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2 min read | अपडेटेड December 18, 2024, 15:43 IST
सारांश
CII का कहना है कि बुनियादी ढांचे के साथ-साथ MSMEs को ग्लोबल मार्केट के हिसाब से कॉम्पिटिटिव बनाना होगा। तभी भारत का ग्लोबल ट्रेड में हिस्सा मौजूदा 2% से ऊपर बढ़ेगा।
अभी महज 2% है भारत का हिस्सा
अगर भारत ग्लोबल वैल्यू चेन के साथ गहरा जुड़ाव, डिजिटल ट्रेड के बुनियादी ढांचे में विस्तार और सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (MSMEs) को प्रतिस्पर्धी बनाने पर ध्यान देता है, तो उसे ग्लोबल ट्रेड में अपनी हिस्सेदारी को दोगुना करने में मदद मिलेगी।
अभी भारत की वैश्विक व्यापार में भागीदारी महज 2% है। Confederation of Indian Industries (CII) ने बुधवार को यह बात कही। आयात और निर्यात पर बनाई गई CII की राष्ट्रीय समिति के चेयरमैन संजय बुधिया ने कहा कि उद्योग मंडल मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट ग्रोथ में बाधा डालने वाली बड़ी चुनौतियों के समाधान के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करने को प्रतिबद्ध है।
बुधिया ने कहा कि इस यात्रा के लिए ग्लोबल सप्लाई चेन्स के साथ गहरा जुड़ाव, डिजिटल ट्रेड के बुनियादी ढांचे में ग्रोथ और MSME यूनिट्स को कॉम्पिटिशन के लायक बनाने पर ध्यान लगाने की जरूरत होगी।
बुधिया ने निर्यात क्षमता बढ़ाने के लिए अलग-अलग बंदरगाहों और स्थानों से जुड़े सर्कुलर जारी करने के लिए एकसमान ऑनलाइन पोर्टल लाने का सुझाव भी दिया।
उन्होंने कहा कि विकसित देशों के बेहतरीन तौर-तरीकों को अपनाने के साथ CAARR (Customs Authority on Advance Ruling) Regulation, 2021 को लागू करने की भी जरूरत है क्योंकि यह वैश्विक व्यापार लागत को कम करने और ड्यूटी जमा की जा रही है, यह सुनिश्चित करने में भूमिका निभाएगा।
बुधिया ने कहा कि अधिकृत आर्थिक ऑपरेटर (AEO) प्रोग्राम को मजबूत करने के लिए कोशिश करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसने एक्सपोर्टर्स में काफी आत्मविश्वास जगाया है और वे अपने वर्कप्लेस पर अपने समय का अधिक उत्पादक रूप से इस्तेमाल कर रहे हैं।
इसके अलावा उन्होंने मुकदमेबाजी को कम करने और विभाग और आयातक के बीच कोई विवाद न होने पर रिफंड प्रक्रिया को सुचारू बनाने का भी सुझाव दिया।
उन्होंने कहा कि यूरोपियन यूनियन और ASEAN (Association of Southeast Asian Nations) जैसे ट्रेडिंग पार्टनर्स के यहां भी VAT आधारित टैक्स ढांचा है। इसके कारण भारतीय बिजनस बॉर्डर के पार बिजनेस करने को भी तैयार रहते हैं।
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