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Gautam Adani और Rajesh Adani को बड़ी राहत, 388 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी मामले में बरी

Upstox

3 min read | अपडेटेड March 18, 2025, 08:46 IST

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सारांश

सीरियस फ्रॉड इनवेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) ने 2012 में अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) और इसके प्रमोटर्स Gautam Adani और Rajesh Adani के खिलाफ मामला शुरू किया था। जांच निकाय ने इन पर आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए आरोपपत्र दाखिल किया था।

अदालत ने गौतम अदाणी और राजेश अदाणी को करीब 388 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी मामले में बरी कर दिया।

अदालत ने गौतम अदाणी और राजेश अदाणी को करीब 388 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी मामले में बरी कर दिया।

बंबई उच्च न्यायालय ने आज सोमवार को अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी (Gautam Adani) और मैनेजिंग डायरेक्टर राजेश अदाणी (Rajesh Adani) को बड़ी राहत दी है। अदालत ने उन्हें करीब 388 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी मामले में बरी कर दिया।

सीरियस फ्रॉड इनवेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) ने 2012 में अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) और इसके प्रमोटर्स गौतम अदाणी और राजेश अदाणी के खिलाफ मामला शुरू किया था। जांच निकाय ने इन पर आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए आरोपपत्र दाखिल किया था।

दोनों उद्योगपतियों ने 2019 में उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की और सत्र न्यायालय के आदेश को रद्द करने की मांग की गई, जिसमें उन्हें मामले से बरी करने से इनकार कर दिया गया था।

न्यायमूर्ति आर एन लड्ढा की उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने सोमवार को सत्र न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया और दोनों को मामले से बरी कर दिया। विस्तृत आदेश का इंतजार है। इससे पहले उच्च न्यायालय ने दिसंबर 2019 में सत्र न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी और इसे समय-समय पर आगे बढ़ाया गया।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला 2012 में SFIO द्वारा दायर चार्जशीट से जुड़ा है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि AEL और अदाणी ग्रुप ने स्टॉकब्रोकर केतन पारेख के साथ मिलकर शेयर बाजार में हेरफेर की थी। केतन पारेख 1999-2000 के भारत के सबसे बड़े शेयर घोटालों में शामिल था।

2014 में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने AEL और अदाणी ग्रुप को इस मामले से बरी कर दिया था। लेकिन नवंबर 2019 में मुंबई की सेशंस कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया। कोर्ट ने पाया कि SFIO की जांच में अदाणी ग्रुप के प्रमोटर्स को 388.11 करोड़ रुपये और केतन पारेख को 151.40 करोड़ रुपये का अवैध लाभ मिला था।

सेशंस कोर्ट के इस फैसले के बाद जज डी ई कोठालिकर ने माना कि अदाणी ग्रुप के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त आधार हैं। इसके बाद दिसंबर 2019 में हाई कोर्ट ने सेशंस कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। यह रोक कई बार बढ़ाई गई और आखिरी फैसला सोमवार को आया।

फरवरी 2023 में हाई कोर्ट ने SFIO से सवाल किया। कोर्ट ने मामले में देरी को लेकर नाराजगी जताई क्योंकि फरवरी 2022 से कोई सुनवाई नहीं हुई थी, जब अंतरिम रोक (स्टे) बढ़ाई गई थी। कोर्ट ने पूछा कि कहीं यह देरी बाहरी परिस्थितियों की वजह से तो नहीं हुई।

इसी दौरान, अदाणी ग्रुप सार्वजनिक जांच के दायरे में था क्योंकि अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप पर शेयर बाजार में हेरफेर और वर्षों तक अकाउंटिंग फ्रॉड करने का आरोप लगाया गया था।

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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