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3 min read | अपडेटेड February 19, 2025, 12:38 IST
सारांश
Circular Economy India: भारत में हर साल 6.2 करोड़ टन कचरा पैदा होता है। प्लास्टिक से लेकर मेटल तक, बढ़ता जा रहा है कचरे के कारण दिक्कतों का पहाड़।
सर्कुलर इकॉनमी के तहत किसी उत्पाद को एक बार इस्तेमाल के बाद फेंका नहीं जाता, रीसाइकल और रीयूज किया जाता है।
भारत में हर साल 6.2 करोड़ टन कचरा पैदा होता है जिसकी वजह से अब सर्कुलर इकॉनमी (Circular Economy) सिर्फ एक विकल्प नहीं, जरूरत बन गई है। ये बात केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान कही।
उन्होंने संभावना जताई है कि साल 2050 तक भारत की सर्कुलर इकॉनमी $2 ट्रिलियन पर पहुंच जाएगी। यही नहीं, इसके जरिए करीब 1 करोड़ नौकरियां भी पैदा की जा सकेंगी।
केंद्रीय मंत्री रीसाइक्लिंग ऐंड एन्वायरनमेंट इंडस्ट्री एसोसिएशन ऑफ इंडिया Recycling and Environment Industry Association of India (REIAI) के कॉन्क्लेव में बोल रहे थे।
उन्होंने सर्कुलर इकॉनमी के तहत नए स्टार्ट-अप्स और रीसाइकल्ड प्रॉडक्ट के डिवेलपर्स के लिए तमाम मौके पैदा होने की उम्मीद जताई है। उन्होंने इंडस्ट्री से भी प्राकृतिक संसाधनों पर बोझ कम करने के लिए नई, इनोवेटिव तकनीकों का इस्तेमाल करने और आर्थिक वृद्धि के लिए जरूरी खनिजों का आयात कम करने का आग्रह किया है।
कॉन्क्लेव में बोलते हुए यादव ने कहा कि हमें कच्चे माल के इस्तेमाल से सामान बनाने और फिर उसे छोड़ देने (Take-Make-Dispose) की मानसिकता से दूर जाना होगा। उन्होंने कहा कि अगर हम 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाना चाहते हैं, तो हमें बर्बादी को कम करना होगा और संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करना होगा।
केंद्रीय मंत्री ने सरकार और नीति-निर्माताओं के सामने खड़ी सबसे बड़ी चुनौती- प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करते हुए आर्थिक वृद्धि को रफ्तार देने- का इलाज रीयूज और सर्कुलर इकॉनमी को बताया है। यादव ने कहा कि भारत की सतत और सर्कुलर अर्थव्यवस्था 2050 तक $2 ट्रिलियन की हो सकती है। इसके जरिए 1 करोड़ नौकरियां पैदा की जा सकती है।
भारत में हर साल 16 लाख टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा, 11.5 लाख टन बैटरी कचरा, 13 लाख टन इस्तेमाल किया हुआ तेल, 15.2 लाख टन बेकार टायर, 41 लाख टन प्लास्टिक कचरा और 30 करोड़ टन मेटल का कचरा पैदा होता है। चिंता की बात यह है कि देश केवल 33% ई-कचरा, 2% प्रतिशत निर्माण और संबंधित कचरा, 15% इस्तेमाल किया गया तेल, 3% वाहन कचरा और 14% मेटल के कचरे को रीसाइकल करता है।
सर्कुलर इकॉनमी के तहत ऐसे बाजार आते हैं जहां एक उत्पाद को इस्तेमाल के बाद कचरे में नहीं डाला जाता और उसकी जगह दूसरे उत्पाद का निर्माण नहीं किया जाता, बल्कि पहले से मौजूद चीजों का दोबारा इस्तेमाल या रीसाइकल किया जाता है। कपड़े से लेकर मेटल तक, हर तरीके का कचरा वापस अर्थव्यवस्था का हिस्सा बन जाता है।
इससे ना सिर्फ पर्यावरण को प्रदूषण के चलते होने वाला नुकसान कम होता है बल्कि नई चीजों के उत्पादन में लगने के लिए प्राकृतिक संपदाओं और संसाधनों का खनन भी कम होता है। खनन कम होने और कचरे का डिस्पोजल सुनिश्चित करने के लिए खर्च होने वाली रकम भी बचती है।
इसके अलावा, रीसाइकलिंग की प्रक्रिया में काम आने वाली स्किल्स को प्रोत्साहन देने से रोजगार के भी ज्यादा अवसर पैदा किए जा सकते हैं।
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