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3 min read | अपडेटेड December 21, 2024, 16:08 IST
सारांश
माना जा रहा था कि GST Council जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर टैक्स रेट कम करने, महंगी कलाई घड़ियों, जूतों और कपड़ों पर टैक्स रेट बढ़ाने और अहितकर वस्तुओं (Sin goods) के लिए अलग से 35% टैक्स लगाने पर विचार कर सकती है।
148 चीजों के टैक्स रेट पर मंत्री समूह भी देगा अपनी रिपोर्ट
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में वस्तु और सेवा कर परिषद (Goods & Services Tax, GST Council) ने जीवन और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के प्रीमियम पर टैक्स रेट घटाने का फैसला टाल दिया है। शनिवार को GST परिषद की 55वीं बैठक में यह फैसला किया गया। टैक्स दरों को लेकर बनाए गए मंत्री समूह ने इसे लेकर प्रस्ताव दिया था जिसपर चर्चा की गई।
राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ की गई परिषद की बैठक के बाद जानकारी दी गई कि अभी इस संबंध में कुछ और तकनीकी पहलुओं को दूर करने की जरूरत है। इस बारे में आगे विचार के लिए वापस मंत्री समूह को काम सौंपा गया है।
GST काउिसंल ने बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में मंत्री समूह बनाया था। इसने भी शनिवार को अपनी रिपोर्ट GST काउंसिल को नहीं सौंपी है। समूह को 148 चीजों के GST रेट को लेकर रिपोर्ट देनी थी जो परिषद की अगली बैठक में दी जाएगी।
माना जा रहा था कि GST Council जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर टैक्स रेट कम करने, महंगी कलाई घड़ियों, जूतों और कपड़ों पर टैक्स रेट बढ़ाने और अहितकर वस्तुओं (Sin goods) के लिए अलग से 35% टैक्स लगाने पर विचार कर सकती है।
मंत्री समूह ने नवंबर में प्रस्ताव दिया था कि टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों के प्रीमियम और वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य बीमा ‘कवर’ के प्रीमियम को भी टैक्स से छूट दी जाए। वरिष्ठ नागरिकों के अलावा दूसरे व्यक्तियों के ₹5 लाख तक के स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर GST से छूट देने का भी प्रस्ताव दिया गया था।
इसके अलावा एविएशन इंडस्ट्री से लेकर इलेक्ट्रिक गाड़ियों और फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म्स से लेकर कपड़ों- जूतों को लेकर समूह ने प्रस्ताव दिए थे। इसके अलावा GST कंपनसेशन सेस पर मंत्रियों के समूह (GoM) को अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए जून 2025 तक छह महीने का विस्तार मिलने की संभावना है।
GST व्यवस्था में, अहितकर वस्तुओं (Sin goods) पर 28% टैक्स के अलावा अलग-अलग दरों पर कंपनसेशन सेस लगाया जाता है। GST की वजह से राज्यों के राजस्व को हुए नुकसान की भरपाई के लिए सेस का प्राविधान लाया गया था। अब भविष्य में इस पर क्या फैसला करना है, इसे लेकर समूह अपनी राय देगा।
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