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3 min read | अपडेटेड February 20, 2025, 13:52 IST
सारांश
RBI Bulletin: भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India, RBI) ने फरवरी के अपने बुलेटिन में बताया है कि देश में वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेजी के संकेत हैं। इनके आगे भी जारी रहने की उम्मीद है।
बुलेटिन के मुताबिक कृषि से लेकर गाड़ियों की बिक्री में तेजी दिखाती है देश में आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था के मजबूत होने और ट्रेड पॉलिसी में हो रहे बदलावों के दम पर डॉलर मजबूत स्थिति की ओर बढ़ रहा है। इसका नकारात्मक असर उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ सकता है जहां से निवेशक अमेरिका की ओर रुख कर सकते हैं। हालांकि, भारत में आर्थिक गतिविधियों के रफ्तार पकड़े रहने की उम्मीद है।
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India, RBI) ने फरवरी के अपने बुलेटिन में बताया है कि देश में वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेजी के संकेत हैं। इनके आगे भी जारी रहने की उम्मीद है।
बुलेटिन में बताया गया है कि गाड़ियों की बिक्री में तेजी, हवाई यातायत बढ़ने, स्टील की मांग और खपत में तेजी और वस्तु एवं सेवा कर (Goods & Services Tax, GST) के ई-वे बिल के आंकड़े अच्छे संकेत दे रहे हैं।
बुलेटिन के मुताबिक कृषि क्षेत्र के मजबूत प्रदर्शन से ग्रामीण मांग को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में घोषित आयकर राहत (Income Tax Relief) के बीच मुद्रास्फीति में गिरावट और खर्च करने भर को आमदनी (Disposable income) में बढ़ोतरी को देखते हुए, शहरी मांग में भी सुधार की उम्मीद है।
RBI बुलेटिन के मुताबिक दुनियाभर के देशों में अलग-अलग राजनीतिक और तकनीकी तस्वीर उभर के निकल रही है जिनकी सोच और विचार में भी अंतर है। ऐसे में वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर लेकिन मध्यम गति से बढ़ रही है।
बुलेटिन के मुताबिक महंगाई में कमी की रफ्तार धीमी होने और ड्यूटी बढ़ने के असर से वित्तीय बाजार में चिंता की स्थिति है। उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) की बिकवाली का दबाव और मजबूत अमेरिकी डॉलर के कारण करंसी एक्सचेंज रेट में गिरावट देखी जा रही है।
रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि विकास के चार इंजन- कृषि, MSME, निवेश और निर्यात- को प्रोत्साहन देने के लिए केंद्रीय बजट में उठाए गए कदम भारतीय अर्थव्यवस्था के मिडिल-टर्म डिवेलपमेंट की संभावनाओं को आगे लेकर जाएंगे।
RBI बुलेटिन में केंद्रीय बजट की सराहना करते हुए कहा गया है कि राजकोषीय मजबूती और ग्रोथ के टारगेट्स के बीच सूझबूझ के साथ संतुलन बनाया गया है। इसमें एक तरफ जहां कैपिटल खर्चों पर जोर है, वहीं दूसरी तरफ खपत को बढ़ावा देने के साथ कर्ज में कमी लाने को लेकर खाका भी है।
इसके अलावा, 7 फरवरी, 2025 को मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) की बैठक में रेपो दर में कटौती (Repo Rate Cut) से भी घरेलू मांग को रफ्तार मिलने की उम्मीद है।
हालांकि, केंद्रीय बैंक ने साफ कहा है कि लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और भारतीय रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
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