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3 min read | अपडेटेड January 06, 2025, 12:39 IST
सारांश
Union Budget 2025-26: कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) ने केंद्रीय बजट 2025-26 के लिए सुझाव दिए हैं। CII का कहना है कि देश के समावेशी विकास के लिए रोजगार को बढ़ावा देना जरूरी है।
गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा की मांग
भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry, CII) ने उम्मीद जताई है कि केंद्रीय बजट 2025-26 में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रयासों को बल दिया जा सकता है। CII ने इसके लिए 7 पॉइंट्स का एक अजेंडा भी सुझाया है। कन्फेडरेशन ने देश के समावेशी विकास में रोजगार पैदा करने की जरूरत पर जोर डाला है।
एक आकलन के मुताबिक साल 2020 तक भारत कार्यशील आयु जनसंख्या (Working age population) में 13 करोड़ से ज्यादा लोग जोड़ लेगा। भारतीय उद्योग के संघ ने एक एकीकृत राष्ट्रीय रोजगार नीति, ज्यादा वर्कर्स पर निर्भर सेक्टर्स को सपॉर्ट और विदेशों के जॉब मार्केट का फायदा उठाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय मोबिलिटी अथॉरिटी बनाने का सुझाव दिया है।
CII ने प्रस्ताव दिया है कि कॉलेज में पढ़े हुए युवाओं को ग्रामीण इंटर्नशिप कराई जाए ताकि स्किल गैप को कम किया जा सके और सरकारी प्रोग्राम्स को बेहतर तरीके से लागू किया जा सके।
संघ ने सरकार से अपील की है कि एकीकृत राष्ट्रीय रोजगार नीति बनाई जाए जिसमें अलग-अलग मंत्रालयों और राज्यों की योजनाओं को जोड़ दिया जाए ताकि नौकरियों से जुड़े डेटा को एक जगह किया जा सके। इसने आयकर कानून के सेक्शन जेजेएए के तहत टैक्स में राहत देने की अपील भी की है जिससे नई नौकरियां देने को बढ़ावा दिया जा सके।
वर्कफोर्स में महिलाओं की प्रतिभागिता को बढ़ाने के लिए CII ने प्रस्ताव दिया है कि CSR फंड्स का इस्तेमाल करके डॉरमिटरी बनाई जाएं, केयर इकॉनमी को औपचारिक किया जाए और इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स में सरकारी क्रेश बनाए जाएं।
इसके अलावा CII ने प्रस्ताव दिया है कि गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और लेबर कोड्स को तेजी से लागू किया जाए।
दुनियाभर में बूढ़ी होती आबादी के चलते लेबर की कमी पड़ने लगी है। CII का सुझाव है कि विदेश मंत्रालय के अंदर एक अंतरराष्ट्रीय मोबिलिटी अथॉरिटी बनाई जाए जो भारतीय युवाओं को विदेश में नौकरी मिलने में मदद कर सके। संघ का कहना है कि यह अथॉरिटी कौशल विकास मंत्रालय के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय जरूरतों के मुताबिक कौशल विकास के कार्यक्रम भी चला सकती है।
CII के डायरेक्टर चंद्रजीत बनर्जी का कहना है कि रोजगार बढ़ाने के साथ-साथ प्रोडक्टिविटी बढ़ाना भी जरूरी है। उनका कहना है कि भारत के वृद्धिशील पूंजी उत्पादन अनुपात (Incremental Capital Output Ratio, ICOR) को 4.1 के मौजूदा स्तर से नीचे लाना होगा। इसके लिए मेट्रिक्स डिवेलप करने की जरूरत है। केंद्रीय बजट में इसे डीटेल में समझने और आगे के सुझाव देने के लिए एक एक्सपर्ट कमिटी बनाई जा सकती है।
CII ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और सरकारी उच्चाधिकारियों के साथ मुलाकात के दौरान ईंधन पर उत्पाद शुल्क, मध्य आय समूह की निजी आमदनी पर टैक्स को कम करने और एमजीनरेगा और पीएम किसान जैसी योजनाओं में ज्यादा राशि देने की अपील की थी ताकि खर्चे को बढ़ाया जा सके।
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