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3 min read | अपडेटेड February 01, 2025, 12:43 IST
सारांश
Nirmala Sitharaman Saree: केंद्रीय बजट 2025 पेश करने निर्मला सीतारमण ऑफ-वाइट रंग की सिल्क की साड़ी पहनकर पहुंचीं। इस पर मछली की आकृति बनी हुई है और गोल्डन रंग का बॉर्डर है।
The government will introduce customised credit cards with ₹5 lakh limit for micro-enterprises. | Image: Shutterstock
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहली ऐसी महिला हैं जो लगातार 8वीं बार भारत का केंद्रीय बजट पेश करने जा रही हैं। देश को जहां बजट में उनके फैसलों का इंतजार रहता है, वहीं उनकी पहनी साड़ियों पर भी निगाहें टिकी रहती हैं। बजट 2025 के पहले भी वह जिस साड़ी में संसद पहुंची हैं, उस पर चर्चा शुरू हो गई है।
केंद्रीय बजट 2025 पेश करने निर्मला सीतारमण ऑफ-वाइट रंग की सिल्क की साड़ी पहनकर पहुंचीं। इस पर मछली की आकृति बनी हुई है और गोल्डन रंग का बॉर्डर है। हैंडलूम की इस साड़ी में उन्होंने पारंपरिक 'ब्रीफकेस' फोटोशूट भी नॉर्थ ब्लॉक ऑफिस के बाहर कराया।
दरअसल, सीतारमण को यह साड़ी तोहफे में मिली थी। वह बिहार के मधुबनी स्थित मिथिला आर्ट इंस्टिट्यूट गई थीं जहां उनकी मुलाकात पद्मश्री दुलारी देवी से हुई। दुलारी देवी ने सीतारमण को यह खास साड़ी गिफ्ट की थी और वित्त मंत्री से इसे बजट पेश करते वक्त पहनने का आग्रह किया था। वित्त मंत्री ने इसे पहनकर मधुबनी की कला और दुलारी देवी की कुशलता को सम्मानित किया है।
जेडी(यू) के सांसद संजय कुमार झा ने मिथिला और बिहार की ओर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के प्रति आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि वह उस वक्त वित्त मंत्री के साथ थे जब पद्मश्री दुलारी देवी ने उन्हें वह साड़ी तोहफे में दी थी और बजट पेश करते वक्त पहनने का आग्रह किया था।
झा ने कहा कि आज ये साड़ी पहनने के लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं। उन्होंने (यह साड़ी पहनकर) मिथिला क्षेत्र और बिहार को सम्मानित किया है।
बिहार की रहने वाली दुलारी देवी मछुआरे समुदाय से आती हैं। यह समुदाय आमतौर पर पेंटिंग जैसी कलाओं से दूर रहता है लेकिन दुलारी देवी ने मशहूर पेंटर करपूरी देवी से यह कला सीखी। उन्हें साल 2021 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
दुलारी देवी को 16 साल की उम्र में ही उनके पति ने छोड़ दिया था। वह 16 साल तक लोगों के घरों में काम करती रहीं। जिंदगी के हाथों तमाम मुश्किलें झेलने के बावजूद वह आज बाल विवाह, AIDS, फीटिसाइड जैसे सामाजिक मुद्दों पर अपनी तस्वीरों के जरिए लड़ती हैं।
उनकी 10 हजार से ज्यादा तस्वीरें 50 से ज्यादा प्रदर्शनियों में लगाई जा चुकी हैं और उन्होंने मिथिला आर्ट इंस्टिट्यूट और सेवा मिथिला संस्थान जैसी जगहों पर हजारों छात्रों को यह कला पहुंचाई है।
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