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3 min read | अपडेटेड December 26, 2024, 23:25 IST
सारांश
Dr. Manmohan Singh: डॉ. सिंह के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताया है। वह 10 साल तक भारत के पीएम पद पर रहे थे।
1991 के आर्थिक सुधारों के वक्त वित्त मंत्री थे डॉ. सिंह
अर्थशास्त्री, अकादमिक, ब्यूरोक्रेट और 2004-2014 के बीच 10 साल तक भारत के प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह नहीं रहे। 92 साल की उम्र में नई दिल्ली के AIIMS में उन्होंने अंतिम सांस ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. सिंह के निधन पर शोक जताया है।
AIIMS ने एक बयान जारी करते हुए डॉ. सिंह के निधन की जानकारी दी थी। अस्पताल ने X (पहले ट्विटर) पर बताया की घर पर पूर्व प्रधानमंत्री की तबीयत बिगड़ने के बाद रात करीब 8 बजे अस्पताल लाया गया लेकिन यहां भी तमाम कोशिशों के बाद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने X पर लिखा कि डॉ. सिंह उन चुनिंदा नेताओं में से एक थे जो अकेडीमिया और अडमिनिस्ट्रेशन, दोनों आसानी से संभाल सकते थे। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को सुधारने में अहम योगदान दिया था। वह देश के लिए अपनी सेवा और बेदाग राजनीतिक जीवन और विनम्रता के लिए याद किए जाएंगे। उनका निधन हमारे लिए बड़ी क्षति है।
पीएम मोदी ने X पर लिखा- भारत अपने सबसे विशिष्ट नेताओं में से एक के लिए शोकाकुल है- डॉ. मनमोहन सिंह जी। एक सरल पृष्ठभूमि से आकर वे सम्मानित अर्थशास्त्री बने। उन्होंने कई सरकारी पदों पर सेवा भी दी, जिनमें वित्त मंत्री का पद एक था, और हमारी आर्थिक नीति पर छाप छोड़ी।
पीएम ने संसद में डॉ. मनमोहन की भूमिका की सराहना की और कहा कि उन्होंने लोगों का जीवन बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए थे।
डॉ. मनमोहन सिंह पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी के बाद सबसे ज्यादा समय के लिए पीएम पद पर रहे थे। अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा पीएम पद पर आसीन होने वाले वह पंडित नेहरू के बाद दूसरे पीएम थे।
रिजर्व बैंक के गवर्नर से लेकर प्लानिंग कमीशन के हेड की भूमिका निभा चुके डॉ. सिंह कभी लोकसभा के सदस्य नहीं रहे थे। वह राज्यसभा के रास्ते संसद पहुंचे थे। पीएम बनने के पहले वह 1991 से 1996 तक पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री रहे। इस दौरान आए आर्थिक सुधारों का डॉ. सिंह को आर्किटेक्ट कहा जाता है।
पीएम पद पर रहते हुए उनका पहला कार्यकाल देश में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, सूचना का अधिकार और अमेरिका के साथ सिविल न्यूक्लियर डील के लिए याद किया जाता है। इस दौरान राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) की नींव भी रखी गई थी।
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