यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस के इस्तेमाल से दिए 6 लाख लोन।

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India, RBI) के डेप्युटी गवर्नर एम. राजेश्वर राव का कहना है कि देश में वित्तीय समावेशन तब तक पूरा नहीं होगा जब तक जन धन योजना के अकाउंट असल में इस्तेमाल नहीं किए जाते। शुक्रवार को NSE के एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने यह बात कही।

राव ने यह भी कहा है कि वित्तीय समावेशन (financial inclusion) तब तक सतही रहेगा जब तक जन धन योजना के तहत अकाउंट इस्तेमाल नहीं होते। उन्होंने कहा कि अनौपचारिक क्षेत्र में UPI ने गहरा असर छोड़ा है जिसका इस्तेमाल कर्ज देने के लिए किया जा सकता है ताकि इस क्षेत्र के लोग मुख्यधारा से जुड़ सकें।

ULI ने दिए 6 लाख लोन

राव ने बताया कि RBI का यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस ने पिछले साल 6 दिसंबर तक 27,000 रुपये करोड़ के 6 लाख कर्ज दिए गए। साथ ही यह भी बताया कि 36 लेंडर्स इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद है। यह प्लेटफॉर्म 50 अलग-अलग स्रोतों से डेटा लेता है।

जोखिम से रहें सतर्क

राव ने वित्तीय क्षेत्र की संस्थाओं को लापरवाही भरे फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन को लेकर आगाह किया है। राव ने कहा कि शॉर्ट-टर्म फायदे के लालच में इंसान लंबे वक्त की वित्तीय सुरक्षा को ताक पर रख सकता है। राव ने कहा कि हमें लापरवाही भरे वित्तीयकरण के जोखिम के बारे में हमेशा सतर्क रहना चाहिए।

राव ने बताया कि बिना किस्टॉरिटी के क्षेत्र में ज्यादा कर्ज देने को लेकर चिंताएं बढ़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि वित्तीय संस्थाओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि ग्राहक ‘लीवरेज्ड’ उत्पादों और प्रत्याक्षित निवेश से जुड़े जोखिमों को पूरी तरह समझें।

वित्तीय साक्षरता जरूरी

राव ने कहा कि RBI ग्राहकों को शिक्षित करने के लिए दूसरे फाइनेंशियल सेक्टर्स के रेग्युलेटर्स के साथ काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि वित्तीय साक्षरता की कमी के कारण लोग बेईमान कंपनियों के झांसे में आ जाते हैं।

जब कोई झटका लगता है, तो निवेशक का फाइनेंशियल सिस्टम पर से भरोसा खत्म हो जाता है और इसलिए यह जरूरी है कि सिस्टम अपनी बेहतरी के लिए शिक्षा में निवेश करे। राव ने कहा कि तेज रफ्तार वाली दुनिया में फाइनेंशियल रेग्युलेशन एक नाजुक संतुलनकारी कार्य है।

राव ने कहा, ‘ ...अत्यधिक विनियमन से प्रणालीगत जोखिम बढ़ सकता है, जबकि इनोवेशन बाधित हो सकता है, लोन की अवेलेबिलिटी सीमित हो सकती है और लागत बढ़ सकती है।’

लेखकों के बारे में

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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